Saturday, April 20, 2024
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आखिर चोट के बाद भी कैसे बनते हैं जांबाज खिलाड़ी?

चोट के बाद भी जांबाज खिलाड़ी बना जा सकता है! क्रिकेटर ऋषभ पंत कार एक्सीडेंट में घायल हैं और उनके करियर को लेकर तमाम संभावनाएं जताई जा रही हैं। कुछ ऐसा हुआ हुआ था हरियाणा के एक खिलाड़ी के साथ। कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के लिए 2017 में ट्रायल चल रहा था। हर एथलीट ट्रायल में दम-खम दिखाने के लिए जोर लगा रहा था। इन्हीं एथलीटों में एक नाम था नवीन। वेटलिफ्टर नवीन दो बार के ओपन टूर्नामेंट में स्टेट चैंपियन रह चुके थे और उन्हें पूरा भरोसा था कि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए न केवल वह क्वॉलिफाइ कर लेंगे, बल्कि ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में मेडल जीतकर तिरंगा भी फहराएंगे। मन-मस्तिष्क में सपने हिलोरे मार रहे थे, लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। ट्रायल से 15 दिन पहले चोट लगी और नवीन के सपने चकनाचूर हो गए। बावजूद इसके नवीन ने हार नहीं मानी और अब वह सफल फिटनेस ट्रेनर हैं। नवीन की कहानी भी बड़ी रोचक है। हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर महेंद्रगढ़ जिले में एक छोटे गांव में जन्मे नवीन अपने सपनों को साकार करने के लिए महाराष्ट्र पहुंचे। वैसे तो हरियाणा पहलवानों की खान कहा जाता है, लेकिन उन्होंने वेटलिफ्टिंग चुनी। 2013 में स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया तो गोल्ड मेडल जीता। 62 किलोग्राम वेट कैटिगरी में हिस्सा लेते हुए स्नैच में 113 kg और क्लीन एंड जर्क में 143 kg वजन उठाते हुए सोना अपने गले में लटकाया तो घर वाले फूले नहीं समाए।

गांव में नवीन को भी लोग पहलवान ही कहते थे। पिता बीर सिंह तो बेटे को दुनिया पर छाते हुए देखना चाहते थे। करियर आगे बढ़ा तो नवीन अब सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहना चाहते थे। सबसे अहम बात यह है कि घर के बाहर आप कितना भी सफल हों, लेकिन जो खुशी घर में अपनों के बीच सक्सेस पाने की होती है उसका स्वाद अलग ही होता है। इस बारे में नवीन कहते हैं, ‘मैंने महाराष्ट्र से घर आया तो पिता ने कहा कि हरियाणा में भी तो स्टेट चैंपियनशिप होती है। यहां भी तो लड़ टूर्नामेंट खेल सकते हो सकते हो।’

दो बार अलग-अलग राज्यों में स्टेट चैंपियन बनने के बाद मन में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर चैंपियन बनने की इच्छा थी। एक ही वर्ष बाद 2017 में कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के लिए ट्रायल होने वाला था। मैं भी तैयार था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दरअसल, मैं वेट बढ़ाने की कोशिश कर रहा था और कामयाब भी हो रहा था। मैं जानता था कि अब तक स्टेट चैंपियनशिप थी, लेकिन अब इंटरनेशनल के लिए मुझे खुद को तैयार करना था।

ट्रायल के लिए 15 दिन रह गए थे कि जिम में वर्कआउट के दौरान घुटना मुड़ा और फर्स पर धड़ाम से गिर पड़ा। शुरुआत में लगा मामूली चोट है, लेकिन ऐसा नहीं था। वह अपनी चोट के समय को याद करते हुए कहा- वेटलिफ्टर के लिए घुटना और कमर सबसे महत्वपूर्ण होता है। मुझे घुटने में ही चोट आई थी। लिगामेंट इंजरी हुई तो लगा अभी 15 दिन हैं रिकवर हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैं ट्रायल में हिस्सा नहीं ले सका। दिल में इस बात का दुख था कि मैं दरवाजे तक पहुंचकर ठिठक गया था। CWG तो निकल गया। मैंने वापसी की और 2018 स्टेट चैंपियनशिप में एक बार फिर चैंपियन बना, लेकिन लिगामेंट की चोट पीछा नहीं छोड़ रही थी। वजन बढ़ाते ही चोट उभर आती।

नवीन कहते हैं- हमारे यहां कहावत है ना ‘हरियाणे का छोरा सै लट्ठ गाड़ देगा…’ बस इसी को मन में बसाया और इंटरनेशनल चैंपियन की इच्छा धूमिल होते देख ट्रेनर बनने की सोची। खिलाड़ी के लिए खेल ही सबकुछ होता है। उन्हें उसके अलावा कुछ नहीं आता। मेरे साथ भी ऐसा ही था। मैं भी फिटनेस ट्रेनर बना। हालांकि, एक बात जो नवीन को अन्य ट्रेनरों से अलग करती है वह यह कि फिटनेस ट्रेनिंग करने वाला अगर एथलीट है तो वह उससे पैसे नहीं लेते हैं।ट्रायल में हिस्सा नहीं ले सका। दिल में इस बात का दुख था कि मैं दरवाजे तक पहुंचकर ठिठक गया था। CWG तो निकल गया। मैंने वापसी की और 2018 स्टेट चैंपियनशिप में एक बार फिर चैंपियन बना, लेकिन लिगामेंट की चोट पीछा नहीं छोड़ रही थी। वजन बढ़ाते ही चोट उभर आती। हां अगर कोई फिटनेस के लिए ट्रेनिंग लेता है तो 20-25 हजार रुपये चार्ज करता हूं। इससे मेरा घर भी चलता है और प्रोफेशनल एथलीटों को ट्रेनिंग देकर चैंपियन बनते देखता हूं तो लगता है कि मैं खुद चैंपियन बना हूं। नवीन अब तक 15 ऐसे एथलीटों के कोच रह चुके हैं, जिन्होंने स्टेट और नेशनल्स में मेडल जीते हैं।

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