वर्तमान समय में राजस्थान स्थित खाटूश्याम जी की महिमा लगातार बढ़ती ही जा रही है! राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर अब सिर्फ भारत देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फेमस हो चुका है! राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम का मंदिर, भारत में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलियुग का सबसे फेमस भगवान माना जाता है। सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्यान के मंदिर को काफी मान्यता मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि श्याम बाबा से भक्त जो भी मांगता है, वो उन्हें लाखों-करोड़ों बार दे देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम को लखदातार के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि हिन्दू धर्म के अनुसार खाटू श्याम को कलियुग में कृष्ण का अवतार माना जाता है।
चलिए सबसे पहले आपको यह बताते हैं कि आखिर खाटू श्याम जी है कौन?
तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह बात महाभारत के समय की है! बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है। ये पांडुपुत्र भीम के पोते थे। ऐसा कहा जाता है कि खाटू श्याम की शक्तियों और क्षमता से खुश होकर श्री कृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजने का वरदान दे डाला था। वनवास के दौरान, जब पांडव अपनी जान बचाते हुए इधर-उधर घूम रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा नाम की राक्षसी से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोत्कच कहा जाता था। घटोत्कच से पुत्र हुआ बर्बरीक। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णेय लिया था। श्री कृष्ण ने जब उनसे पूछा कि वो युद्ध में किसकी तरफ हैं, तब उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वो उसकी तरफ से लड़ेंगे। ऐसे में श्री कृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि ये कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में कृष्ण जी ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने अपनी आंखों से युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की।
श्री कृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि जीत का श्रेय किसको जाता है, इसमें बर्बरीक कहते हैं कि श्री कृष्ण की वजह से उन्हें जीत हासिल हुई है। श्री कृष्ण इस बलिदान से काफी खुश हुए और उन्हें कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया।
ऐसा कहा जाता है कि कलयुग की शुरुआत में राजस्थान के खाटू गांव में उनका सिर मिला था। कहते हैं ये अद्भुत घटना तब घटी जब वहां खड़ी गाय के थन से अपने आप दूध बहने लगा था। इस चमत्कारिक घटना को जब खोदा गया तो यहां खाटू श्याम जी का सिर मिला। अब लोगों के बीच में ये दुविधा शुरू हो गई कि इस सिर का किया जाए। बाद में उन्होंने सर्वसम्मति से एक पुजारी को सिर सौंपने का फैसला किया। इसी बीच क्षेत्र के तत्कालीन शासक रूप सिंह को मंदिर बनवाने का सपना आया। इस प्रकार रूप सिंह चौहान के कहने पर इस जगह पर मंदिर निर्माण शुरू किया गया और खाटूश्याम की मूर्ति स्थापित की गई।
1027 ई. में रूप सिंह द्वारा बनाए गए मंदिर को मुख्य रूप से एक भक्त द्वारा मॉडिफाई किया गया था। दीवान अभय सिंह ने 1720 ई. में इसका पुनिर्माण कराया था। इस प्रकार मूर्ति को मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित किया गया। मंदिर का निर्माण पत्थरों और संगमरमर का उपयोग करके किया गया है। द्वार सोने की पत्ती से सुशोभित है। मंदिर के बाहर जगमोहन के नाम से जाना जाने वाला प्रार्थना कक्ष भी है।
आपको बता दे कि जब राजस्थान के गंगापुर सिटी जिले में स्थित दो श्याम प्रेमी “कपिल गुप्ता और शिप्रा गुप्ता” से जब खाटू श्याम जी के मंदिर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उनकी महिमा का बखान करते हुए बताया कि खाटू श्याम का मंदिर जयपुर से 80 किमी दूर खाटू गांव में मौजूद है। खाटू श्याम जी पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन रिंगस है। जहां से बाबा के मंदिर की दूरी 18.5 किमी है। रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद आपको मंदिर के लिए टैक्सी और जीप ले सकते हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि यदि आपको सच्चे मन से बाबा की भक्ति करनी है तो आपको रिंग्स से 18 किलोमीटर का रास्ता पैदल, निशान लेकर उठाना होगा! आपको बता दे की निशान बाबा को चढ़ाए जाने वाला एक भक्ति का रूप है! जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं को बाबा के सामने निशान के रूप में ले जाते हैं और बाबा से प्रार्थना करते हैं!
तो इस तरह भक्तों द्वारा कलयुग में अवतरित श्री कृष्ण के इस खाटू श्याम के रूप का पूजन किया जाता है!