आज हम आपको आसान भाषा में इस साल के बजट को समझायेंगे! झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्रीय बजट को पूंजीपतियों की सहूलियत वाला बताते हैं। उन्हें सबसे बड़ी तकलीफ इस बात से है कि ग्रामीण भारत की जीवन रेखा मनरेगा के बजटीय प्रावधान में 30 प्रतिशत की कटौती कर दी गयी है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने तो बजट देखा ही नहीं। पत्रकारों ने जब बजट पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने बजट न देख पाने की बात कह कर प्रतिप्रश्न कर दिया कि आप लोग जो चाहते थे, वह मिला या नहीं। हालांकि 10 घंटे बाद उनके कई ट्वीट्स बजट को लेकर आये। उन्हें बजट बेकार लगा। बिहार के लिए कुछ नहीं दिखा। बहरहाल, एक्सपर्ट मानते हैं कि पूरे भारत के लिए बजट बढ़िया है। सबका ख्याल रखा गया है। मिडिल क्लास के लिए जरूर बजट में कराधान के प्रावधान खास बन गये हैं। ऐसा इसलिए भी हुआ है कि वर्षों से मिडिल क्लास की सुध लेने वाला कोई बजट नहीं आया था। विपक्ष भी आरोप लगा रहा था कि मिडिल क्लास के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि बजट में मिडिल क्लास की आयकर संबंधी पुरानी मांग को पूरा करने का प्रयास किया गया है। बहरहाल, अब जानते हैं कि बजट में झारखंड-बिहार को क्या मिला।
झारखंड जनजातीय बहुल सूबा है। पहली बार जनजातीय समूहों के विकास के लिए बजट में 15 हजार करोड़ रुपये का प्रवाधान किया गया है। तीन वर्षों तक इससे संबंधित योजनाएं चलेंगी। यानी हर साल 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों में 38800 शिक्षकों और सहयोगी स्टाफ की नियुक्ति होगी। जनजातीय विकास के लिए सात प्राथमिकताएं तय की गयी हैं। इनमें सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन का कार्यक्रम भी है। झारखंड में एनीमिया सबसे बड़ी स्वास्थ समस्या है। झारखंड के सीएम मनरेगा योजना की बजट राशि में कटौती पर आपत्ति जताते हैं, लेकिन ऐसा कहते समय वे भूल जाते हैं कि राज्य में मनरेगा की सोशल ऑडिट रिपोर्ट उन्हें मुंह चिढ़ाती है। 2020-21 के सोशल आडिट की रिपोर्ट बताती है कि मनरेगा में जितने मजदूरों को काम मिला दिखाया गया है, उनमें महज 25 प्रतिशत ही वास्तविक मजदूर थे। यानी 75 प्रतिशत मजदूरों के नाम फर्जी थे। यह मनरेगा में लूट की कहानी बयां करती है। साहिबगंज में बिना काम कराये 22.48 लाख रुपये की हेराफेरी पकड़ी गयी है। पलामू में भी बिना काम कराये 23.53 लाख की निकासी की गड़बड़ी मिली है।
झारखंड की बड़ी आबादी आर्ट एंड क्राफ्ट के काम में लगी हुई है। इसे उचित बाजार नहीं मिल पाता, इसलिए न कोई कमाई कर पाता है और न इसको विस्तृत बाजार ही मिल पाता। बजट में हर राज्य में एक यूनिटी माल खोलने का प्रावधान किया गया है। जाहिर है कि झारखंड में भी इसकी संभावना बनेगी। जिलों में तैयार होने वाले आर्ट एंड क्राफ्ट के सामान यहां उपलब्ध होंगे। इसके लिए बाजार का काम करेंगे माल। यानी राज्य में इससे आर्ट एंड क्राफ्ट को बढ़ावा मिलेगा, जो स्वरोजगार की दिशा में बड़ा कदम सिद्ध हो सकता है।
वित्त मंत्री ने पीएम आवास योजना के लिए बजटीय प्रावधान 66% बढ़ा कर 79 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। हेमंत सोरेन दो दिन पहले ही इसके लिए परेशान दिखे। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि पीएम आवास योजना के लिए पैसे नहीं मिलते। जाहिर है कि बजटीय प्रवाधान 66 प्रतिशत बढ़ने का लाभ झारखंड को भी मिलने में अब कोई परेशानी नहीं होगी। आवास के लिए सरकारी कर्मचारियों को 7.5 प्रतिशत ब्याज पर अब 30 लाख रुपये का कर्ज मिलेगा। आवासीय योजना के लिए जब इतनी बड़ी रकम बाजार में आयेगी तो यकीनन बिल्डिंग मटेरियल बेचने वाले व्यवसायियों को लाभ होगा और भवन निर्माण कार्य में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। इससे झारखंड को भी लाभ होगा।
बजट में लघु व मध्यम दर्जे के उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए बिना गारंटी लोन का प्रावधान 2 लाख करोड़ रुपये का है। कुटीर उद्योग झारखंड की आत्मा है। यानी कुटीर उद्योगों में लगे लोगों के लिए कर्ज के रास्ते आसान होंगे। आसानी से कर्ज मिलेगा तो छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योग भी पल्लवित-पुष्पित होंगे। इससे राज्य सरकार पर रोजगार का दबाव भी कम हो सकता है। अर्बन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए बजट में फंड का प्रावधान है। इससे शहरों में सिटी बसों की संख्या बढ़ेगी। इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने के लिए इनके दाम कम किये गये हैं। रांची में पिछले साल 3100 ई व्हीकल का रजिस्ट्रेशन हुआ था। यानी ई वाहन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है। साथ ही कोरोना काल में तबाह छोटे उद्योगों के लिए राहत दी गयी है। अगर किसी से पेनाल्टी के तौर पर छोटे उद्यों की राशि सीज की गयी है तो उसमें 95 फीसद राशि केंद्र की योजना- विवाद से विश्वास स्कीम- के तहत लौटायी जाएगी।
सीएम नीतीश कुमार को इस बात की तकलीफ है कि बिहार को इस बार भी विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, लेकिन बजटीय प्रावधानों का लाभ तो बिहार को भी मिलेगा ही। इनकम टैक्स के नये स्लैब, पीएम आवास, महिलाओं और सीनियर सिटीजन की बचत पर अधिक कमाई के लाभ से बिहार वंचित तो नहीं रह पाएगा। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि बजट का सर्वाधिक लाभ बिहार जैसे राज्यों को मिलेगा। केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में बिहार को 1.07 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे, जो पिछले साल के मुकाबले 25101 करोड़ रुपये अधिक होंगे। एक्सपर्ट मानते हैं कि भले ही बजट में बिहार-झारखंड का कहीं कोई जिक्र नहीं दिखता, लेकिन राज्यों के लिए जो प्रवाधान किये गये हैं, उसका लाभ तो जरूर मिलेगा। राज्यों को 50 साल के लिए ब्याज मुक्त लोन मिलेगा। यह बिहार के लिए भी होगा। अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनाया जाएगा, जिसमें राज्यों के लिए 10 हजार करोड़ का प्रस्ताव है। इसमें बिहार का भी शेयर तो होगा ही। राज्यों में यूनिटी माल बनाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने की बात है। राज्यों में 30 स्किल इंडिया इंचरनेशनल सेंटर्स खुलने हैं। इसका लाभ भी तो बिहार लेगा ही। ऐसे कई प्रवाधान हैं, जो समेकित रूप से राज्यों के लिए हैं और बिहार भी उनमें शामिल है। इसलिए किसी का यह सोचना कि बिहार के लिए कुछ नहीं है, उचित नहीं।