Thursday, April 25, 2024
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आखिर सीएम केजरीवाल का कौन सी पार्टी देगी साथ?

यह सवाल उठना लाजमी है कि सीएम केजरीवाल का कौन सी पार्टी साथ देगी! राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में सीएम अरविंद केजरीवाल की मुहिम कमजोर पड़ती दिख रही है। कांग्रेस के बाद असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने भी इस पर केजरीवाल को सपोर्ट करने से किनारा कर लिया है। ओवैसी ने केजरीवाल को समर्थन देने से दो-टूक मना किया है। वह बोले हैं कि आम आदमी पार्टी के प्रमुख ‘वास्तविक हिंदुत्व’ का अनुसरण करते हैं। यही वजह है कि उन्‍हें एआईएमआईएम सपोर्ट नहीं करेगी। मुख्‍य विपक्षी दल कांग्रेस का रुख भी इसे लेकर सीएम से अलग दिख रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने बुधवार को इसे लेकर संकेत दिए हैं। उन्‍होंने कहा कि वह दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश का समर्थन करेंगे। इन दोनों दलों का केंद्र के अध्‍यादेश के खिलाफ कन्‍नी काटना केजरीवाल के लिए झटका है। मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्‍यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने की मुहिम पर हैं। इस अध्‍यादेश को हाल ही में लाया गया था। इसमें दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने की बात कही गई है। केंद्र ने 19 मई को यह अध्‍यादेश जारी किया था। इसमें दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए प्राधिकरण बनाने की बात कही गई है। AAP सरकार ने इसे सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा बताया है। अध्यादेश लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्र को इसे बदलने के लिए संसद में एक विधेयक लाना होगा। सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले से पहले तक दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का कंट्रोल उपराज्‍यपाल के पास था।

इस मामले में कांग्रेस और ओवैसी के सुर मिल गए हैं। दोनों ने करीब साफ कर दिया है कि वे अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में सीएम केजरीवाल का साथ नहीं देंगे। दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने की बात कही गई है। केंद्र ने 19 मई को यह अध्‍यादेश जारी किया था। इसमें दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए प्राधिकरण बनाने की बात कही गई है। AAP सरकार ने इसे सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा बताया है। अध्यादेश लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्र को इसे बदलने के लिए संसद में एक विधेयक लाना होगा। सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले से पहले तक दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का कंट्रोल उपराज्‍यपाल के पास था।ओवैसी ने कहा है, ‘मैं कभी केजरीवाल का समर्थन नहीं कर सकता…मैं केजरीवाल को जानता हूं…वह वास्तविक हिंदुत्व का अनुसरण करते हैं न कि महज उदार हिंदुत्व का।’ इसी तरह कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता संदीप दीक्षित ने कहा है कि वह दिल्‍ली सरकार के खिलाफ अध्‍यादेश का समर्थन करते हैं।इसी तरह कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता संदीप दीक्षित ने कहा है कि वह दिल्‍ली सरकार के खिलाफ अध्‍यादेश का समर्थन करते हैं। दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अच्‍छी तरह से पता है कि उन्‍होंने विजिलेंज डिपार्टमेंट को कंट्रोल नहीं किया तो उन्‍हें कम से कम 8-10 साल की जेल होगी।दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अच्‍छी तरह से पता है कि उन्‍होंने विजिलेंज डिपार्टमेंट को कंट्रोल नहीं किया तो उन्‍हें कम से कम 8-10 साल की जेल होगी।

जिस तरह से इन दो विपक्षी दलों ने दिल्‍ली पर लाए गए अध्‍यादेश से किनारा कर लिया है, उसमें सीएम केजरीवाल के लिए अध्‍यादेश के खिलाफ बहुमत जुटा पाना बेहद मुश्किल है।दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने की बात कही गई है। केंद्र ने 19 मई को यह अध्‍यादेश जारी किया था। इसमें दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए प्राधिकरण बनाने की बात कही गई है। AAP सरकार ने इसे सेवाओं के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ धोखा बताया है। अध्यादेश लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्र को इसे बदलने के लिए संसद में एक विधेयक लाना होगा। सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले से पहले तक दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का कंट्रोल उपराज्‍यपाल के पास था। हालांकि, केजरीवाल इसके लिए पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं। इसी के तहत अध्यादेश के खिलाफ डीएमके का समर्थन लेने के लिए वह 1 जून को चेन्नई में तमिलनाडु के सीएम एमके स्‍टालिन से मुलाकात करेंगे। इसके बाद 2 जून को वह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में मिलेंगे।

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