Saturday, April 20, 2024
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आखिर रुखसाना सुल्ताना को देखकर क्यों डरते थे लोग?

रुखसाना सुल्ताना को देखकर देश में लोग डरने लग गए थे! भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के बारे में आपने जरूर सुना होगा। संजय गांधी वैसे तो लोकसभा सांसद थे, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इमरजेंसी के वक्त देश की सत्ता वो ही संभाल रहे थे। इमरजेंसी के दौरान देश में कई ऐसी चीजें हुईं जिनसे लोगों में सरकार के प्रति नफरत पैदा हो गई। इसी में से एक नसबंदी अभियान था। जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर लोगों की जबरन नसबंदी की गई। इस दौरान संजय गांधी के साथ ही एक नाम काफी चर्चा में था। हम बात कर रहे हैं रुखसाना सुल्ताना की। रुखसाना को संजय गांधी का बेहद करीबी माना जाता था। उन्हें नसबंदी अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।देश के वरिष्ठ पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब ‘द संजय स्टोरी:आनंद भवन से अमेठी तक’ में इमरजेंसी के कालखंड की कई घटनाओं का जिक्र किया है। उन्होंने रुखसाना सुल्ताना के बारे में किताब में बताया है। उन्होंने लिखा है कि एक बार जब वो नसबंदी अभियान की कवरेज करने दिल्ली की जामा मस्जिद पहुंचे तो वहां लोग बेहद गुस्से में थे। इस अभियान को लेकर लोगों में दहशत का माहौल था। वहीं रुखसाना का लोगों में इतना डर था कि उनकी गाड़ी देखते ही लोग कांपने लगते।

दिल्ली से नसबंदी अभियान की शुरुआत की गई। इसके लिए चार लोगों को जिम्मेदारी गई। इसमें लेफ्टिनेंट गवर्नर किशन चंद, नवीन चावला, विद्याबेन शाह और रुखसाना सुल्ताना का नाम शामिल है। ऐसा कहा जाता है कि रुखसाना को मुस्लिम समुदाय के लोगों को नसबंदी के लिए राजी करने का जिम्मा सौंपा गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रुखसाना संजय गांधी से प्रभावित थीं। वो एक कार्यक्रम के दौरान उनके पास पहुंची और पूछा कि मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं। इस सवाल पर संजय गांधी ने उनसे कहा कि वो मुसलमानों को नसबंदी के लिए राजी करने की जिम्मेदारी संभालें। इसके बाद रुखसाना धीरे-धीरे संजय गांधी के करीब आती गईं।

बताया जाता है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए शुरू हुए नसबंदी अभियान से लोगों के बीच डर का माहौल बन गया। कुछ मुस्लिमों को लगा कि सरकार उनकी आबादी कम करने की साजिश कर रही है। वहीं ये भी खबरें सामने आईं कि टारगेट पूरा करने के लिए 18 साल के युवाओं और 60 साल के बुजुर्गों की जबरन नसबंदी कराई जा रही है। इसकी शिकायतें संजय गांधी तक भी पहुंचती थीं लेकिन वो इनको खारिज कर देते थे। क्योंकि दिल्ली में नसबंदी अभियान की जिम्मेदारी रुखसाना के पास थी इसलिए लोगों में उनके खिलाफ डर पैदा होने लगा।

जब इस बारे में उनकी रुखसाना से बात हुई, तो उन्होंने इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। रुखसाना ने कहा कि नसबंदी अभियान मानवीय और स्वैच्छिक तरीके से चल रहा है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये कांग्रेस के पुराने नेताओं की साजिश है। उन्हें ये बर्दाश्त नहीं हो रहा है कि कोई दूसरा उनके इलाके में कुछ काम कर रहा है। रुखसाना का कहना था कि इस मामले में राई का पहाड़ बनाया जा रहा है।

रुखसाना ने जबरन नसबंदी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आप खुद जाकर लोगों से पूछ सकते हो कि नसबंदी स्वेच्छा से हो रही है या जबरन। इसके बाद मेहता रुखसाना के साथ उनकी कार में बैठकर पुरानी दिल्ली के एक मकान में पहुंचे। मेहता ने लिखा है कि जिस घर में रुखसाना उन्हें लेकर गई थीं वहां बेहद डरावनी शक्ल वाले लोग थे। जब मेहता ने रुखसाना से पूछा कि ये लोग कौन हैं, तो उन्हें जवाब देते हुए रुखसाना ने कहा, ‘ये राजस्थानी नायक हैं। आप इसे देख रहे हैं। ये इनका मुखिया है। इसने आठ मर्डर किए हैं और एक भी लाश नहीं मिली।’ ये सब देखकर मेहता हैरान रह गए। उन्होंने आगे लिखा है कि ये लोग रुखसाना के मानवीय और स्वैच्छिक तरीके वाले नसबंदी कैंप चला रहे थे।

रूखसाना सुल्ताना बेहद खूबसूरत थीं। उन्हें आपातकाल की ‘चीफ ग्लैमर गर्ल’ के नाम से जाना जाता है। इमरजेंसी की घोषणा के बाद रुखसाना की ताकत बढ़ गई। वो संजय गांधी के काफी करीब थीं। आलम ये था कि कई कांग्रेस नेताओं को रुखसाना से दिक्कत होना शुरू हो गई। कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी के पास रुखसाना की शिकायतें लेकर आने लगीं। कांग्रेस के सीनियर नेता रशीद किदवई ने अपनी किताब ’24 अकबर रोड’ में इसका जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि रुखसाना समाजसेविका के तौर पर जानी जाती थीं। लेकिन वो जल्द ही संजय गांधी के इतने करीब हो गईं कि संजय की पत्नी मेनका गांधी, इंदिरा गांधी और यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष अंबिका समेत दूसरे लोगों को भी उनसे दिक्कत होने लगी।

संजय गांधी की वजह से रुखसाना यूथ कांग्रेस में शामिल हो गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमरजेंसी के समय ही जब संजय ने दिल्ली को स्लम फ्री बनाने का प्लान बनाया तो उन्होंने रुखसाना को तुर्कमान गेट की गंदगी साफ करने का सौंपा। इसके बाद इस इलाके में कई बुलडोजर पहुंच गए और तबाही मचा दी। जब लोग इस बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सड़कों पर आए को उन पर लाठी डंडे बरसाए गए। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस घटना में 6 लोग मारे गए। इस घटना की जांच के लिए शाह कमीशन का गठन किया गया। लेकिन इसके बाद भी दिल्ली में बुलडोजर के पहिए नहीं रुके। 1975 से 1977 के बीच सौंदर्यीकरण के नाम पर करीब डेढ़ लाख मकान तोड़े गए। इससे 6-7 लाख लोग बेघर हो गए।

बताया जाता है कि रुखसाना एक सोशल वर्कर थीं। वो पुरानी दिल्ली में एक बुटीक चलाती थीं। रुखसाना ने सेना के अधिकारी शिविंदर सिंह से शादी की थी। शिविंदर वरिष्ठ पत्रकार और लेखर खुशवंत सिंह के भतीजे थे। वहीं, रुखसाना की बेटी अमृता सिंह बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री हैं। अमृता सिंह सैफ अली खान की पूर्व पत्नी भी हैं।

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