Friday, March 29, 2024
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देश में बढ़ेगी रोटी की कीमत: अब क्यों आटा, मैदा और सूजी हो रही है महंगी ?

भारतीय किसान दुनिया का पेट भर रहा है। मिस्र ने भारत से गेहूं के इंपोर्ट को मंजूरी दी है। दुनिया की बढ़ती मांग को देखते हुए संभावना है कि वित्त वर्ष 2022-23 में गेहूं का निर्यात रिकॉर्ड 100 लाख टन पार कर जाएगा।’15 अप्रैल 2022 को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट के जरिए ये बात कही थी। तब भारत रिकॉर्ड स्तर पर विदेशों में गेहूं बेच रहा था, लेकिन 4 महीने बाद ही स्थिति इतनी बदल गई कि शनिवार को भारत सरकार ने गेहूं के अलावा आटा, मैदा और सूजी तक के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया।

भारत ने इस साल मार्च तक 70 लाख टन गेहूं दूसरे देशों में बेचा

2022 की शुरुआत में रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू होने से सप्लाई चेन टूट गई। लिहाजा इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं की डिमांड काफी तेजी से बढ़ गई। कई पड़ोसी देश भारत की ओर देखने लगे।दुनिया में बढ़ती कीमतों का फायदा उठाने के लिए भारत ने इस साल मार्च तक करीब 70 लाख टन गेहूं एक्सपोर्ट किया। जो पिछले साल की तुलना में 215% ज्यादा है। अप्रैल में भारत ने रिकॉर्ड 14 लाख टन गेहूं एक्सपोर्ट किया था, लेकिन मई में देश में गेहूं के संकट को देखते हुए भारत सरकार ने इसके एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया।

देश में 14 साल में सबसे निचले पायदान पर गेहूं स्टॉक
21 अगस्त 2022 को ‘लाइव मिंट’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि FCI के पास अगस्त महीने में पिछले 14 साल में गेहूं का स्टॉक सबसे कम था। इसकी वजह से इस साल के जुलाई महीने में आम लोगों के लिए गेहूं की कीमतों में 11.7% की बढ़ोतरी हुई थी।वहीं, ब्लूमबर्ग रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में गेहूं की कमी और दुनिया भर में बढ़ रही कीमतों के बीच अब अधिकारी विदेश से गेहूं लाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, रिपोर्ट के सामने आते ही भारत सरकार की ओर से सफाई दी गई थी।सरकार ने कहा था कि विदेश से गेहूं खरीदने का कोई प्लान नहीं है और देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है।

4 वजहें जो देश में गेहूं की कमी की ओर इशारा करती हैं

भले ही भारत सरकार गेहूं की कमी को नकार रही हो, लेकिन 4 वजहों से पता चलता है कि देश में गेहूं की कमी होने वाली है। एक-एक कर इन सभी वजहों को जानते हैं….

पहली वजह: मई 2022 में केंद्र सरकार ने एक्सपोर्ट पॉलिसी में संशोधन करते हुए गेहूं के निर्यात को रिस्ट्रिक्टेड कैटेगरी (प्रतिबंधित श्रेणी) में कर दिया था।

दूसरी वजह: ब्लूमबर्ग रिपोर्ट ने दावा किया कि गेहूं की कमी और बढ़ती कीमतों के बीच सरकारी अधिकारी विदेशों से गेहूं खरीदने पर विचार कर रहे हैं।

तीसरी वजह: रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकारी गेहूं के आयात को बढ़ावा देने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी में 40% कटौती की भी चर्चा कर रहे हैं।

चौथी वजह: 27 अगस्त को सरकार ने सिर्फ गेहूं ही नहीं आटा, मैदा और सूजी के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगाने का फैसला लिया।

हीटवेव की वजह से 25% तक घटी गेहूं की पैदावार

इस बार गेहूं की पैदावार में कमी का सबसे बड़ा कारण मौसम है। मार्च से हीटवेव शुरू हो गई, जबकि मार्च में गेहूं के लिए 30 डिग्री से ज्यादा टेम्प्रेचर नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसी समय गेहूं के दानों में स्टार्च, प्रोटीन और अन्य ड्राई मैटर्स जमा होते हैं।

कम तापमान गेहूं के दानों का वजन बढ़ाने में मदद करता है। इस बार मार्च में कई बार तापमान 40 डिग्री को पार कर गया। इससे गेहूं समय से पहले ही पक गया और दाने हल्के रह गए। इसका असर यह हुआ कि गेहूं की पैदावार 25% तक घट गई।

इसके चलते भारत में गेहूं की कीमत पहले ही अपने उच्चतम स्तर पर चली गई। ऐसे में आटे की कीमतों में तेजी आना लाजिमी है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार केंद्र ने गेहूं का उत्पादन 11.13 करोड़ टन रहने की उम्मीद जताई थी। यह अब तक का सबसे अधिक है, लेकिन मौसम की मार की वजह से उत्पादन घटकर 10 करोड़ टन से भी कम रह गया है।

सरकारी एजेंसियों की गेहूं खरीद इस साल घटकर 1.8 करोड़ टन पर आ गई है। यह बीते 15 सालों में सबसे कम है। 2021-22 में कुल 4.33 करोड़ टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी।

पहली वजह: अगस्त में 22% तक बढ़े गेहूं के दाम, त्योहारी सीजन में और बढ़ेंगे

देश में त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। आमतौर पर त्योहारी सीजन में गेहूं से बनी वस्तुओं की खपत बढ़ जाती है। एक्सपर् आशंका जता रहे हैं कि आने वाले महीनों में गेहूं और आटा के दाम और बढ़ सकते हैं।22 अगस्त 2022 को जहां गेहूं की कीमत 31.04 रुपए प्रति किलोग्राम थी, वहीं पिछले साल 22 अगस्त को गेहूं की कीमत 25.41 रुपए प्रति किलोग्राम थी। यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल अगस्त में गेहूं की कीमतों में 22% तक का इजाफा हो चुका है।इसका असर आटे के दाम में भी देखने को मिल रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल अगस्त में आटे की कीमत 17% तक बढ़कर 35.17 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। वहीं पिछले साल यह 30.04 रुपए प्रति किलोग्राम थी।यही वजह है कि सरकार ने मई में गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने के बाद अब आटा, सूजी और मैदे के एक्सपोर्ट पर भी बैन लगा दिया है। सरकार की कवायद बढ़ती कीमतों को रोकने की है।

दूसरी वजह: नई फसल को आने में 7 महीने का वक्त इसलिए भी बढ़ेगी कीम

देश में नया गेहूं अब अप्रैल 2023 में ही आएगा। यानी, इसमें अभी 7 महीने का वक्त है। ऐसे में कीमतें बढ़ना तय हैं। वहीं, केंद्र सरकार की मुफ्त गेहूं योजना भी इसकी कीमतों को तय करेगी।इस योजना में किसी भी तरह का बदलाव होता है तो गेहूं की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं। कोरोना काल में पिछले दो साल से केंद्र सरकार देश के करीब 80 करोड़ जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज बांट रही है। इसके चलते सरकार के पास अनाज के बफर स्टॉक में कमी आई है।

दुनिया में सबसे ज्यादा गेहूं पैदा करने के मामले में दूसरे नंबर पर है भारत

दुनियाभर में सबसे ज्यादा गेहूं पैदा करने के मामले में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। हालांकि, गेहूं के एक्सपोर्ट में दुनिया के टॉप 10 देशों में भारत शामिल नहीं है। सिर्फ 5 देश रूस, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और यूक्रेन 65% गेहूं एक्सपोर्ट करते हैं। इनमें से 30% अकेले रूस और यूक्रेन से एक्सपोर्ट होता है।रूस का आधा गेहूं मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश खरीदता है। वहीं यूक्रेन से मिस्र, इंडोनेशिया, फिलीपींस, तुर्की और ट्यूनीशिया गेहूं खरीदते हैं। ऐसे में जब गेहूं के दो बड़े एक्सपोर्टर के बीच जंग छिड़ी हो, तो दुनिया में गेहूं की कमी होना लाजमी है। यही वजह है दुनिया में गेहूं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं।

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