Friday, March 29, 2024
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क्या सच में बात करते हैं तोते?

आज हम आपको बताएंगे कि क्या सच में तोते बात करते हैं! क्या आप जानते हैं कि आपके घर के ऊपर से जब हवाई जहाज निकलता है तो वह कैसी आवाज करता है? शाम को कथक क्लास के दौरान आपके भी कानों में पैरों की थप्प की आवाज आई है? बाथरूम में फ्लश की आवाज को आपने भी सुनी है। आप सोच रहे होंगे हम आपसे ये सब क्यों पूछ रहे हैं। साल 1981 की बात है। उस दौरान शीत युद्ध का दौर था। स्वीडन के सैन्य उपकरणों ने पानी के अंदर अजीब सी आवाजें सुनी। पहले तो लगा कि शायद सोवियत संघ उनपर आक्रमण करने के लिए कोई सिग्नल दे रहा है। लेकिन ऐसा नहीं था। इसी साल पानी में मौजूद पत्थरों में एक रूसी पनडुब्बी फंस गई। जहां यह फंसी वहां से स्वीडन का तट ज्यादा दूर नहीं था। इन आवाजों के बारे में मीडिया में खूब लिखा गया। लेकिन कई सालों तक यह नहीं पता लगाया जा सका कि यह आवाज आ कहां से रही थी। शीत युद्ध भी खत्म हो गया लेकिन पानी के अंदर से आने वाली आवाजों का पता नहीं लगाया जा सका। हालांकि इसका उत्तर खोजा जाने लगा था कि आखिर पानी के अंदर से यह आवाजें निकाल कौन रहा था।

इसके बाद आया साल 1995, फरवरी का महीना था। उस समय के स्वीडन के प्रधानमंत्री इंगवर कार्लसन ने मीडिया के सामने यह घोषणा की कि पानी के अंदर आवाज निकालने वाले और कोई नहीं बल्कि मिंक्स हैं। मिंक्स एक प्रकार के स्तनधारी होते हैं जो अपना ज्यादा समय पानी के अंदर बिताते हैं। एक वक्त जब संदेह के बादल घूम रहे थे तब स्वीडन की सेना ने बताया था कि पानी के अंदर से आने वाली आवाज फ्राइंग अंडों की है। उन्होंने सोचा कि पानी में पनडुब्बी के प्रोपलर के कारण बनने वाले बुलबुलों के चलते ऐसा हो रहा है। लेकिन 1990 के शुरू में नई सोनार उपकरण की मदद से यह पता लगाया गया कि मिंक्स जब एक द्वीप से दूसरे द्वीप जाते हैं तो उनके नाखूनों से निकलने वाली आवाज ही पानी के अंदर से आती है। यह आवाज पनडुब्बी प्रोपलर्स से निकलने वाली आवाज से मेल खाती है। लेकिन केवल मिंक्स ही ऐसी आवाज नहीं निकाल रहते बल्कि कई रहस्यमयी आवाजें पानी के अंदर से आती हैं। जब इन आवाजों के बारे में वैज्ञानिकों ने गहराई से जानने की कोशिश की तो यह किसी गैस की आवाज से मेल खाती दिखी।

पानी के अंदर से गैस निकालने वाली और कोई नहीं बल्कि सिल्वर कलर की दिखने वाली मछलियां थीं। यह हर साल स्वीडन के तट के पास इकट्ठे होती हैं। इन मछलियों के पास एक गैस से भरा एक अंग होता है जिसे स्विम ब्लैडर कहा जाता है। यह दिखने में गुब्बारे सा या इंसान के फेफड़े के सामान होता है जो मछलिया कितनी हवा अपने अंदर खींचती हैं उसके हिसाब से फूलता-पचकता रहता है। कई मछलियों का स्विम ब्लैडर उनके पेट से जुड़ा हुआ होता है। लेकिन हिलसा मछली के केस में फुलाने वाली थैली एनल डक्ट से जुड़ी रहती है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि मछलियां गैस निकालने का काम अक्सर रात में करती हैं। यह खतरे को पास देखते ही गैस की मदद से बाकी मछलियों से संवाद करती हैं। श्रेया ने कहा कि मेरा मानना है कि कभी भी दुश्मन को उसकी आवाज से जज नहीं करना चाहिए।

आपने इंसानों को कई बार कई अभिनेताओं और राजनेताओं की आवाज निकालते देखा होगा। लेकिन श्रेया बताती हैं कि तोते के अंदर भी दूसरों की आवाज निकालने की गजब की प्रतिभा होती है। श्रेया ने बताया कि मुझसे कई बार लोगों ने पूछ कि कुछ तोते इंसानों की कही बातों को हूबहू बोल लेते हैं। जिसमें से अफ्रीकन ग्रे तोते इस मामले में होशियार माने जाते हैं। यूट्यूब में इन पक्षियों के कई ऐसे वीडियो हैं जिसमें उन्हें Alexa को I Love You और Turn The Lights Off कहते सुना जा सकता है। तोते इंसानी जबान कैसे बोल लेते हैं। आइए जानते हैं।

तोतों का वोकल ट्रैक्ट की बनावट जटिल होती है। पक्षी अपनी सिरिंक्स में परिवर्तन ला सकते हैं। यह बदलाव कर वह कई तरह की आवाजें निकाल सकते हैं। यही नहीं आवाज में उतार-चढ़ाव के चलते पक्षी इंसानों के अलावा एकदूसरे की आवाज भी निकाल सकते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सिरिंक्स इतनी कारगर नहीं होती कि कोई पक्षी इंसान की तरह बोलने लग जाएगा। अफ्रीकन ग्रे पैरेट के बारे में एक और बात खास है। उनकी जीभ चौड़ी और लचीली होती है। इसके चलते वह अपनी चोंच को खोलने के दौरान अपनी जीभ को इधर-उधर घुमा सकते हैं और मिमिक कर सकते हैं। यह उन्हें इंसानी शब्दों को बोलने में मदद करते हैं। यही नहीं एक सीक्रेट इनके दिमाग में भी छुपा हुआ है। रिसर्चर्स ने यह पाया है कि इंसान और तोतों में दिमाग के आगे वाले हिस्से में एक एरिया होता है जो आवाज की मांसपेशियों से सीधा कनेक्शन बनाती है। वहीं शेर औक कुत्ते जैसे जानवरों के पास यह फोरब्रेन पाथवेज वाली बात नहीं होती है।

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