Thursday, March 28, 2024
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क्या आप गणेश जी के बारे में जानते हैं कुछ खास बातें ?

वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी। यह मानव कल्याण के लिए बनाया गया था इसलिए इनकी अनदेखी करने पर घर के सदस्यों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है अत: वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए भगवान गणेश को पूजना बेहतर है।

कई वास्तुदोषों का निवारण श्री गणेश की पूजा से ही हो जाता है। श्री गणेश की आराधना के बिना वास्तु देवता को संतुष्ट नहीं किया जा सकता। बिना तोड़-फोड़ अगर वास्तु दोष को दूर करना चाहते हैं तो इन्हें आजमाइए।

1. सुख, शांति, समृद्धि की चाह रखने वालों के लिए सफेद रंग के विनायक की मूर्ति, चित्र लगाना चाहिए।

  1. सर्व मंगल की कामना करने वालों के लिए सिंदूरी रंग के गणपति की आराधना अनुकूल रहती है।
  1. यदि घर के मुख्य द्वार पर श्री गणेश की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो, हो सके तो दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर गणेशजी की प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि दोनों गणेश जी की पीठ मिलती रहे। इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा का चित्र लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है। 
  1. भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो, उस स्‍थान पर घी मिश्रित सिन्दूर से स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।
  1. घर या कार्यस्थल के किसी भी भाग में वक्रतुंड की प्रतिमा अथवा चित्र लगाए जा सकते हैं, किंतु प्रतिमा लगाते समय यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुंह दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण में नहीं हो। इसका विपरीत प्रभाव होता है! 

गणेश चतुर्थी के दिन गणेशोत्सव में भगवान गणेशजी की 10 दिन के लिए स्थापना करके उनकी पूजा अर्चना की जाती है। 10 दिनी उत्सव में गणपति जी को 10 दिन तक भिन्न-भिन्न प्रकार का भोग लगाया या प्रसाद चढ़ाया जाता है उनमें से लड्डू उनके सबसे प्रिय है। लड्डू से जुड़ी एक कथा भी है। आओ जानते हैं 5 खास तरह के लड्डुओं की जानकारी।

1. मोदक के लड्डू : गणेशजी को मोदक के लड्डू बड़े प्रिय हैं। मोदक भी कई तरह के बनते हैं। महाराष्ट्र में खासतौर पर गणेश पूजा के अवसर पर घर-घर में तरह-तरह के मोदक बनाए जाते हैं।

2. मोतीचूर के लड्डू : गणेशजी को मोदक के बाद नैवेद्य के रूप में मोतीचूर के लड्डू का भी भोग लगता है। इन्हें ही बूंदी के लड्डू भी कहते हैं। इसके अलावा उन्हें शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं। तील और सूजी के लड्डू भी उनको अर्पित किए जाते हैं।

3. उखड़ी के मोदक : इसमें चावल के आटे से मोदक बनाए जाते हैं जिसके अंदर नारियल और शक्कर के‍ मिश्रण को भरा जाता है और फिर उसे उबालकर बनाया जाता है।

4. बेसन के लड्डू : कहते हैं कि उन्हें शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं। कई जगहों पर यह भी अर्पित किए जाते है!

5. सूजी के लड्डू : इसे रवा के लड्डू भी कहते हैं।  रवे में शक्कर का बूरा, इलायची पावडर व चारोली मिलाकर इसे शुद्ध देशी घी में बनाया जाता है।

 बूंदी के लड्‍डू

सामग्री : 3 कटोरी बेसन (दरदरा पिसा हुआ), 2 कटोरी चीनी, एक छोटा चम्मच इलायची पावडर, काजू अथवा बादाम पाव कटोरी, केसर 5-6 लच्छे, मीठा पीला रंग चुटकी भर, तलने के लिए पर्याप्त मात्रा में देसी घी, पाव कप दूध।

विधि :सबसे पहले बेसन को छान लें। उसमें चुटकी भर मीठा पीला रंग मिलाइए और पानी से घोल तैयार कर लीजिए। अब एक तपेले में पानी एवं शकर को मिलाकर एक तार की चाशनी तैयार कर लें। चाशनी में थोड़ा-सा पीला रंग और केसर हाथ से मसलकर डाल दीजिए। साथ ही पिसी इलायची भी डाल दें।

एक कड़ाही में घी गर्म करके छेद वाली स्टील की चलनी या झारे की सहायता से थोड़ी-थोड़ी करके सारे घोल की बूंदी बनाते जाइए और चाशनी में डालते जाइए। जब बूंदी पूरी तरह चाशनी पी लें, तब हाथ पर हल्का-सा घी या पानी लगाकर हल्के से दबाते हुए सभी बूंदी के लड्‍डू तैयार कर लें। लड्‍डू बनाते समय सभी पर एक-एक काजू अथवा बादाम लड्‍डू के ऊपर हाथ से दबा दें। भौम प्रदोष व्रत के दिन घर पर तैयार किए गए इन खास लड्‍डूओं से हनुमान जी और शिव जी भोग लगाएं।

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