Tuesday, December 5, 2023
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क्या वंदे भारत ट्रेन बन चुकी है भारत की लाइफ लाइन?

वर्तमान में वंदे भारत ट्रेन भारत की लाइफ लाइन बन चुकी है! हम-आप अक्सर चाय पीते हैं। जब किसी ढाबे या चाय की दुकान पर खड़े होकर चाय की चुस्की ले रहे होंगे तो आपने ‘कटिंग चाय’ का नाम जरूर सुना होगा। मुंबई में तो यह कुछ ज्यादा ही फेमस है। आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर कटिंग चाय और साधारण चाय में क्या फर्क होता है। वास्तव में कटिंग चाय भी साधारण चाय ही होती है, लेकिन इसमें कटिंग शब्द का अर्थ होता है आधा। यदि कोई कहता है कि “एक कटिंग चाय दो” तो इसका मतलब होगा “आधा कप चाय दो” मुंबई में आधा कप चाय को कटिंग चाय बोला जाता है। चाय की कप आधी, मतलब दाम भी आधा। दरअसल, बैचलर या विद्यार्थी के बीच कटिंग चाय बेहद फेमस है। वे बार-बार पूरा ग्लास चाय अफोर्ड नहीं कर सकते, इसलिए कटिंग चाय पीते हैं। आप सोच रहे होंगे कि जब बात वंदे भारत एक्सप्रेस की हो रही है तो कटिंग चाय का क्यों नाम लिया जा रहा है? दरअसल, कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ नौ वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। ये सभी, नौ के नौ वंदे भारत एक्सप्रेस में इंजन समेत डिब्बों की संख्या 8 है। आमतौर पर वंदे भारत में इंजन समेत डिब्बों की संख्या 16 होती है। शुरू में जितने वंदे भारत एक्सप्रेस चली, सबमें 16 डिब्बे ही थे। लेकिन अब इस ट्रेन में आठ ही डिब्बे होते हैं। कल ही सभी आठ डिब्बों की वंदे भारत ट्रेन चलाई गई है, मतलब कि आधी ट्रेन। आधी ट्रेन, आधी चाय। आधी चाय मतलब कटिंग चाय। आधी ट्रेन मतलब कटिंग ट्रेन।

अपने देश में चाय दूसरा सबसे अधिक पीया जाने वाला पेय पदार्थ है। मीठा होने के कारण यदि इसे अधिक मात्रा में पीया जाए तो यह शरीर को हानि पहुंचा सकता है। लेकिन, जिन्हें इसकी आदत होती है वो लोग दिन में पांच से छह बार चाय जरूर पी लेते हैं। अब यदि हर बार केवल आधा कप चाय पीएंगे तो इससे मूड तो फ्रेश हो जाएगा साथ ही शरीर को भी कम मीठा अब्जॉर्ब करना पड़ेगा। इसी फायदे के करण ही कटिंग चाय शब्द प्रचलित हुआ है। विद्यार्थी कटिंग चाय इसलिए पसंद करते हैं कि चाय के बहाने अड्डेबाजी तो पूरी होती है, लेकिन दाम आधा ही चुकाना पड़ता है। तभी तो आज के समय में बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में भी आधा कप चाय लिखने की बजाए कटिंग चाय लिख कर ग्राहकों को आधा कप चाय खरीदने का विकल्प दिया जाने लगा है।

कटिंग वंदे भारत एक्सप्रेस चलाना रेलवे की मजबूरी है। याद कीजिए 15 अगस्त 2021 का लाल किले की प्राचीर से दिया गया पीएम मोदी का भाषण। उसमें उन्होंने कहा था कि स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने वाले हैं। इसके उपलक्ष्य में देश भर में 75 वंदे भारत एक्सप्रेस चलाए जाएंगे। इसके लिए उन्होंने जो समय सीमा तय की थी, वह वक्त बीत चुका है। रेलवे उसे पूरा नहीं कर पाया। अब कोशिश है कि अगामी आम चुनाव तक 75 वंदे भारत चला दिए जाएं। लेकिन यदि 16 डिब्बे की वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएगी तो यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाएगा। क्योंकि, अभी पर्याप्त मात्रा में इस ट्रेन का प्रोडक्शन ही नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आधी ट्रेन चलाना रेल प्रशासन की मजबूरी है।

वंदे भारत एक्सप्रेस के नाम पर आधी ट्रेन चलाने से रेलवे को ही नुकसान है। इस समय आम मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में 22 से 24 डिब्बे लगाए जाते हैं। ताकि, अधिक से अधिक पैसेंजर को जगह मिल सके। और रेलवे की आमदनी भी बढ़े। तब भी लोकप्रिय ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट लगी ही रहती है।इसी फायदे के करण ही कटिंग चाय शब्द प्रचलित हुआ है। विद्यार्थी कटिंग चाय इसलिए पसंद करते हैं कि चाय के बहाने अड्डेबाजी तो पूरी होती है, लेकिन दाम आधा ही चुकाना पड़ता है। तभी तो आज के समय में बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में भी आधा कप चाय लिखने की बजाए कटिंग चाय लिख कर ग्राहकों को आधा कप चाय खरीदने का विकल्प दिया जाने लगा है। लोग RAC के नाम पर पूरा पैसा देकर भी आधी सीट पर सफर करते हैं। ऐसे में रेल प्रशासन आठ डिब्बे की ट्रेन चला कर क्या संदेश देना चाहता है यह समझ से परे हैं। क्योंकि ट्रेन छोटी हो या बड़ी, उसका खर्च उतना ही होगा, क्रू उतने ही लगाने होंगे। पाथ उतना ही ब्लॉक होगा। ऐसे में कम पैसेंजर ढोने से रेलवे को ही नुकसान होगा।

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