Thursday, April 25, 2024
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क्या देश में बढ़ रहा है अत्यधिक प्रदुषण?

वर्तमान में देश में प्रदुषण बढ़ता ही जा रहा है! प्रदूषण की वजह से हर भारतीय की औसत उम्र 4.11 साल कम हो रही है। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की उम्र प्रदूषण की वजह से 5.2 साल कम हो रही है। इसका सीधा अर्थ यह है कि भारतीय ग्रामीण शहरी आबादी की तुलना में प्रदूषण का अधिक शिकार हैं। ये दावा सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की गुरुवार को जारी स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट 2023 रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों में 25.7 प्रतिशत भारतीय प्रदूषण की वजह से 7 साल कम जी रहे हैं तो वहीं 22.5 प्रतिशत लोग 5 से 7 साल कम जी रहे हैं। इसके अलावा 26.6 प्रतिशत लोग 3 से 5 साल, 24.4 प्रतिशत लोग 1 से 3 साल कम जी रहे हैं। वहीं महज 0.8 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी पर प्रदूषण एक साल से कम का असर डाल रहा है। आबादी 2020 की ली गई है। इसी तरह शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों में 11.9 प्रतिशत की जिंदगी 7 साल से अधिक कम हो रही है। इसी तरह 17.3 प्रतिशत की जिंदगी 5 से 7 साल के बीच, 23.2 प्रतिशत की जिंदगी 3 से 5 साल, 46.5 प्रतिशत की जिंदगी एक से तीन साल और 1.1 प्रतिशत की जिंदगी एक साल से भी कम छोटी हो रही है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021 में पर्यावरण ऐक्ट से जुड़े 64,414 मामले दर्ज हुए हैं। 2021 के अंत तक कोर्ट में पर्यावरण से जुड़े 89,305 मामलों का ट्रायल पेंडिंग है। इसे एक साल में क्लियर करने के लिए रोज कोर्ट को 245 मामलों का निपटारा करना होगा। वहीं देश में 3,184 लैंडफिल साइट हैं।रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021 में पर्यावरण ऐक्ट से जुड़े 64,414 मामले दर्ज हुए हैं। 2021 के अंत तक कोर्ट में पर्यावरण से जुड़े 89,305 मामलों का ट्रायल पेंडिंग है। इसे एक साल में क्लियर करने के लिए रोज कोर्ट को 245 मामलों का निपटारा करना होगा। वहीं देश में 3,184 लैंडफिल साइट हैं। इनमें से सिर्फ 234 को पूरी तरह साफ किया जा चुका है।

8 को साइंटिफिक लैंडफिल साइट में तब्दील किया गया है। 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2022 तक भारत में 304 दिनों में 271 दिन तीव्र मौसमी घटनाएं हुईं।इसके अलावा 26.6 प्रतिशत लोग 3 से 5 साल, 24.4 प्रतिशत लोग 1 से 3 साल कम जी रहे हैं। वहीं महज 0.8 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी पर प्रदूषण एक साल से कम का असर डाल रहा है। आबादी 2020 की ली गई है। इसी तरह शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों में 11.9 प्रतिशत की जिंदगी 7 साल से अधिक कम हो रही है। इसी तरह 17.3 प्रतिशत की जिंदगी 5 से 7 साल के बीच, 23.2 प्रतिशत की जिंदगी 3 से 5 साल, 46.5 प्रतिशत की जिंदगी एक से तीन साल और 1.1 प्रतिशत की जिंदगी एक साल से भी कम छोटी हो रही है। इनमें 2,952 लोगों ने अपना जीवन खोया और 18.1 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई। इनमें से सिर्फ 234 को पूरी तरह साफ किया जा चुका है। 8 को साइंटिफिक लैंडफिल साइट में तब्दील किया गया है। 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2022 तक भारत में 304 दिनों में 271 दिन तीव्र मौसमी घटनाएं हुईं। इनमें 2,952 लोगों ने अपना जीवन खोया और 18.1 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई।

ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण के असर का ज्यादा मारक होना चिंता पैदा करता है। ग्रामीण विकास से जुड़े सरकारी महकमों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।इसके अलावा 26.6 प्रतिशत लोग 3 से 5 साल, 24.4 प्रतिशत लोग 1 से 3 साल कम जी रहे हैं। वहीं महज 0.8 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी पर प्रदूषण एक साल से कम का असर डाल रहा है। आबादी 2020 की ली गई है। इसी तरह शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों में 11.9 प्रतिशत की जिंदगी 7 साल से अधिक कम हो रही है।इनमें से सिर्फ 234 को पूरी तरह साफ किया जा चुका है। 8 को साइंटिफिक लैंडफिल साइट में तब्दील किया गया है। 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2022 तक भारत में 304 दिनों में 271 दिन तीव्र मौसमी घटनाएं हुईं। इनमें 2,952 लोगों ने अपना जीवन खोया और 18.1 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई। इसी तरह 17.3 प्रतिशत की जिंदगी 5 से 7 साल के बीच, 23.2 प्रतिशत की जिंदगी 3 से 5 साल, 46.5 प्रतिशत की जिंदगी एक से तीन साल और 1.1 प्रतिशत की जिंदगी एक साल से भी कम छोटी हो रही है।इसे एक साल में क्लियर करने के लिए रोज कोर्ट को 245 मामलों का निपटारा करना होगा। वहीं देश में 3,184 लैंडफिल साइट हैं। इनमें से सिर्फ 234 को पूरी तरह साफ किया जा चुका है। जब गांवों में घर-घर गैस सिलेंडर पहुंचे थे तो यह उम्मीद जताई गई थी कि अब गांवों में धुआं कम होगा। इस बारे में सर्वे कराकर ताजा हालात पता करने चाहिए। साथ ही गांवों की सफाई व्यवस्था के सुधार और सीवेज सिस्टम पर भी निगाह डालने की जरूरत है।

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