Friday, March 29, 2024
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जानिए देश में हुए अलग-अलग कत्लों की मानसिकताएं!

आज हम आपको देश में हुए अलग-अलग कत्लों की मानसिकताएं बताने वाले हैं! पिछले कुछ दिनों में देशभर के अलग-अलग हिस्सों से रिश्तों के कत्ल की जो खबरें सामने आई हैं, वो किसी का कलेजा दहला देने वाली हैं। कहीं बेटे ने पिता को मौत दी है, तो कहीं पिता ही बेटी का कातिल बन गया है। कहीं पत्नी ने पति को मौत के घाट उतार दिया तो कहीं बॉयफ्रेंड ने गर्लफ्रेंड के टुकड़े कर डाले। सुन के थोड़ा अजीब लगता है कि जिससे इतना गहरा रिश्ता रहा हो, कोई उसकी ही जान कैसे ले सकता है, वो भी इतनी बेरहमी से कि सुनने वालों के भी होश उड़ जाएं। सबसे पहले जानिए वो मामले जो पिछले कुछ दिनों में देश की सुर्खियां बने और जिनकी वजह से लोगों का रिश्तों पर भी सवाल उठने लगे हैं।दिल्ली के पालम में एक घर में चार लाशें पड़ी थीं और सामने था वो कातिल जो कोई और नहीं बल्कि उनका अपना था। केशव नाम के एक लड़के अपने माता-पिता, अपनी दादी और आखिर में अपनी छोटी बहन को मौत के घाट उतार डाला। पड़ोसियों ने बताया कि उस रात केशव के घर से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें आ रहीं थी। पड़ोसियों ने पुलिस को खबर दी, लेकिन जब पुलिस उस घर में पहुंची तब तक आरोपी चारों को मारा चुका था। घर में हर तरफ खून ही खून फैला हुआ था। केशव को नशे की आदत थी। वो अक्सर अपने घरवालों से पैसा मांगता था। उस दिन भी उसने सबसे पैसे मांगे, लेकिन पैसे न मिलने पर उसने पहले दादी को चाकू घोपकर मारा डाला, फिर मां को, उसके बाद पिता को और फिर आखिर में छोटी बहन को। केशव कुछ समय पहले रिहैब में रहकर भी आया था, उसे नशा करने की आदत थी, लेकिन कोई ये नहीं सोच सकता था कि वो नशे में अपने खुद के परिवार को ही खत्म कर देगा।

आफताब और श्रद्धा पिछले कई दिनों से ये नाम सुर्खियों में हैं। हों भी क्यों नहीं, इस खबर को सुनते ही किसी के भी होश उड़ना लाजमी है। जिस लड़के के लिए श्रद्धा ने अपने परिवार को भी छोड़ दिया, उसी लड़के ने उसे ऐसी मौत दी कि उसकी कल्पना भी डराती है। आफताब और श्रद्धा दोनों मुंबई में रहते थे। दोनों के बीच प्यार हुआ। श्रद्धा ने अपने परिवार को दोनों के रिश्ते के बारे में बताया, लेकिन परिवार ने रिश्ते के लिए रजामंदी नहीं दी। अपने बॉयफ्रेंड के लिए श्रद्धा अपने परिवार को छोड़कर आफताब के साथ दिल्ली आ गई। दोनों महरौली में लिव-इन में रहने लगे, लेकिन फिर एक दिन आफताब ने श्रद्धा का कत्ल कर दिया। इसके बाद श्रद्धा की लाश को छुपाने के लिए उसने लाश के 35 टुकड़े किए। बाज़ार के फ्रिज लाकर कई दिनों तक लाश के टुकड़ों में उसमें रखा और फिर महरौली के जंगल में जाकर डाल दिया। सोचिए ये कैसा रिश्ता था, जिसके लिए श्रद्धा सबकुछ छोड़ने को तैयार थी, जिससे इतना प्यार करती थी उसने ही बेरहमी से उसकी जान ले ली।

मथुरा का आयुषी मर्डर केस भी रिश्तों के कत्ल का सबसे ताजा मामला है। 22 साल की आयुषी को उसके पिता ने ही मौत के घाट उतार दिया और फिर उसकी लाश को ट्रॉली बैग में भरकर मथुरा के ही दूसरे इलाके में फेंक दिया। आयुषी की मां ने भी अपनी बेटी कत्ल में पति का साथ दिया। आयुषी किसी लड़के से प्यार करती थी और परिवार की मर्जी के खिलाफ उसने उस लड़के से शादी कर ली थी। वो अक्सर उस लड़के से मिलने जाया करती थी। उस दिन भी वो जब उससे मिलकर घर लौटी तो पिता ने गुस्से में उसपर गोली चला दी। उसके मां-पिता ने मिलकर बेटी के शव को ट्रॉली बैग में भर दिया और मथुरा के ही राया इलाके में फेंक आए। शव बरामद होने के बाद जब पुलिस ने माता-पिता दवाब बनाया और पूछताछ की तो उन्होंने सच कबूल किया। जिस बेटी को 22 सालों तक पाला, उसी की हत्या कर दी।

कोलकाता में रिश्तों का ऐसा कत्ल हुआ कि सुनकर किसी के भी होश उड़ जाएं। एक बेटे ने अपने ही पिता की पहले गला दबाकर हत्या की और फिर लाश को बाथरूम में ले जाकर आरी से उसके एक-एक फीट के छह टुकड़े किए। नेवी से रिटायर्ड उज्ज्वल चक्रवर्ती उस दिन घर पर ही थे। उनके बेटे ने उनसे कुछ पैसे मांगे। जब उन्होंने देने से इनकार कर दिया तो बेटे ने पिता को धक्का दे दिया। पिता बेहोश हो गए तो बेटे ने मां के कहने पर उनका गला दबा दिया और जान ले ली। उसके बाद मां-बेटे दोनों मिलकर उज्ज्वल चक्रवर्ती की लाश को बाथरूम तक ले गए और फिर बेटे ने आरी से लाश के छह टुकड़े किए। उन टुकड़ों को प्लास्टिक बैग में भरा और अपनी साइकिल में रखकर पास के इलाके में फेंक आया। जिस आरी से बेटे ने अपने पिता का कत्ल किया वो आरी पिता ने ही कॉलेज के काम के लिए बेटे को दिलवाई थी। दरअसल उज्ज्वल चक्रवर्ती अपने बेटे को क्राफ्टिंग का कोर्स करवा रहे थे और उसके लिए ही उन्होंने वो किट अपने बेटे को दिलवाई थी।

पिछले चंद दिनों में इतनी खौफनाक वारदातें सामने आईं कि लोगों का रिश्तों से ही विश्वास उठने लगा है। समाज को झकझोर देने वाले ये मामले सिर्फ हत्या के नहीं हैं, यहां खून हुआ प्यार का, यहां कत्ल हुआ रिश्तों का, यहां विश्वास ने दम तोड़ा। ऐसे मामलों ने एक सवाल खड़ा किया कि आखिर ऐसा क्यों? ये जितनी भी घटनाएं हुईं, ये सारी शहरों में हुईं और अपनों का कत्ल करने वाले पढ़े-लिखे लोग थे। तो क्या अब रिश्तों की बुनियाद इतनी कमजोर होती जा रही है कि छोटी-छोटी बातों में लोग अपनों की ही जान ले रहे हैं? क्या लोगों की सहनशक्ति यानी चीज़ों को झेलने की क्षमता इतनी कम हो गई कि उन्हें अपने गुस्से पर काबू नहीं रहता? ये मानसिक कारण हों या फिर रिश्तों में आती दूरियां, लेकिन इस तरह की घटनाएं लोगों के जेहन में लंबे समय तक दहशत भर देती हैं।

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