Friday, April 19, 2024
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राणा दंपति को झटका हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने की याचिका खारिज

नई दिल्ली :राणा दंपति  को हनुमान चालीसा का पाठ करने को लेकर उठे विवाद के बाद शनिवार को गिरफ्तार किया गया था। इन पर आईपीसी की धारा 15A और 353 के साथ बॉम्बे पुलिस एक्ट की धारा 135 के तहत FIR दर्ज है। राजद्रोह की  धारा 124A भी लगाई गई है। अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति की जमानत याचिका पर आज सेशन कोर्ट में सुनवाई हुई। आज भी राणा दंपति को राहत नहीं मिली। अब 29 अप्रैल को जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी। नवनीत के वकील ने बताया कि, ‘अदालत पर बहुत काम का बोझ है, इसलिए हमने 29 अप्रैल के लिए जमानत अर्जी का जवाब स्वीकार कर लिया है। जिसके बाद अदालत आगे की सुनवाई का फैसला करेगी। 29 अप्रैल और उसके बाद भी हो सकता कल हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी। दोनों के खिलाफ राजद्रोह की धाराएं भी जोड़ी गई हैं। उनके वकील रिजवान मर्चेंट ने बताया कि राणा दंपति ने बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष लंबित अपनी जमानत याचिका वापस लेने का फैसला किया, जिसने उन्हें गिरफ्तारी के एक दिन बाद रविवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।  कोर्ट ने लेकिन यह जरूर राहत दी है कि उनके खिलाफ कोई भी गिरफ्तारी की कार्रवाई के 72 घंटे पहले उन्हें सूचित किया जाएगा. कोर्ट ने यह साफ किया कि एक साथ दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज होने में कुछ भी गलत नहीं है. फिलहाल नवनीत राणा को मुंबई के भायखता जेल में और रवि राणा को नवी मुंबई के तलोजा जेव में रखा गया है. अब कल मुंबई सेशंस कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई है.

 

इस पर कोर्ट ने कहा कि ये दोनों इंवेंट अलग-अलग लग रहे हैं. इस वजह से दोनों FIR अलग-अलग हो सकती हैं. रिजवान ने कहा कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर मेरे क्लाइंट को जमानत मिलती है तो उन्हें दूसरे मामले में गिरफ़्तार किया जा सकता है.उन्होंने कहा, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. पहले भी ऐसे मामले हुए हैं, जब एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ एक तरह की FIR कई जगह पर दर्ज हुईं और कोर्ट ने सभी मामलों को एक में जोड़ कर जांच करने के आदेश दिए हैं. इसके बाद कोर्ट ने कहा, दूसरी FIR साफ़ बताती है कि दोनों पुलिस को उनके काम में सहयोग नहीं कर रहे थे. ये कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और इस वजह से उन्हें पुलिस को सहयोग करना चाहिए था पर किया नहीं. इस तरह करना ब्रीच ऑफ लिबर्टी ऑफ अदर पर्सन है. राज्य सरकार ने यह बताया है कि इस तरह के किसी भी कृत्य की वजह से लॉ एंड ऑर्डर पर असर पड़ सकता है. कोर्ट का मानना है कि बड़ी पावर के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है. दूसरी FIR में गिरफ़्तार करने से पहले पुलिस को दोनों को 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा. इसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

Shock to Rana couple, High Court dismissed the petition for cancellation of FIR 
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