Friday, March 29, 2024
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खालिस्तान का इतिहास और वर्तमान

भारत स्थित एक राज्य पंजाब को कुछ अन्य राज्यों से मिलाकर एक नए राष्ट्र की परिकल्पना की जाती है जिसे खालिस्तान कहा जाता है. खालिस यानी शुद्ध. खालिस्तान का अर्थ है आज के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ सुबों को मिलाकर एक नया देश बनाना जिसका प्रतिनिधित्व सिख समुदाय के लोग करे. वर्तमान समय में अमृतपाल सिंह नाम के एक नौजवान ने पंजाब में एक बार फिर से खालिस्तान की मांग को तेज कर दिया है. इनकी ताकत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि इन लोगों ने पंजाब के अंदर हथियारों के दम पर पुलिस स्टेशन में घुसकर अपने एक साथी को छुड़ा लिया जो किडनैपिंग के नाम पर गिरफ्तार किया गया था.

दोस्तों इस लेख में हम खालिस्तान का इतिहास और वर्तमान समझने की कोशिश करेंगे, खालिस्तान की मांग कितनी जायज है और क्या सच में भारत के अंदर कोई ऐसा देश बन सकता है जिसका अलग संविधान होगा अलग सीमा होगा.

क्या है खालिस्तान का इतिहास

खालिस्तान का इतिहास आजादी से पूर्व का है. जब कांग्रेसी नेता मोतीलाल नेहरू ने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की थी तब उनका विरोध तीन भारतीय पार्टियों ने किया था जिसमें भीमराव अंबेडकर की पार्टी दलित समूह, मोहम्मद अली जिन्ना की पार्टी मुस्लिम लीग और मास्टर तारा सिंह की पारी अकाली दल. मास्टर तारा सिंह ही वह सबसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पंजाब और सिखों के लिये एक अलग देश बनाने की बात कही थी.

इसके बाद आजादी की लड़ाई लड़ी गई भारत स्वतंत्र हुआ. स्वतन्त्रता कि भारी कीमत भारत को विभाजन के रूप में स्वीकार करना पड़ा. पंजाब को भी दो भागों में विभाजित कर दिया गया. पंजाब का एक भाग पाकिस्तान के पास चला गया और दूसरा भाग भारत के पास आया. जब भारत आजाद हुआ तब तक पंजाब को अलग राज्य नही बनाया गया था. इस वजह से पंजाबियों और सिखों ने एक अलग राज्य की मांग की जिसको की इंदिरा गांधी के द्वारा 1966 में स्वीकार किया गया था.

कौन है जनरैल सिंह भिड़रावाले

एक दशक का समय ही बिता था कि इस प्रकरण में जनरैल सिंह भिड़रावाले की एंट्री होती है जिसने सारा का सारा बाजी ही बदल कर रख दिया. जनरैल सिंह भिड़रावाले पंजाब स्तिथ एक समूह दमदमी टकसाल का लीडर था. वह अपने को कट्टर सिख कहता है. उसका मानना था कि सिख धर्म के लोग अपनी मान्यताएं भूल गए है. उसने युवाओं को केश कटवाने की मनाही की. आप लोगों को यह जानना दिलचस्प होगा कि जनरैल सिंह भिड़रावाले कांग्रेस के द्वारा ही पंजाब में महौल खराब करने के लिए भेजा गया था लेकिन बाद में जब भिडरावाले पंजाब में खालिस्तान की मांग करने लगा तब कांग्रेस को उनका ही दांव उल्टा पड़ गया. अंत में भिड़रावाले ने स्वर्ण मंदिर के अकाल तख्त पर कब्जा करके पाकिस्तान से सहयोग की बात करने लगा तब इंदिरा गांधी ने आर्मी की मदद से ऑपरेशन ब्लू स्टार चलवाया जहां जरनैल सिंह भिंडरांवाले की मौत हो गई. ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान स्वर्ण मंदिर के परिसर में आर्मी का जाना और वहां दिवालों पर गोली चलने से सिख बहुत नाराज हुए. और इसी कारण से इंदिरा गांधी को उन्ही के अंगरक्षकों को गोली मार दी. इसके बाद कम से कम एक दशक तक पंजाब में महौल खराब रहा. लेकिन इसके बाद धीमे-धीमे हालत सुधरने लगे चुनाव होना शुरू हो गया.

लेकिन अभी कुछ वर्षों से खालिस्तान की मांग फिर शुरू हो गई है. बताया जा रहा है कि यह समूह किसान आंदोलन के दौरान भी किसानों के साये में अपना काम करता रहा. इसको कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में बसे लोगों से फंडिंग मिलती है. इसी फंडिंग से खालिस्तान का नया पोस्टर बाॅय निकला है जिसे अमृतपाल सिंह कहते हैं.

कौन है अमृतपाल सिंह

भारत में जब कृषि कानून के खिलाफ विवाद चल यहा था तब अमृतपाल सिंह दुबई में एक एक साधारण नौकरी करता था. पिछले साल ही वह भारत लौटा और दीप सिंधु द्वारा बनाए गए संगठन वारीसे पंजाब दे में शामिल हो गए. इस संगठन में शामिल होकर यह पंजाब को एक अलग देश यानी खालिस्तान की मांग करने लगे. इनकी मुख्य दिक्कत यह है कि भारतीय संविधान में सिख धर्म को हिन्दू धर्म की एक साखा क्यों माना गया है. दूसरा यह कि देश में अंग्रेजो द्वारा लगाया गया देशद्रोह का कानून क्यों चल रहा है. इनका मानना है कि पंजाब और सिख देश के अंदर गुलाम हैं और इसलिए इनको एक अलग देश चाहिए.

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