Thursday, April 25, 2024
HomeEconomy and Financeमुफ्तखोरी की राजनीती देश के लिए दुर्भागयपूर्ण हो सकती हैं.

मुफ्तखोरी की राजनीती देश के लिए दुर्भागयपूर्ण हो सकती हैं.

मोदी के बाद अब जयशंकर ने कहा मुफ्त की रेवड़ी केवल देश का नुकसान। ना हो यकीन तो देख ली श्रीलंका का हाल। जैसा कि हम जानते हैं भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के आर्थिक हालात बेहद गंभीर और चुनौतीपूर्ण दिखाई दे रहे हैं। इस पर हमारे देश में भी राजनीति शुरू हो गई है ना केवल प्रधानमंत्री मोदी बल्कि अब इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी सवालिया निशान खड़े हैं और राजनीतिक तौर पर मुफ्त की रेवड़ी बांटने वाले राजनीतिक दलों को सीधे तौर पर सबक लेने को कहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका की मौजूदा वित्तीय हालत और शासन प्रशासन की विफलता से ना केवल मुफ्त की राजनीति करने वाले लोगों को पता लगा होगा। बल्कि मुफ्त की रेवड़ी बांटने की संस्कृति से देश का कितना नुकसान होता है यह भी लोगों को समझ आ गया है। साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि मुफ्त की एवरी का फायदा लेने वाली जनता को भी आज श्रीलंका में पता लग रहा होगा कि मुफ्त की रेवड़ी का क्या परिणाम भुगतना पड़ता है और उन्होंने कहा कि मुक्तगिरि बड़ी वाली संस्कृति को जल्द ही बंद करना होगा।
विदेश मंत्री ने श्रीलंका की स्थिति पर चर्चा करने वाली सर्वदलीय बैठक में मंगलवार को इन बातों को कहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर में पड़ोसी देश की परिस्थिति को देखते हुए इससे सबक लेने की बात कही। लेकिन इस तरह के हालात भारत में पैदा होने की कोई संभावना नहीं है यह भी उन्होंने साफ कहा। आपको बता दें कि विदेश मंत्रालय द्वारा बुलाई गई इस बैठक में लगभग 28 विपक्षी दलों ने भाग लिया। जिसमें कांग्रेस की और से पी चिदंबरम, एनसीपी की ओर से शरद पवार, डीएमके की ओर से टीआर बालू व एम एम अब्दुल्ला, अन्नाद्रमुक की ओर से थंबीदुरई, टीएमसी की ओर से सौगात राय, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला,आपके संजय सिंह एडीएमके के वाई को,समेत कई नेता शामिल हुए। वही निर्मला सीतारमण रोना होने के कारण इस सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हो पाई।

इस सर्वदलीय बैठक में सबसे हम चर्चा राज्यों की वित्तीय स्थिति को लेकर हुई आपको बता दें कि बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्यों की आर्थिक स्थिति पर प्रेजेंटेशन देना शुरू किया जिस पर विपक्ष के कई नेताओं ने आपत्ति जताई। इस बात पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कई विपक्षी दलों ने प्रेजेंटेशन का विरोध जताया और कहा कि यहां पर हम श्रीलंका की आर्थिक हालात पर चर्चा के लिए आए हैं, ना कि भारतीय राज्यों की आर्थिक स्थिति के आकलन के लिए नेताओं ने कहा कि भारतीय राज्य की आर्थिक स्थिति का इस बैठक में कोई औचित्य नहीं है। इस पर सर्वदलीय बैठक में वरिष्ठ नेता और एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने और टीएमसी की ओर से आए सौगत राय ने बताया कि इस प्रेजेंटेशन को पहले ही दिखाना चाहिए था ताकि वह राज्यों की माली हालत को समझते हुए सरकार को आने वाले दिनों के लिए तैयार कर सकें।

श्रीलंका का सबसे बड़ा वित्तीय मददगार है भारत।

आपको बता दें कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका को कर्ज में धकेलने वाला चीन उसे ठेंगा दिखाकर पीछे हट गया वहीं जापान ने भी बहाना लगाकर अपने आर्थिक हालात ठीक ना होने की बात कही। तो इस बीच पड़ोसी का धर्म निभाते हुए भारतीय सरकार की ओर से श्रीलंका को कई तरह की खाद्य और औषधि मदद तो की ही गई तो वही भारत सरकार श्रीलंका की सबसे बड़ी वित्तीय सहायक बनी। आपको यह बता दे कि श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि देश की मुश्किलों को कम करने के लिए भारत में सबसे बड़े पत्रकार के तौर पर हमारी मदद की है और हम इस मदद को हमेशा याद रखेंगे। वहीं आपको बता दे की भारत ने 1 जनवरी से 30 अप्रैल 2022 श्रीलंका को विदेशी कर्ज विक्रांत के रूप में 34.6 करोड़ डॉलर की मदद की है जबकि चीन ने सिर्फ और सिर्फ 6.79 करोड़ डॉलर ही दिए है।

श्रीलंका में चल रही हिंसा में एक भारतीय अधिकारी भी घायल हुआ है यह बात श्रीलंका को भारतीय सरकार ने बताई। भारतीय उच्चायोग ने कहा कि भारतीय नागरिक व वीजा केंद्र के निदेशक वीके वर्मा कोलंबो के पास किए गए श्रीलंकाई लोगों द्वारा एक हमले में घायल हो गए जिससे उन्हें चोट आई है। और इस मामले को भारत सरकार ने श्रीलंकाई अधिकारियों के संज्ञान में लाया है। आपको बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक संकट तो इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है परंतु आज रनिल विक्रमसिंघे के पुनः राष्ट्रपति बनने से श्रीलंका में राजनीतिक स्थिरता में जल्द ही सुधार देखने को मिलेगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments