हमारे वैदिक विज्ञान में कई प्रकार की औषधियों का वर्णन मिलता है! नागबला का पौधा अपने औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल से जुड़े रोगों और पेट की बीमारियों के इलाज में नागबला बहुत ही उपयोगी है। इस लेख में हम आपको नागबला के फायदे, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
नागबला क्या है?
नागबला के गुणों के बारे में तो आगे हम आपको बता रहे हैं पहले जानते हैं कि नागबला क्या है और आप इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं। बरसात के दिनों में यह पौधा खेतों के किनारे मेड़ों पर अपने आप उग जाता है। झाडीनुमा यह पौधा जमीन पर सांप की तरह फैला हुआ होता है, इसी वजह से इसे नागबला कहा जाता है। इस पौधे की जड़ें और तना काफी मजबूत होता है और ये आसानी से टूटते नहीं हैं।यह मधुर, अम्ल, कषाय, उष्ण, गुरु, रुक्ष, तीक्ष्ण, वातपित्तशामक,वृष्य, बल्य, रसायन, बृंहण तथा पुंसत्त्ववर्धनी है।
नागबला व्रण, मूर्च्छा, मोह, रक्तपित्त, क्षय, क्षतक्षीण, कुष्ठ, दाह तथा ज्वरनाशक होती है।
नागबला के फायदे
मौसम में बदलाव होने पर या ठंडी चीजों का सेवन कर लेने पर अक्सर लोग जुकाम से पीड़ित हो जाते हैं। आयुर्वेद में बताए गए कुछ घरेलू उपचारों की मदद से आप जुकाम से आराम पा सकते हैं। नागबला की मदद से भी आप सर्दी जुकाम से आराम पा सकते हैं। इसके लिए नागबला की पत्तियों का रस नाक में डालने से और इसकी पत्तियों का सेवन करें।नागबला की पत्तियों को हल्का गर्म करने स्तनों पर रखने या वहां बाँधने से स्तनों में होने वाले दर्द से आराम मिलता है। अगर स्तनों में दर्द बहुत ज्यादा हो तो नजदीकी डॉक्टर के पास जाकर अपनी जांच करवाएं।
दिल की बीमारियों के मरीजों के लिए नागबला काफी उपयोगी है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप रोजाना 3-5 ग्राम नागबला की जड़ के चूर्ण का सेवन ढूढ़ के साथ करें तो इससे दिल के रोगों के लक्षणों में कमी आती है। एक महीने तक इसका सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
अगर आप दस्त से परेशान हैं तो नागबला का उपयोग करें, यह दस्त को रोकने में कारगर है। विशेषज्ञों के अनुसार दस्त होने पर नागबला के फल और जड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से पेचिश में भी आराम मिलता है।
कब्ज की समस्या से परेशान मरीजों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। इसे अनदेखा करने पर और समय रहते इलाज ना करवाने से आगे चलकर बवासीर की समस्या हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप खानपान में बदलाव लाएं और घरेलू उपचारों की मदद से इसे ठीक करें। विशेषज्ञों का मानना है कि नागबला की जड़ और पत्तियों के चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें या इसका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बवासीर में फायदा मिलता है।
नागबला में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो प्लीहा को बढ़ने से रोकते हैं। नागबला की पत्तियों का पेस्ट बनाकर सेवन करें या इन पत्तों को हल्का गर्म करने प्लीहा वाले हिस्से पर रखें। ऐसा करने से प्लीहा वृद्धि की समस्या में लाभ मिलता है।
उम्र बढ़ने के साथ ही जोड़ों में दर्द होना एक सामान्य समस्या है। ऐसे कई आयुर्वेदिक घरेलू इलाज हैं जिनकी मदद से आप गठिया या आर्थराइटिस की समस्या में आराम पा सकते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि नागबला गठिया के इलाज में काफी कारगर है। इसके लिए नागबला की पत्तियों का पेस्ट बना लें और जहाँ दर्द हो रहा हो उन जोड़ों पर लगाएं। इससे जल्दी आराम मिलता है। इसी तरह इन पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से भी गठिया में फायदा मिलता है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार नागबला में ऐसे औषधीय गुण हैं जो टीबी के इलाज में बहुत मदद करते हैं। अगर आप टीबी के मरीज हैं तो नीचे बताए गए तरीकों से नागबला का उपयोग करें। खुराक संबंधी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
रोजाना सुबह नागबला की जड़ के चूर्ण को शहद और घी के साथ मिलाकर खाएं।
जौ, नागबलामूल, अश्वगंधामूल, तिल, गुड़ और उड़द चूर्ण की बराबर मात्रा लें और दूध के साथ रोजाना सुबह इसका सेवन करें। इससे टीबी में फायदा मिलता है और शरीर की ताकत बढ़ती है।
अर्जुन त्वक्, नागबला मूल और केवाँच बीज के चूर्ण का क्षीरपाक करके शहद, घी एवं मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करें। यह टीबी और खांसी दोनों के इलाज में असरकारक है।
कर्कट शृंगी, अर्जुन त्वक्, अश्वगंधा, नागबला, पुष्करमूल, हरीतकी और गुडूची से निर्मित चूर्ण का चिकित्सक द्वारा बताई गई मात्रा में सेवन करें।
गर्मियों के मौसम में कई लोगों को नाक-कान से खून बहने की समस्या होने लगती है। इस समस्या को आयुर्वेद में रक्तपित्त कहा गया है। इसके इलाज के लिए आप नागबला का उपयोग कर सकते हैं। नागबला चूर्ण का सेवन शहद के साथ मिलाकर करने से यह समस्या ठीक होती है।