Thursday, April 25, 2024
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बाली में हुए जी-20 में आखिर क्या हुआ?

हाल के दिनों में बाली में जी-20 समिट हुआ जिसमें भारत ने अपनी धाक जमा दी! इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर दो दिनों तक दुनिया के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा रहा। जी20 देशों के नेताओं की यह बैठक ऐसे समय में हुई, जब पूरी दुनिया यूक्रेन संकट से पैदा हुई चुनौतियों का सामना कर रही है। वहीं, कोविड-19 महामारी से दुनिया अभी उबर रही है और जलवायु परिवर्तन की चुनौती मुंह बाए खड़ी है। दूसरी तरफ, वैश्विक नजरिया देखें तो पूरी दुनिया यूक्रेन संकट पर दो ध्रुवों में बंटी दिख रही है। अमेरिका के खेमे वाले देश हर मंच पर रूस की खिंचाई करते हैं। लेकिन भारत ने जी20 को राजनीतिक घमासान का मंच बनने नहीं दिया। आखिर में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भारत को जी20 की अध्यक्षता सौंप दी। अब सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 45 घंटे में की गई 20 मुलाकातों और ताबड़तोड़ बैठकों से क्या मिला? या कहें कि पीएम के इस दौरे से भारत को क्या हासिल हुआ। इसे पांच पॉइंट्स में समझ सकते हैं।

G-20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रभावशाली समूह है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में इस मंच से जो कुछ कहा जाता है उसका अपना महत्व होता है। यूक्रेन में रूस के हमले के बाद दुनिया के देश भारत से उम्मीद लगाए बैठे थे। मोदी कभी पुतिन से बात करते तो कभी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से। भारत ने हर वैश्विक मंच पर बहुत ही सधी प्रतिक्रिया दी। ऐसे में जब जी20 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोलना शुरू किया तो उन्होंने यूक्रेन संकट का भी जिक्र किया। रूस हमारा भरोसेमंद और पुराना सहयोगी है। भारत उसे नाराज नहीं करना चाहता है। इन सबके बीच पीएम मोदी ने यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए ‘संघर्ष विराम और कूटनीति’ के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया। रूस से तेल और गैस की कीमतों में छूट के साथ खरीद के खिलाफ पश्चिमी देश अभियान चला रहे हैं लेकिन पीएम ने खुलेतौर पर ऊर्जा आपूर्ति पर किसी तरह की पाबंदी का विरोध किया।

G20 समिट शुरू होने वाली थी, उससे पहले ही अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने एजेंडा तय कर लिया था। पूरी तैयारी रूस को यूक्रेन पर घेरने की थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने वर्चुअल तरीके से संबोधित किया तो बार-बार समूह को ‘जी19’ कहकर पुकारा। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम ने यह सुनिश्चित किया कि यहां कोई खेमेबाजी न हो और स्वस्थ चर्चा हो। पश्चिमी देशों खासतौर से जी-7 के सदस्यों के चलते घोषणापत्र पर आम सहमति नहीं बन पा रही थी। जी-7 के सदस्य यूक्रेन में रूस के आक्रमण पर पूरा फोकस करना चाहते थे। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि भारत ने जी20 घोषणापत्र को तैयार करने में रचनात्मक भूमिका निभाई। इसका परिणाम यह हुआ कि यूक्रेन-रूस मसले पर दुनिया के बंटने की जगह प्रधानमंत्री मोदी के शांति के संदेश पर दुनिया के बड़े देश साथ चले। पीएम मोदी की पुतिन को दी गई सलाह जी20 घोषणापत्र का आधार बनी। साझा बयान में पीएम के बयान को प्रमुखता से शामिल किया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है।

जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।मंगलवार शाम में बाली के गरुड़ पार्क में दुनियाभर के नेता लजीज व्यंजनों का आनंद ले रहे थे। चमचमाती रोशनी और मधुर संगीत के बीच कैमरा हर पल को कैद कर रहा था। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेताओं से बात कर रहे थे। इधर पीएम नरेंद्र मोदी उधर से निकलते हैं और दोनों पड़ोसी देशों के नेताओं की नजर टकराती है। गलवान झड़प के बाद पहली बार शी जिनपिंग और पीएम मोदी की इस तरह मुलाकात हुई है। वीडियो से ऐसा लगा कि पीएम ने उन्हें कुछ समझाया। भले ही विपक्ष इस मुलाकात पर सवाल उठा रहा है, पर यह भी सच है कि पड़ोसी नहीं बदले जा सकते। अपने हितों को तवज्जो देते हुए रिश्ते कायम रखे जा सकते हैं। अलर्ट रहते हुए भी भारत-चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल सकती है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी सितंबर में समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन के वार्षिक शिखर सम्मेलन में आमने-सामने आए थे। लेकिन तब हाथ मिलाने या बातचीत करने की खबरें नहीं आई थीं। भारत लगातार कहता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

जी-20 शिखर सम्मेलन जैसे अवसर दुनिया के देशों से संबंध बनाने का मौका भी होता है। शुरुआत में ही उनकी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ गर्मजोशी देखी गई थी। बाद में दोनों नेताओं ने उभरती प्रौद्योगिकियों, एडवांस्ड कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में मजबूत होते सहयोग सहित भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की। इसके अलावा पीएम ने दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। बाली में पीएम ने भी जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। आज दोपहर के भोजन पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से बातचीत हुई और इस दौरान रक्षा, परमाणु ऊर्जा, व्यापार, खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बात हुई। भारतवंशी ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक से भी गर्मजोशी भरी चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने बाली में प्रवासी भारतीय समुदाय को संबोधित कर उन्हें जोश से भर दिया। उन्होंने भारत की विकास गाथा, इसकी उपलब्धियों और भारत द्वारा विभिन्न क्षेत्रों जैसे – डिजिटल तकनीकी, स्वास्थ्य, दूरसंचार और अंतरिक्ष में हासिल की जा रही जबरदस्त प्रगति का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि में वैश्विक भलाई की भावना है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब बड़ा सोचता है और उच्च लक्ष्य रखता है।

मोदी ने कहा, ‘भारत की प्रतिभा, तकनीक, इनोवेशन और उद्योग ने दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। दुनिया की कई बड़ी कंपनियों में आज भारतीय मूल के सीईओ हैं।’ उन्होंने इंडोनेशिया और भारत के संबंधों का भी जिक्र किया। मोदी ने याद दिलाया कि ओडिशा के कटक में लोग अभी ‘बाली जात्रा’ नामक त्योहार मना रहे हैं। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भी जिक्र किया। उन्होंने इंडोनेशिया और बाली द्वीप से अपने लगाव के बारे में बात करते हुए कहा, ‘बाली में शायद ही कोई होगा जो अपने जीवनकाल में अयोध्या या द्वारका की यात्रा नहीं करना चाहता हो।’ उन्होंने संक्रांति त्योहार और भगवान गणेश की मूर्तियों का भी उल्लेख किया, जिन्हें अक्सर इंडोनेशिया में सार्वजनिक स्थानों पर देखा जाता है।

उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को अगले साल जनवरी में होने वाले अगले प्रवासी भारतीय दिवस पर भारत आने के लिए आमंत्रित किया। पीएम ने कहा कि अकेले नहीं आइए, एक इंडोनेशियाई परिवार को साथ लाइएगा।

भारत के हाथ में अब जी20 की कमान आ गई है। मोदी ने कहा कि भारत ऐसे समय में जी20 की अध्यक्षता संभाल रहा है, जब दुनिया भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक मंदी, बढ़ती खाद्य और ऊर्जा की कीमतों से उत्पन्न चुनौतियों से घिरी है। पीएम ने कहा, ‘सभी देशों के प्रयासों से हम जी20 शिखर सम्मेलन को वैश्विक कल्याण का प्रमुख स्रोत बना सकते हैं।’ साफ है कि जी20 में भारत की अध्यक्षता से वैश्विक मंच पर दबदबा बढ़ेगा।

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