Saturday, April 20, 2024
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छरीला क्या है? जानिए इसके फायदे!

हमारे वैदिक विज्ञान में दवाइयों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है! क्या आप जानते हैं कि छरीला क्या है, और छरीला का प्रयोग किस काम में किया जाता है? आमतौर पर लोग छरीला का इस्तेमाल मसालों के रूप में ही करते हैं, लेकिन छरीला के और भी फायदे हैं। कई लोगों को छरीला से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी ही नहीं है।आयुर्वेद के अनुसार, छरीला एक उपयोगी औषधि है। बालों की समस्या, आंखों के रोग में छरीला के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। इसी तरह विसर्प रोग, सिर दर्द, मूत्र रोग में भी छरीला से लाभ मिलता है। यह कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। आइए छरीला के फायदे के बारे में जानते हैं।

छरीला एक प्रकार की वनस्पति (लाइकेन) है जो चट्टानों, वृक्षों तथा दीवारों पर जमता है। पथरीले पहाड़ों पर पैदा होने से यह शैलेय और चट्टानों पर फूल जैसा दिखाई देता है। इसके कारण इसे शिलापुष्प भी कहा जाता है। इसके पीछे वाला भाग श्यामला रंग का और नीचला भाग सफेद रंग का होता है। इसमें एक विशिष्ट गन्ध होती है।

बालों की समस्या आज लोगों की आम परेशानी बन चुकी है। छोटे बच्चे हों या वयस्क, सभी के बाल सफेद होने लगे हैं। ऐसे में छरीला का प्रयोग बहुत लाभ पहुंचाता है। आप छरीला, कर्चूर, हल्दी, काली तुलसी, तगर तथा गुड़ को समान मात्रा में मिला लें। इसे पीसकर सिर में लेप करने से बालों का पकना कम होने लगता है।

अगर आप बराबर सिर के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको छरीला का इस्तेमाल करना चाहिए। छरीला को पीसकर मस्तक पर लगाएं। इससे सिर दर्द से राहत मिलती है।आंखों की कई बीमारियों में छरीला का उपयोग फायदेमंद होता है। हरीतकी, बहेड़ा, आँवला, सोंठ, मरिच, पिप्पली, समुद्रफेन, छरीला तथा राल की बराबर-बराबर मात्रा लें। इसकी बत्ती बनाकर जल में घिस लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाएं। इससे कफज विकार के कारण होने वाली आंखों की बीमारी में लाभ होता है।

इसी तरह छरीला चूर्ण का भी अगर आप आंखों में काजल की तरह लगाएंंगे तो बहुत लाभ मिलता है।छरीला को पीसकर गुनगुना कर लें। इसका सेवन करने और पेट, कमर, किडनी, कमर के आस-पास लेप करने से मूत्र रोग में लाभ होता है।

छरीला का काढ़ बना लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में 1 ग्राम जीरा का चूर्ण मिला लें। इसमें 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से रुक-रुक कर पेशाब आने की परेशानी ठीक होती है।

छरीला को पीसकर नाभि के नीचे बांधने से पेशाब के रुक-रुक कर आने की परेशानी में लाभ होता है।सज्जीक्षार (सर्जिकादि चूर्ण), नीलाथोथा, कासीस, छरीला, रसाञ्जन तथा मैनसिल (मन शिला) का चूर्ण बना लें। इसे त्वचा पर लगाने से घाव और विसर्प रोग में लाभ होता है।

छरीला के चूर्ण को घाव पर लगाएं। इससे घाव ठीक हो जाता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।आप कुष्ठ रोग में भी छरीला का प्रयोग कर लाभ पा सकते हैं। छरीला को पीसकर मक्खन में मिला लें। इसे लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

छरीला (dagadful)  खुजली में लाभ पहुंचाता है। छरीला को पीसकर खुजली वाले प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

छरीला, छोटी इलायची, अगरु, कूठ, चोरपुष्पी, तगर, दालचीनी, देवदारु और रास्ना की घी या जल के साथ पीस लें। इससे त्वचा विकार जैसे पित्ती निकलने की परेशानी में लाभ होता है।छरीला आदि द्रव्यों को तेल में पका लें। इससे मालिश करने से या छरीला आदि द्रव्यों का लेप लगाने से सूजन कम हो जाती है।

छरीला को पीसकर गुनगुना करके लेप करने से सूजन की परेशानी से आराम मिलता है।

छरीला भारत में प्रायः उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, नीलगिरी के पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थरों के ऊपर एवं पुराने वृक्षों पर मिलता है।छरीला एक प्रकार की वनस्पति (लाइकेन) है जो चट्टानों, वृक्षों तथा दीवारों पर जमता है। पथरीले पहाड़ों पर पैदा होने से यह शैलेय और चट्टानों पर फूल जैसा दिखाई देता है। इसके कारण इसे शिलापुष्प भी कहा जाता है। इसके पीछे वाला भाग श्यामला रंग का और नीचला भाग सफेद रंग का होता है। इसमें एक विशिष्ट गन्ध होती है।

बालों की समस्या आज लोगों की आम परेशानी बन चुकी है। छोटे बच्चे हों या वयस्क, सभी के बाल सफेद होने लगे हैं। ऐसे में छरीला का प्रयोग बहुत लाभ पहुंचाता है। आप छरीला, कर्चूर, हल्दी, काली तुलसी, तगर तथा गुड़ को समान मात्रा में मिला लें। इसे पीसकर सिर में लेप करने से बालों का पकना कम होने लगता है।

अगर आप बराबर सिर के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको छरीला का इस्तेमाल करना चाहिए। छरीला को पीसकर मस्तक पर लगाएं। इससे सिर दर्द से राहत मिलती है।आंखों की कई बीमारियों में छरीला का उपयोग फायदेमंद होता है। हरीतकी, बहेड़ा, आँवला, सोंठ, मरिच, पिप्पली, समुद्रफेन, छरीला तथा राल की बराबर-बराबर मात्रा लें। इसकी बत्ती बनाकर जल में घिस लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाएं। इससे कफज विकार के कारण होने वाली आंखों की बीमारी में लाभ होता है।

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