Friday, April 26, 2024
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कृष्णसारिवा क्या है? जानिए इसके महत्वपूर्ण फायदे!

हमारे वैदिक विज्ञान में कई तरह की दवाइयों का वर्णन किया गया है! क्या आपको पता है कि कृष्ण सारिवा क्या है और कृष्ण सारिवा का प्रयोग किस काम में किया जाता है? नहीं ना! दरअसल बहुत सारे लोगों को कृष्ण सारिवा के फायदे के बारे में जानकारी ही नहीं है और इसलिए वे कृष्ण सारिवा का उपयोग नहीं कर पाते  हैं। कृष्णसारिवा एक बहुत ही गुणी औषधि है और कृष्णसारिवा का प्रयोग बीमारियों के इलाज में किया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में कृष्ण सारिवा के उपयोग से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

आप कृष्णसारिवा का प्रयोग कर खुजली, कुष्ठ रोग, बुखार में लाभ पा सकते हैं। इसके अलावा आप कृष्णसारिवा का इस्तेमाल डायबिटीज, उल्टी, अत्यधिक प्यास लगने की समस्या और रक्त विकार में भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, सासों की बीमारी, खांसी, दस्त और बिच्छू या सांप के काटने पर भी कृष्णसारिवा का उपयोग लाभदायक होता है।कृष्णसारिवा की लता सदा हरी रहती है। यह लम्बी, आरोही लता होती है। इसकी छाल श्यामले रंग की होती हैं तथा शाखाएँ लाल-भूरे रंग की होती हैं। इसके फूल सुगन्धित, हरे-सफेद अथवा बैंगनी वर्ण के होते हैं। इसकी फली बेलनाकार, पतली, 10-15 सेमी लम्बी, 4 सेमी चौड़ी होती हैं। इसमें दो-दो फलियां एक साथ होती हैं।

कृष्णसारिवा के पत्ते को तेल में पकाकर छान लें। इसे लगाने से सिर से जुड़े विकारों में लाभ होता है।कृष्णसारिवा पौधे के पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे आंखों को धोने से रतौंधी में लाभ होता है।कृष्णसारिवा के पौधे से निकाले गए दूध को आंखों पर लगाएं। इससे आंखों की सूजन की समस्या ठीक होती है।कृष्णसारिवा पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे गरारा करने से दांतों से होने वाला रक्तस्राव और जिह्वा के सूजन की समस्या ठीक होती है।कृष्ण सारिवा की जड़ का काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में पीने से अंगों के ऐंठन या अकड़न की बीमारी में लाभ होता है।

कृष्णसारिवा पंचांग को पीसकर लेप करने से कंठ के रोग जैसे कंठ के सूजन की परेशानी ठीक होती है।कृष्णसारिवा की जड़ के चूर्ण (1-2 ग्राम) में बराबर मात्रा में सारिवा चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से अपच की समस्या ठीक होती है।कृष्णसारिवा पंचांग का चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे पेचिश में लाभ होता है।पथरी की समस्या हो तो कृष्ण सारिवा की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करें। आपको कृष्ण सारिवा चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करना है। इससे पथरी की समस्या ठीक होती है।कृष्णसारिवा पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से प्लीहावृद्धि (तिल्ली का बढ़ना), रक्तमूत्रता (पेशाब में खून आना) में लाभ होता है।

ल्यूकोरिया में भी कृष्ण सारिवा का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। इसके लिए 1-2 ग्राम कृष्ण सारिवा की जड़ के चूर्ण का सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया तथा सिफलिस रोग में लाभ होता है।

15-30 मिली कृष्ण सारिवा की जड़ के काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से प्रसव के बाद होने वाली स्तन संबंधित विकार में लाभ होता है।

कृष्ण सारिवा की जड़ का काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में पीने से फाइलेरिया और श्लीपद एवं आक्षेप में लाभ होता है।कृष्ण सारिवा के पत्ते, डंठल सहित पत्ते और जड़ा का काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से बुखार ठीक होता है।इसके पत्ते को तेल में पकाकर प्रयोग में लाने से बुखार उतर जाता है।कृष्ण सारिवा के पत्ते को पीसकर गुनगुना करके सूजन वाली स्थान पर लगाएं। इसे कीड़ों के कारण होने वाली सूजन ठीक हो जाती है।

कृष्णसारिवा भारत के हिमालयी क्षेत्रों में 1200 मीटर की ऊँचाई तक तथा बंगाल, आसाम, तमिलनाडू और केरल आदि क्षेत्रों में पाई जाती है।आप कृष्णसारिवा का प्रयोग कर खुजली, कुष्ठ रोग, बुखार में लाभ पा सकते हैं। इसके अलावा आप कृष्णसारिवा का इस्तेमाल डायबिटीज, उल्टी, अत्यधिक प्यास लगने की समस्या और रक्त विकार में भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, सासों की बीमारी, खांसी, दस्त और बिच्छू या सांप के काटने पर भी कृष्णसारिवा का उपयोग लाभदायक होता है।कृष्णसारिवा की लता सदा हरी रहती है। यह लम्बी, आरोही लता होती है। इसकी छाल श्यामले रंग की होती हैं तथा शाखाएँ लाल-भूरे रंग की होती हैं। इसके फूल सुगन्धित, हरे-सफेद अथवा बैंगनी वर्ण के होते हैं। इसकी फली बेलनाकार, पतली, 10-15 सेमी लम्बी, 4 सेमी चौड़ी होती हैं। इसमें दो-दो फलियां एक साथ होती हैं।

कृष्णसारिवा के पत्ते को तेल में पकाकर छान लें। इसे लगाने से सिर से जुड़े विकारों में लाभ होता है।कृष्णसारिवा पौधे के पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे आंखों को धोने से रतौंधी में लाभ होता है।कृष्णसारिवा के पौधे से निकाले गए दूध को आंखों पर लगाएं। इससे आंखों की सूजन की समस्या ठीक होती है।कृष्णसारिवा पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे गरारा करने से दांतों से होने वाला रक्तस्राव और जिह्वा के सूजन की समस्या ठीक होती है।कृष्ण सारिवा की जड़ का काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में पीने से अंगों के ऐंठन या अकड़न की बीमारी में लाभ होता है।

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