Friday, April 19, 2024
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उत्तर प्रदेश में क्यों बढ़ रही है कार चोरी की वारदात?

उत्तर प्रदेश में लगातार कार चोरी की वारदात बढ़ती जा रही है! दिसंबर 2021 में मेरठ के मशहूर कबाड़ी बाजार का दशकों से चलने वाला कारोबार बंद हो गया था। मेरठ के सोतीगंज मोहल्‍ले में में चोरी की कारों और दूसरी गाड़ियों के स्‍पेयर पार्ट्स का विशाल बाजार था। कहने को तो यह एशिया का सबसे बड़ा स्‍क्रैप यानि कबाड़ का मार्केट था लेकिन यहां धंधा दूसरा ही था। यहां दिल्‍ली, एनसीआर, पश्चिमी यूपी के दूसरे जिले यहां तक कि उत्तराखंड की गाड़ियां चोरी करके लाई जातीं और फिर उनके पार्ट्स खुलेआम बिकते थे। हालात ऐसे थे कि सोतीगंज को गाड़ियों का कब्रगाह या कत्‍लगाह तक कहा जाने लगा था। योगी सरकार के बुलडोजर के बाद यहां के दुकानदारों ने बाकायदा अपनी दुकानों पर नोटिस लगा लिया था कि न तो यहां चोरी का सामान खरीदा जाता है न बेचा जाता है…। लगा कार चोरों ने अपना धंधा बदल दिया लेकिन उम्‍मीद गलत साबित हुई। मेरठ से महज 130 किलोमीटर दूर कार चोरों ने मुरादाबाद जिले को अपना नया ठिकाना बना लिया। गाजियाबाद की क्राइम ब्रांच ने स्‍थानीय पुलिस की मदद से मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा में कार चोरों के तीन गोदाम पकड़े। यहां करीब 70 वाहनों के लगभग 3 करोड़ की कीमत के पुर्जे बरामद हुए। पकड़े गए चार आरोपियों में से दो दिल्‍ली-एनसीआर, पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड से वाहन चोरी करते थे। उनमें से एक ड्राइवर बनकर चोरी करता था, दूसरा वाहनों के सेंट्रल लॉक और दूसरे डिवाइस को धता बताकर उन्‍हें उड़ा ले जाता था।

पुलिस उनके बाकी साथियों को तलाश कर रही है। लेकिन सोमवार के इन छापों के बाद जो तस्‍वीरें आईं उन्‍होंने मेरठ के सोतीगंज वाले चोर बाजार की याद ताजा कर दी। मेरठ के चोर बाजार के बारे में कई कहानियां सुनाई जाती थीं। एक बार एक शख्‍स अपनी विंटेज कार के लिए उसी मॉडल का एक पहिया खोज रहे थे। चूंकि कार का वह मॉडल कई दशक पहले बनना बंद हो गया था ल‍िहाजा किसी ने उन्‍हें सोतीगंज के चोर बाजार में जाने की सलाह दी।

कार के मालिक वहां झिझकते हुए चले गए। पटरी पर बैठे एक दुकानदार से उन्‍होंने बात की, अपनी कार दिखाई … दुकानदार ने वादा किया कि कुछ देर इंतजार करें पहिया मिल जाएगा। एक घंटे इंतजार करने के बाद एक लड़का आकर उन्‍हें उन्‍हीं की कार जैसा एक पहिया थमा गया। मुंहमांगी कीमत देकर कार के मालिक जब कार के पास वापस आए तो देखा उनकी कार तीन पहियों पर खड़ी है, चौथे पहिए की जगह ईंटें लगी हैं। … वही चौथा पहिया उन्‍हें चोरी करके बेच दिया गया था। वापस जाकर देखा तो पटरी पर बैठे शख्‍स की जगह दूसरा आदमी बैठा था, कुछ पूछताछ की तो मारपीट पर उतारू हो गया।

मेरठ के सोतीगंज का कबाड़ी बाजार ऐसे ही अजब कारनामों की जगह था। लेकिन सदर थाने का यह बाजार हमेशा से ही ऐसा नहीं था। सन 1960 के आसपास यहां कबाड़, रद्दी, कोयला, जानवरों का चारा वगैरह बिकता था। धीरे-धीरे 1980 के दशक के आसापास यहां चोरी की चीजें कबाड़ के नाम से बिकने लगीं। 1990 में तो ये हालात थे कि लोग अपनी चोरी की हुई साइकिलें खोजने यहीं आते, उन्‍हें पहचानते, मुंहमांगा दाम देते और वापस लौट जाते। बिना बहस किए।

शुरू में चंद दुकानों में यह काम होता था। देखादेखी और दुकानों में भी यही होने लगा। दुकानें महज शोरूम रह गईं, वहां मौजूद घर चोरी के सामान के गोदाम बन गए। स्‍पेयर पार्ट की मांग बढ़ी तो ऑन डिमांड चोर‍ियां होने लगीं। धीरे-धीरे आसपास के जिलों की गाड़ियां यहां चोरी होकर आने लगीं। इन दुकानों पर लेटेस्‍ट मॉडल से लेकर दूसरे विश्‍वयुद्ध तक की कारों के पुर्जे मिलने लगे।

यहां के कारीगरों की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे चुटकियों में पूरी गाड़ी को दीमक की तरह चट कर जाते थे। या यों कहें कि पुर्जे-पुर्जे अलग कर देते थे। इसके बाद चोरी की हुई गाड़ी के मालिक को ही क्‍यों न वहां खड़ा कर दिया जाए, वह अपनी कार को पहचान ही नहीं सकता था। उसकी कार का इंजन कहीं और, पिस्‍टन कहीं और, एक्‍सल कहीं और, दरवाजे कहीं और अलग-अलग दुकानों पर होते थे। फिर ये चोरी के पार्ट्स कबाड़ के नाम पर दिल्‍ली की जामा मस्जिद से लेकर गफ्फार मार्केट तक में बेचे जाते थे।लेकिन योगी सरकार ने सख्‍ती दिखाई तो किंग कबाड़ी कहा जाने वाला हाजी नईम उर्फ हाजी गल्ला गिरफ्तार हुआ। बाकी अहम कबाड़ी थे हाजी इकबाल, हाजी आफताब, मुस्ताक, मन्नू उर्फ मईनुद़्दीन, हाजी मोहसिन, सलमान उर्फ शेर, राहुल काला, सलाउद्दीन। इनके खिलाफ गाड़ी चोरी से लेकर अवैध कारोबार तक का आरोप है।

इनका एक और धंधा था। वह था दुर्घटनाग्रस्त नीलाम गाड़ियों के कागजात बेचने का। यहां लग्जरी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन एक से डेढ़ लाख रुपये, सामान्य गाड़ियों को 40-50 हजार में बेचे जाते थे। फिलहाल, मेरठ के सोतीगंज चोर बाजारी का धंधा मंदा हो गया है लेकिन यहां के चोरों ने अब मुरादाबाद और दूसरे शहरों में अपने नए ठिकाने बना लिए हैं। देखना है कि योगी का बुलडोजर अब वहां कब चलेगा।

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