Friday, March 29, 2024
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क्या मैनपुरी और रामपुर में सेंध लगा पाएगी बीजेपी?

मैनपुरी और रामपुर में सेंध लगाना, सपा संस्थापक नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट और भड़काऊ बयान देने के मामले में दोषी ठहराए गए आजम खान की रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव का ऐलान किया जा चुका है। दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी का न सिर्फ मजबूत गढ़ हैं बल्कि पार्टी का दोनों ही सीटों से भावनात्मक नाता भी है। हालांकि, बीजेपी इन दोनों सीटों को लेकर सपा को कोई रियायत देने के मूड में नहीं है और आजमगढ़-रामपुर लोकसभा उपचुनाव की तरह सपा के इन दोनों किलों को ध्वस्त करने की तैयारी में जी-जान से जुट गई है।मैनपुरी लोकसभा सीट अखिलेश के पिता और सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की सीट रही है। बीच के कुछ सालों को छोड़ दें तो वह 1996 से लगातार इस सीट से सांसद चुने जाते रहे हैं। साल 1998 और 1999 में उन्होंने यह सीट बलराम यादव को दे दी थी। 2004 में धर्मेंद्र यादव और साल 2014 में एक बार तेज प्रताप सिंह यादव यहां से सांसद बने लेकिन साल 1996 के बाद से यह सीट सपा से बाहर नहीं गई। मुलायम सिंह यादव के नाम से जानी जाने वाली यह सीट सपा के लिए साख का सवाल है। सामने चुनौती भाजपा की है, जो लगातार उपचुनावों में जीत दर्ज कर असीम आत्मविश्वास से लबरेज है।बीजेपी को एक खास जगह दिला सकता है!

दूसरी सीट रामपुर विधानसभा की है, जहां से आजम खान विधायक चुने गए। भड़काऊ भाषण देने के मामले में सजा मिलने के बाद आजम खान की विधायकी रद्द कर दी गई थी। इसके बाद से यह सीट खाली है और इस पर भी मैनपुरी के साथ ही चुनाव होना है। रामपुर से विधायक बनने के बाद आजम खान ने अपनी लोकसभा सदस्यता छोड़ दी थी, जिसके बाद हुए उपचुनाव में सपा को बड़ा झटका लगा था और आजम खान के गढ़ में बीजेपी की घुसपैठ कामयाब हो गई थी। ऐसे में इस सीट को लेकर भी सपा टेंशन में है कि अगर आजम खान रामपुर से प्रत्याशी नहीं बनते हैं तो यह सीट भी कहीं हाथ से न चली जाए। बीजेपी ने यहां भी युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं।बीजेपी की खास नजर मैनपुरी सीट पर है। पार्टी को लगता है कि इस सीट पर जीत के बाद साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए उसे बड़ी मनोनैज्ञानिक बढ़त मिल जाएगी। इतना ही नहीं, इससे वह अगले चुनाव में इस दावे के साथ उतरेगी कि उसने सपा के सभी मजबूत गढ़ों को ढहा दिया है। हालांकि, यह इतना आसान नहीं है। भारतीय जनता पार्टी की स्थानीय कमिटी इसे आसान बनाने में लगी है।

मैनपुरी लोकसभा सीट के सूक्ष्म मूल्यांकन के लिए हाल ही में जिले की सभी पांच विधानसभाओं के बीजेपी कार्यकर्ताओं की एक अहम बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में क्षेत्रीय और राज्य नेतृत्व को क्षेत्र की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों से अवगत कराया गया। इन क्षेत्रों में जसवंतनगर विधानसभा की सीट भी शामिल है, जहां से अखिलेश के चाचा शिवपाल विधायक हैं। जातिगत समीकरण के लिहाज से सपा यहां मजबूत दिखाई देती है। मैनपुरी में यादव मतदाताओं की संख्या 5 लाख है। वहीं शाक्य और ठाकुर वोटर्स 3 लाख हैं।

बीजेपी के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंह की माने तो बीजेपी यहां जातीय ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव नहीं लड़ रही है। उसे केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार द्वारा चलाई जा रहीं जनकल्याणकारी योजनाओं और उनके समाज के हर वर्ग तक समान वितरण कराने की कार्यशैली पर भरोसा है। हालांकि, जमीन पर बीजेपी हर विकल्पों को आजमाने में लगी है।

समाजवादी पार्टी हर हाल में मैनपुरी सीट जीतना चाहेगी क्योंकि यह सपा की प्रतिष्ठा से जुड़ी एक महत्वपूर्ण सीट है, जहां से पार्टी के पितृपुरुष मुलायम चुनाव लड़ते थे। नेताजी के बिना मैनपुरी में पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं। सपा को उनके निधन के बाद इलाके के लोगों में उपजी सहानुभूति की लहर पर भरोसा है। वह अपने सांगठनिक शक्ति का इस्तेमाल प्रतिष्ठा की इस सीट को बचाने के लिए करेगी। पार्टी मैनपुरी और रामपुर के उपचुनाव को हल्के में नहीं ले रही है। सपा का मजबूत सांगठनिक नेटवर्क है और दोनों सीटों को लेकर लोगों की भावनाएं भी जुड़ी हैं। सूत्रों ने बताया कि सपा मुलायम के भाई के पोते तेज प्रताप यादव को मैदान में उतार सकती है। 35 वर्षीय तेज प्रताप ने 2014 के उपचुनाव में मुलायम के सीट छोड़ने पर यहां से सांसदी जीती थी।

वहीं रामपुर के चुनव की बात करें तो यहां बीजेपी की स्थानीय ईकाई में गजब का उत्साह है। कुछ महीने पहले ही पार्टी ने लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव में सपा को करारी शिकस्त दी थी। अब भाजपा की नजरें यहां की विधानसभा सीट पर भी हैं। इसे लेकर पार्टी यहां 12 नवंबर को एक ‘मुस्लिम सम्मेलन’ आयोजित करके सपा को कुचलने की योजना बना रही है। यूपी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख बासित अली ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य पसमांदा समुदाय में पैठ बनाना होगा।

पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और यूपी के वरिष्ठ मंत्री सम्मेलन में शामिल होंगे। भाजपा सूत्रों ने कहा कि पार्टी 2024 के आम चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रविवार को गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में अपनी जीत को भुनाने की भी कोशिश करेगी। जानकारों ने कहा कि बसपा और कांग्रेस रडार पर होगी। बसपा ने रामपुर लोकसभा उपचुनाव लड़ने से परहेज किया, लेकिन उसने आजमगढ़ से चुनाव लड़ा और वोटों के बंटवारे के कारण भाजपा की जीत में योगदान दिया।

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