राजीव गांधी के हत्यारे रविचंद्रन और नलिनी  की जल्द रिहाई हो सकती है! सुप्रीम कोर्ट को तामिलनाडु सरकार ने बताया है कि वह राजीव गांधी हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पूर्व रिहाई के पक्ष में है। सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया कि 2018 में उनकी ओर से सजा में छूट के लिए राज्यपाल को जो सिफारिश की गई थी वह राज्यपाल के लिए बाध्याकारी है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने दो हलफनामा दायर किया है।

सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया कि 9 सितंबर 2018 को कैबिनेट की मीटिंग हुई ती और तब सात दोषियों की दया याचिका पर विचार हुआ था और फिर गवर्नर को सिफारिश भेजी गई थी कि उम्रकैद की सजा में छूट दी जाए।

गवर्नर को सात दोषियों की उम्रकैद की सजा में छूट देने की सिफारिश की गई थी। तब से वह सिफारिश पेंडिंग है। नलिनी, संथान, मुरुगन, एजी पेरारिवालन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को उम्रकैद की सजा हो रखी है और सभी 23 साल से ज्यादा सजा काट चुके हैं। हाल ही में पेरारिवान को सुप्रीम कोर्ट ने सजा में छूट देते हुए रिहा करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को उस याचिका पर तामिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था जिसमें याचिकाकर्ता व राजीव गांधी की हत्या की मुजरिम नलिनी श्रीहर और आरपी रविचंद्रन ने जेल से रिहाई की मांग की है। ये दोनों उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

मद्रास हाई कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन दोनों सहित अन्य को राजीव गांधी की हत्या के मामले में टाडा के तहत दोषी करार दिया गया था। नलिनी सहित 25 को फांसी की सजा टाडा के स्पेशल कोर्ट ने 1998 में सुनवाई थी। लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था तो सुप्रीम कोर्ट ने 19 दोषियों को बरी कर दिया था जबकि चार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी और उनमें नलिनी का भी नाम था। अन्य तीन को उम्रकैद की सजा दी गई थी। बाद में तामिलनाडु सरकार ने 2000 में नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। बाकी की सजा भी उम्रकैद में तब्दील हो गई।

2018 में एआईएडीएमके कैबिनेट ने गवर्नर से सभी सातों मुजरिम जो उम्रकैद की सजा काट रहे थे को रिलीज करने की सिफारिश की थी लेकिन गवर्नर से इसकी इजाजत नहीं मिली थी। लेकिन इसी बीच एक मुजरिम पेरारिवालन को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-142 की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए रिहा करने का आदेश दिया था। इसके बाद नलिनी और दूसरे मुजरिम ने इस आधार पर मद्रास हाई कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें भी रिहा किया जाना चाहिए।मद्रास हाई कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

इन दोनों सहित अन्य को राजीव गांधी की हत्या के मामले में टाडा के तहत दोषी करार दिया गया था। नलिनी सहित 25 को फांसी की सजा टाडा के स्पेशल कोर्ट ने 1998 में सुनवाई थी।मद्रास हाई कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन दोनों सहित अन्य को राजीव गांधी की हत्या के मामले में टाडा के तहत दोषी करार दिया गया था। नलिनी सहित 25 को फांसी की सजा टाडा के स्पेशल कोर्ट ने 1998 में सुनवाई थी। लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था तो सुप्रीम कोर्ट ने 19 दोषियों को बरी कर दिया था जबकि चार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी और उनमें नलिनी का भी नाम था। अन्य तीन को उम्रकैद की सजा दी गई थी। बाद में तामिलनाडु सरकार ने 2000 में नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। बाकी की सजा भी उम्रकैद में तब्दील हो गई।इसके बाद नलिनी और दूसरे मुजरिम ने इस आधार पर मद्रास हाई कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें भी रिहा किया जाना चाहिए।मद्रास हाई कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था तो सुप्रीम कोर्ट ने 19 दोषियों को बरी कर दिया था जबकि चार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी और उनमें नलिनी का भी नाम था। अन्य तीन को उम्रकैद की सजा दी गई थी। बाद में तामिलनाडु सरकार ने 2000 में नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। बाकी की सजा भी उम्रकैद में तब्दील हो गई।लेकिन मद्रास हाई कोर्ट से रिलीफ नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है।