यह कहावत अब पुरानी हो गई है कि दौलत से खुशी नहीं खरीदी जा सकती। लेकिन खुशी को खरीदने की जरूरत क्या है। खुशी को कमाइए। खरीदने और कमाने में फर्क है। अगर आपने दौलत कमाई है, तो आपके पास बहुत सारे विकल्प हैं। अगर आपने खुशी कमाई है, तो फिर आप उसके कई रूप जीवन में उतार सकते हैं। लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और दुर्गा जी तीनों बहनें हैं। जो लोग कुछ कमाने निकले हैं, वो इन तीनों माताओं को ठीक से समझ लें। सरस्वती जी, यानी शिक्षा होना ही चाहिए। अब पढ़ने-लिखने का युग है। दुर्गा जी पुरुषार्थ हैं, लक्ष्मी जी संपन्नता हैं। इन तीनों का तालमेल बैठाना पढ़ेगा। और जब आप तीनों के तालमेल से समर्थ हो जाएं, तो फिर आप खुशी कमा सकते हैं और उसका उपयोग कर सकते हैं। खुशी को कमाने का एक आसान तरीका है कि आपके पास जो दौलत है, आप उसको खर्च कैसे करते हैं, इस पर नजर रखना। पैसा कमाने में तनाव आ सकता है, पर अच्छे काम पर खर्च करने पर खुशी मिलेगी।
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:आप खुशी के कई रूप जीवन में उतार सकते हैं
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