आज का दिन बेहद ही विशेष है क्योंकि आज का दिन शिक्षा के क्षेत्र में पुनर्जागरण जैसा है। मध्य प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बना है जहां चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई अब हिंदी भाषा में कराई जाएगी। देश में हिंदी में चिकित्सा शिक्षा का नया अध्याय आज से शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश में मातृभाषा में चिकित्सा शिक्षा का अध्ययन किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में एमबीबीएस हिंदी पाठ्यक्रम पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि आज का दिन भारत की शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक दिन है मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में मध्यप्रदेश की धरती पर होगी। हिंदी की पढ़ाई गरीब बच्चों की जिंदगी में एक नया सवेरा बनकर आएगी। यूक्रेन, रूस, जापान, चीन, किर्गिज़स्तान और फिलीपींस जैसे देशों की तरह भारत भी मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई करने वाली लिस्ट में शामिल हो गया है। प्रदेश के 97 डॉक्टरों की टीम ने 4 महीने के भीतर कड़ी मेहनत कर अंग्रेजी की एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री की किताबों का हिंदी में अनुवाद किया है।
मंदार रखा क्या प्रोजेक्ट का नाम
चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने के पूरे प्रोजेक्ट को मंदार का नाम दिया गया। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और हिंदी के जानकारों ने एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की किताबों का अनुवादित रूप तैयार किया है। मंदार नाम रखने की पिक चाहिए विचार था कि जिस प्रकार समुद्र मंथन में मंदार पर्वत के सहारे अमृत निकाला गया था ठीक उसी प्रकार से अंग्रेजी की किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है मंत्री ने बताया कि मंदार में शामिल डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने विचार मंथन करके किताबें तैयार की हैं। पुस्तकों को अनुवादित करने में 97 डॉक्टरों की टीम ने कड़ी मेहनत कर लगभग 4 महीने के भीतर तैयार की है।
इस तरह सफल हुआ प्रोजेक्ट मंदार-
आज के इस विशेष मौके पर मंत्री सारंग ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह काम चिकित्सा शिक्षा विभाग को दिया था। जिसमें 97 डॉक्टरों के साथ कंप्यूटर ऑपरेटर की टीम बनाई गई। इस पूरी प्रक्रिया में तकनीकी पहलुओं और छात्रों के भविष्य की चुनौतियों का विशेष ध्यान रखा गया। इन किताबों को इस प्रकार अनुवादित कर तैयार किया गया है। जिसमें शब्दों के मायने हिंदी में ऐसे ना बदले जिससे विद्यार्थियों को समझने में मुश्किलों का सामना करना पड़े। स्पाइन को सभी समझते हैं उसे हिंदी में अनुवाद करके नहीं लिखा गया है। किताबों को इस प्रकार अनुवादित कर तैयार किया गया है जिसे ग्रामीण क्षेत्र से हिंदी में पढ़ाई कर एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्र आसानी से पढ़ और समझ सके। एमबीबीएस की फर्स्ट ईयर की तीन किताब बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी, एनाटॉमी को देवनागरी लिपि में तैयार किया गया है। जिनके हिंदी में शब्द उपलब्ध नहीं है उन्हें देवनागरी में लिखा गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लाल परेड ग्राउंड में एमबीबीएस की 3 किताबों का विमोचन किया। अनुवादित किताबें पर्याप्त मात्रा में तैयार हो गई हैं। जिससे मध्य प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू कराई जाएगी। साथ ही यह भी प्रयास किए जाएंगे कि निजी मेडिकल कॉलेजों में भी हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो सके।
हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल ने की थी शुरुआत
नई शिक्षा नीति के आने से पहले मध्य प्रदेश में अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल में हिंदी में इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा शुरू करने की घोषणा की थी। विश्वविद्यालय में तीन भाषाओं में जहां इंजीनियरिंग की शुरुआत की वहीं एमबीबीएस पाठ्यक्रम हिंदी में शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए। तत्कालीन समय में भारतीय चिकित्सा परिषद से अनुमति नहीं मिली थी। विश्वविद्यालय द्वारा छोटे स्तर पर हुई पहल मध्य प्रदेश सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत की गई पहल के चलते रंग लाई।
विद्यार्थियों को मिली राहत
अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी भाषा में अनुवादित होने से चिकित्सा शिक्षा के विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिली है। इंजीनियरिंग चिकित्सा विज्ञान की पुस्तकों में अंग्रेजी भाषा की कठिन शब्दावली होने से हिंदी माध्यम मे पढ़ने वाली ग्रामीण छात्र छात्राओं को कठिनाई होती थी। परंतु अब उन्हें इस समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। अब इंजीनियरिंग और एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू होने से गरीब एवं मध्यम वर्ग के हिंदी माध्यम मे पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के लिए पढ़ाई आसान होगी। प्रदेश सरकार का हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया था यह कदम सराहनीय
है।