मीनाक्षी शेषाद्रि 80 और 90 के दशक की जानी मानी एक्ट्रेस रही हैं। उन्होंने दामिनी, हीरो, मेरी जंग, घातक जैसी फिल्मों में काम किया है। हाल ही में एक पॉडकास्ट में एक्ट्रेस ने पुराने दिनों को याद करते हुए एक किस्सा शेयर किया। उन्होंने कहा कि पहले के समय में स्टूडियो के हालात बहुत खराब हुआ करते थे, हालात इतने बुरे होते थे कि शूट करना भी बेहद मुश्किल होता था। एक्ट्रेस ने कहा कि सेट पर सबसे बड़ी समस्या टॉयलेट की हुआ करती थी, क्योंकि एक ही टॉयलेट होता था और उसे 100 से ज्यादा लोग यूज करते थे। मीनाक्षी ने बताया कि उस समय सिर्फ पूनम ढिल्लन पहली ऐसी एक्ट्रेस थीं, जिनके पास अपनी वैनिटी वैन थी। 100 लोग एक टॉयलेट यूज करते थे – मीनाक्षी
मीनाक्षी ने कबीर वाणी के यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान बताया कि सेट पर लगभग 100 से ज्यादा लोग एक ही टॉयलेट यूज करते थे। पुरुषों और महिलाओं के लिए भी अलग-अलग शौचालय नहीं थे। एक्ट्रेस ने बताया कि सेट पर टॉयलेट न होने के कारण काफी परेशानी होती थी। उन्होंने कहा कि पहले के समय में साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जाता था, शूट के दौरान हम फैंसी कॉस्ट्यूम पहनते थे तो कॉस्ट्यूम गंदे न हो इसका भी ध्यान रखना होता था। डायरिया होते हुए भी शूट किया – मीनाक्षी बातचीत के दौरान जब मीनाक्षी से उनके सबसे बुरे दिनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उस टाइम को याद किया जब उन्हें डायरिया हो गया था। उन्होंने बताया कि डायरिया होने के बावजूद भी वह बारिश में एक रोमांटिक गाने की शूटिंग कर रही थीं। उन्होंने कहा कि बतौर एक्टर सभी हालातों में काम करना पड़ता है। क्योंकि एक्टिंग बहुत मेहनत का प्रोफेशन है। आउटडोर शूट में काफी परेशानियां होती थीं – जया बच्चन
सिर्फ मीनाक्षी ही नहीं बल्कि इससे पहले, जया बच्चन ने भी पुराने दिनों को याद करते हुए बताया था कि पहले के समय में फीमेल एक्ट्रेस को आउटडोर शूट में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। यूट्यूब चैनल व्हाट द हेल नव्या पर बातचीत में, जया बच्चन ने बताया कि अच्छी फैसिलिटी न होने के कारण फीमेल एक्ट्रेस को आउटडोर शूटिंग के दौरान झाड़ियों के पीछे सैनिटरी पैड बदलना पड़ता था। उन्होंने कहा, जब हम आउटडोर शूट करते थे, तो हमारे पास वैन नहीं होती थी। हमें झाड़ियों के पीछे कपड़े बदलने पड़ते थे। जया बच्चन ने कहा कि ये अजीब तो था ही बल्कि बहुत शर्मनाक भी था। हम 3-4 सैनिटरी पैड यूज करते थे और पैड को फेंकने के लिए प्लास्टिक की थैलियां ले जाते थे और उन्हें एक टोकरी में रख देते थे।
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