भोपाल गैस त्रासदी में 7400 करोड़ की माँग को SC द्वारा ख़ारिज किया गया

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भोपाल में वर्ष 1984 दो दिसम्बर की रात किसी काली रात से कम नहीं थी क्योंकि दो दिसंबर की रात को बहुत सारे लोगों की मौत हुई थी. ये घटना ऐसी थी कि अब तक इसके ज़ख़्म नहीं भरेये घटना भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड फ़ैक्ट्री में हुई थी इस फ़ैक्ट्री में सोए हुए हज़ारों लोग हमेशा के लिए सोते रहे है जिसका कारण ज़हरीली गैस का रिसाव रहा. इस बात से वो भी अनजान थे की वे रात उनके लिए इतनी घातक साबित होगी. इस घटना की चर्चा पूरे भोपाल में की जा रही थी अगर बात करें कि इसमें कितने लोगों ने अपनी जान गंवायी तो इसका आंकड़ा 16,000 से भी ज़्यादा अधिक थी.

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों पर फ़ैसला कर बताया कि यूनियन कार्बाइड कंपनी से 7400 करोड़ मुआवजा दिलाने वाली केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया गया है.कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज करते हुए भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के मुआवजे में लापरवाही पर डाट लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर.बी.आई (RBI) के पास पड़े 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल किया जाएगा.

पीड़ित भुगत रहे हैं अंजाम

बस इतना ही नहीं बल्कि इस कम्पनी में ज़हरीली गैस के संपर्क में है बहुत से लोग आए थे जो अभी तक इसका अंजाम भुगत रहे हैं. ज़हरीली गैस के कारण लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि आँखों में जलन, अंधापन, साँस लेने में समस्या और अलग अलग समस्या से जूझ रहे हैं. इसके बाद जिन बच्चों का जन्म भोपाल में हुआ तो कुछ बच्चे विकलांग पैदा हुए और कुछ बच्चों में बीमारी पाई गई. इसका सिलसिला अभी तक चला रहा है जिस भी इलाक़े में इसका प्रभाव पड़ा है वहाँ बच्चों का ऐसे ही जन्म हो रहा है.

कंपनी से मुआवज़ा दिलाने की बात

भोपाल में हुई गैस त्रासदी की घटना के बाद कम्पनी यूनियन कार्बाइड कापरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर मुआवज़ा दिया था. जिसके बाद पीड़ितों ने ज़्यादा मुआवज़ा की माँग की थी और सुपर कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. केंद्र ने 7,844 करोड़ रूपये त्रासदी पीड़ितों को कंपनी से दिलाने की माँग की थी. वर्ष 2010 दिसंबर के महीने में केंद्र ने मुआवज़ा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी.

सरकार चाहती थी कि यूनियन कार्बाइड (अब इस कंपनी का स्वामित्व डॉव केमिकल्स पर है) गैस कांड पीड़ितों को ये पैसा दें, वहीं यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन इसका बिलकुल उलट सोच रही थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो 1989 में हुए समझौते के अलावा भोपाल गैस पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं देना चाहती थी और उसने इसके लिए साफ़ इनकार कर दिया था. इस याचिका पर बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें 12 जनवरी को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, पर कोर्ट ने मंगलवार को इसे खारिज कर दिया.

जानिए क्या केंद्र सरकार की माँग ?

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में यह कहा था कि 1989 में जब सुप्रीम कोर्ट ने मुआवज़ा तय किया गया था, तब 2.05 लाख पीड़ितों को ध्यान में रखा गया था. इन वर्षों में गैस पीड़ितों की संख्या ढाई गुना से अधिक बढ़कर 5.74 लाख से अधिक हो गई है. ऐसे में मुआवज़े को भी बढ़ाना चाहिए. यदि सुप्रीम कोर्ट मुआवज़ा बढ़ाने को मान जाते है तो इसका फ़ायदा भोपाल के हजारों गैस पीड़ितों को भी मिलेगा.

आरोपियों को सजा नहीं दी गई

सबसे बुरी बात ये रही कि इतने बड़े हादसे होने के बाद आरोपी था उसे कोई सज़ा नहीं मिली. उस समय यू.सी.सी. (UCC) के अध्‍यक्ष वॉर्न एंडरसन मामले का मुख्‍य आरोपी था लेकिन मुकदमे के लिए उसे पेश नहीं किया गया. भोपाल मे 1 फ़रवरी 1992 को कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित कर दिया गया था. सितंबर, 2014 में एंडरसन की मौत हो गई.

जानिए क्या कहा रशीदा बी ने

रशीदा बी ने बताया की इस हादसे में उन्होंने अपने परिवार के सात सदस्यों को खो दिया है. एनडीटीवी के साथ बातचीत में उन्‍होंने कहा कि अपने भोपाल स्थित घर में गैस लीक के कारण उनके स्‍वास्‍थ्‍य पर लगातार प्रभाव पड़ता रहा है. उन्‍होंने कहा, “स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं लगातार जारी हैं, मेरा भाई आज अस्‍पताल में भर्ती था. कोर्ट का फैसला अन्‍याय है.” उनकी तरफ़ से ऐसा कहा गया.

उन्‍होंने आरोप लगाते हुए कहा भोपाल के पीड़ितों को पीठ ने “कॉर्पोरेट समर्थक पक्षपात” के कारण अदालत में अपना दिन देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “यूनियन कार्बाइड के वकील को बोलने के लिए ज़्यादा समय दिया गया, परन्तु पीड़ितों के संगठनों के वकील को सिर्फ 45 मिनट के लिए सुना गया.”