हमारे वैदिक विज्ञान में कई फूलों और पौधों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है! क्षीर चम्पा के नाम से शायद कम ही लोग परिचित होंगे। हिन्दी में क्षीर चम्पा को गुलचीन कहते हैं। क्षीर चंपा का फूल पूरे साल खिलता है और यह इस वृक्ष का फूल बाहर की ओर सफेद और भीतर से हल्का पीले रंग का होता है। क्षीर चंपा त्वचा संबंधी बीमारियों और वात संबंधी रोगों के लिए घरेलू उपचार में बहुत फायदेमंद होता है। क्षीर चंपा या गुलचीन के गुण और फायदों के बारे में विस्तार से जानने के पहले इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
भारत में गुलचीन या चमेली के फूल को मंदिरों व बगीचों में सुगंधित फूल पाने के लिए लगाया जाता है। फूलों के आधार पर इसकी दो प्रजातियां होती हैं। 1. क्षीर चम्पा रक्त 2. क्षीर चम्पा श्वेत। इसके पूरे भागों में सफेद रंग का दूध जैसा पदार्थ होता है। इसका आक्षीर या दूध अत्यन्त विषाक्त तथा शरीर से अवांछित पदार्थ निकालने वाला होता है।
क्षीर चम्पा रक्त-
क्षीर चम्पा श्वेत-यह 4.5 मी ऊँचा, छोटे आकार का सदाबहार पेड़ होता है। इसके तने फूले हुए एवं मांसल होते हैं। इसके पत्ते शाखाओं के अंत पर गुच्छों में, गोलाकार या ऊपर की ओर लंबे तथा स्पष्ट शिराओं से युक्त होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के, बीच में पीले रंग के सुगन्धित होते हैं। इसके फल रेखित, बड़े अथवा नुकीले होते हैं। यह पूरे साल फलता-फूलता है।
रक्त क्षीर चम्पा
इसकी जड़ की छाल थोड़ी कड़वी, कसैला, खाने की इच्छा बढ़ाने वाली, शक्तिवर्द्धक, पसीना निकालने वाली तथा सूजन कम करने में लाभकारी होती है।
इसका निर्यास पूयरोधी यानि एंटीसेप्टिक, बुखार, अजीर्ण या अपच, विसूचिका या हैजा पूयमेह, क्षत यानि कटने छिलने तथा ज्वरनाशक होता है।
श्वेत क्षीर चम्पा
क्षीर चम्पा प्रकृति से कषाय, तिक्त, कटु, उष्ण, कफवातशामक, दस्तावर, शोथघ्न, कुष्ठ, कण्डू, व्रण, शूल, उदररोग तथा आध्मान शामक होती है।
सफेद चंपा के तने की छाल कड़वी,तीखी रेचक यानी लैक्सिटिव, डायूरेटिक,सूजन, वात तथा बुखार कम करने वाली होती है। इसके जड़ की त्वचा विरेचक गुण वाली होती है।इसके बीज रक्तस्तम्भक यानि रक्त का थक्का बनने में मदद करते हैं।
आजकल के तरह-तरह के नए-नए कॉज़्मेटिक प्रोडक्ट के दुनिया में त्वचा रोग होने का खतरा भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। चमेली के फूल के द्वारा बनाये गए घरेलू उपाय चर्म या त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं। क्षीर चम्पा के जड़ की छाल को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है तथा कुष्ठ, दद्रु यानि रिंगवर्म व खुजली में अत्यन्त लाभ होता है।
आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई किसी न किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त हैं। चमेली के फूल इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करती है। क्षीर चम्पा के पत्ते के जूस में चंदन तेल तथा कपूर मिलाकर खुजली पर लगाने से अत्यन्त लाभ होता है।अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो क्षीर चंपा के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। क्षीर चम्पा की छाल को पीसकर लगाने से सूजन कम हो जाती है।कभी-कभी घाव सूखने में बहुत देर लगता है तब चमेली के फूल का औषधीय गुण घाव को भरने में मदद करता है। सफेद चम्पा के पौधे से प्राप्त आक्षीर या दूध को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।
हर्पिज के दर्द, जलन से जल्दी आराम दिलाने में चमेली के फूल बहुत फायदेमंद होते हैं। क्षीर चंपा के जड़ की छाल को पीसकर विसर्प में लगाने से लाभ होता है।आजकल अर्थराइटिस की समस्या उम्र देखकर नहीं होती है। दिन भर एसी में रहने के कारण या बैठकर ज्यादा काम करने के कारण किसी भी उम्र में इस बीमारी का शिकार होने लगे हैं। इससे राहत पाने के लिए चमेली के फूल का इस्तेमाल ऐसे कर सकते हैं। पौधे से प्राप्त आक्षीर या दूध को लगाने से आमवात में लाभ होता है।
अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन क्षीरचंपक का इस्तेमाल करने से इससे आराम मिलता है। क्षीरचम्पक की छाल को पीसकर लगाने से जोड़ो के दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।अगर गठिया के दर्द से परेशान रहते हैं तो सफेद चम्पा के पौधे से प्राप्त आक्षीर को लगाने से गठिया में लाभ होता है।
चम्पक के फूल को पीसकर छाती पर लेप करने से छाती के बीमारियों से जल्दी आराम मिलता है। इसके लिए चम्पा के फूल के इस्तेमाल करने का तरीका और मात्रा सही होना ज़रूरी होता है।पाइल्स के मस्सों के परेशानी से चमेली के फूल का औषधीय गुण राहत दिलाने में बहुत लाभकारी होता है। क्षीरचम्पक के पत्ते को पीसकर अथवा पत्तों या इसके तने से प्राप्त आक्षीर (दूध) को अर्श के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।रतिज रोग को सेक्चुअल ट्रांसमिटेड डिज़ीज कहते हैं। चंपा का औषधीय गुण इस रोग से राहत दिलाने में फायदेमंद होता है। क्षीरचम्पक जड़ का काढ़ा बनाकर 5-10 मिली मात्रा में पिलाने से रतिज रोगों में लाभ होता है।
किसी बीमारी के कारण या दूसरे वजह से वैजाइना में दर्द हो रहा है तो चंपा का घरेलू इलाज फायदेमंद हो सकता है। सफेद चम्पा के जड़ की छाल को पीसकर योनि में लगाने से योनि का दर्द दूर होता है।