भारत ने अपना बेहतरीन दोस्त जापान के पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में खो दिया है! सूर्योदय के देश जापान की राजनीति का सबसे चमकता सितारा अस्त हो गया। उन्होंने भारत को हमेशा सबसे करीबी दोस्त और खूबसूरत देश माना। आत्मीयता इतनी कि अपने देश की परमाणु सहयोग नीति बदलकर भारत के साथ करार भी किया। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर आबे ने दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम दिया।जापान में सबसे लंबे समय तक पीएम रहे शिंजो आबे ने भारत के सबसे करीबी मित्र के रूप में जगह बनाई। अपने देश में बेहद लोकप्रिय और राष्ट्रवादी छवि वाले आबे भारत से कूटनीतिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बंधे हुए थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने जापान और भारत के रिश्तों में घनिष्ठता को बुलेट ट्रेन जैसी रफ्तार दी।भारत से द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ी निकटता दिली जुड़ाव तक पहुंच गई थी। यही वजह है कि उनके दौर में भारत-जापान ने आर्थिक, सामरिक से लेकर वैश्विक भागीदारी में नई ऊंचाइयां हासिल कीं। आबे 2006 में पहली बार पीएम बने थे, उसी साल उनकी किताब ‘उत्सुकुशी कुनी’ प्रकाशित हुई थी। इसमें उन्होंने भारत का विशेष उल्लेख किया था। दूसरी बार 2012 में कुर्सी तक पहुंचे तो जापान के सबसे लंबे समय तक पीएम रहने का रिकॉर्ड बनाया। इस दौरान उन्होंने अपने देश की विदेश और निर्यात नीति के साथ अर्थव्यवस्था को मजबूती दी। भारत से रिश्तों को नया आयाम दिया और चीन को घेरने समेत बड़े द्विपक्षीय समझौते किए।
बुलेट ट्रेन व असैन्य परमाणु समझौते खास : 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विकास परियोजनाओं पर समझौते हुए। सबसे खास बुलेट ट्रेन का समझौता था। इसके तहत भारत को 88 हजार करोड़ रुपये महज 0.1 फीसदी ब्याज पर देना तय हुआ। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ी। असैन्य परमाणु समझौता सबसे खास रहा, जो आबे के प्रयासों से 2016 में संभव हो पाया। इससे पहले तक जापान ने कभी भारत को परमाणु शक्ति के तौर पर मान्यता नहीं दी थी।
रिश्तों को बताया, दो सागरों का मिलन : आबे भारत से रिश्तों को खास मानते थे। 2007 में पीएम रहते भारत यात्रा के दौरान संसद में अपने भाषण में दोनों देशों के संबंधों को ‘दो सागरों का मिलन’ करार दिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग की अवधारणा पेश की। विदेश नीति विशेषज्ञों के मुताबिक, इस भाषण ने भारत-जापान को ज्यादा करीब लाने की नींव रखी। 2014 में गणतंत्र दिवस पर वे मुख्य अतिथि भी रहे।
मनमोहन, राहुल गांधी ने जताया शोक…कांग्रेस नेता व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, मेरे मित्र पूर्व प्रधानमंत्री आबे पर हुए दुखद हमले से गहरा सदमा पहुंचा है। मेरी प्रार्थना उनके और परिवार के साथ हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, स्तब्ध हूं, उन्होंने भारत-जापान संबंधों को गहरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है।
काशी को क्योटो की तर्ज पर विकसित करना, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर और पूर्वोत्तर की कई परियोजनाएं विकसित करने पर दस्तखत हुए। आबे जब भारत आए थे तो पीएम मोदी उन्हें बनारस भी लेकर गए थे। आबे की दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दृश्य हर भारतीय के जेहन में जीवित रहेंगे। शिंजो जब भारत से विदा हुए थे, तब पीएम मोदी ने उन्हें श्रीमद्भागवत गीता भेंट की थी।
हमलावर तेत्सुया यामागामी समुद्री आत्मरक्षा बल नौसेना में तीन वर्ष तक सेवा दे चुका है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, यामागामी ने थ्रीडी प्रिंटर से कैमरे जैसी दिखने वाली शॉटगन तैयार की है। पुलिस ने बताया, हमलावर के घर पर काफी विस्फोटक भी मिले हैं। वैसे जापान में बेहद सख्त शस्त्र नियंत्रण कानून हैं।शिंजो आबे का जन्म 21 सितंबर 1954 को हुआ था। उनके पिता शिंतारो आबे विदेश मंत्री तो नाना नोबुसुके किशी प्रधानमंत्री रहे। बचपन में आबे ने भारत की कहानियां नाना से ही सुनी थीं।
1977 में सेकेई यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन के बाद पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। एक कंपनी में नौकरी की फिर राजनीति में आए।
1993 में आबे पहली बार सांसद चुने गए।
26 सितंबर 2006 को पहली बार प्रधानमंत्री बने। 52 वर्षीय आबे दूसरे सबसे युवा प्रधानमंत्री थे।
26 दिसंबर 2012 को दूसरी बार पीएम बने। अगस्त 2020 में स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया।
आबे के निधन पर पूरी दुनिया गमगीन है। कई देशों के शीर्ष नेताओं ने शोक जताते हुए श्रद्धांजलि दी है।
शोकाकुल हूं…अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, हत्या चौंकाने और शोकाकुल करने वाली। हिंद- प्रशांत में उनकी सोच हमेशा साकार रहेगी।
यादगार नेतृत्व…ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा, उनका वैश्विक नेतृत्व हमेशा याद रहेगा।
महान पीएम…फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा, उन्होंने दुनिया में व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए काम किया।
विनाशकारी समाचार…ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बानीस ने कहा, आबे का जाना विनाशकारी है। उन्होंने हमारे आपसी रिश्तों को नई दिशा दी।
लेकिन चीनियों की बेशर्मी…चीन की दबंगई का विरोध करने से वहां आबे को उन्हें नफरत की निगाह से देखा जाता रहा है। हत्या के बाद चीनी राष्ट्रवादी जश्न मनाने की बेशर्मी दिखाते रहे। ऑस्ट्रेलिया में चीनी कार्टूनिस्ट और मानवाधिकार कार्यकर्ता बडिकाओ ने विभिन्न चीनी सोशल मीडिया अकाउंट की टिप्पणियां साझा कीं। इन टिप्पणियों में हमलावर को हीरो कहा गया था।