विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की राह और मुश्किल हो चुकी है! देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। मतदान की तारीख नजदीक आते ही सियासी खेमों में हलचल बढ़ गई है। भाजपा की अगुआई वाली एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा जोरशोर से प्रचार करने में जुटे हैं। दोनों अलग-अलग राज्यों में जाकर राजनीतिक दलों से समर्थन मांग रहे हैं। इस बीच, विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा गुरुवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे। यहां समाजवादी पार्टी कार्यालय में उनके लिए बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान समाजवादी पार्टी और रालोद के सारे विधायक और सांसद भी मौजूद रहे।
यशवंत सिन्हा को अब तक कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम) समाजवादी पार्टी, रालोद, आरएसपी, टीआरएस, डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस, भाकपा, आरजेडी, केरल कांग्रेस (एम) जैसे कई दलों का समर्थन मिल चुका है। यशवंत के पास अभी करीब तीन लाख 89 हजार वैल्यू के वोट हैं। केरल के छोटे-बड़े सभी दलों ने यशवंत सिन्हा को ही समर्थन दिया है। ऐसे में संभव है कि यहां से एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को यहां एक भी वोट न मिले। यूपी में समाजवादी पार्टी की अगुआई में विपक्ष के कुछ दलों ने यशवंत सिन्हा को समर्थन दिया है। बहुजन समाज पार्टी ने पहले ही एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान कर दिया है। अब सपा गठबंधन में शामिल रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से भी यशवंत सिन्हा को झटका लग सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यशवंत सिन्हा के लिए आयोजित कार्यक्रम में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर और उनके विधायकों को नहीं बुलाया गया। ओपी राजभर की पार्टी के छह विधायक हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव के इस कदम से नाराज चल रहे राजभर एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे सकते हैं। इसके लिए अगले एक या दो दिन में वह एलान भी कर देंगे।
एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अब तक भाजपा के अलावा बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर, शिरोमणि अकाली दल, जेडीयू, एआईएडीएमके, लोक जन शक्ति पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले), एनपीपी, एनपीएफ, एमएनएफ, एनडीपीपी, एसकेएम, एजीपी, पीएमके, एआईएनआर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी, यूडीपी, आईपीएफटी, यूपीपीएल जैसी पार्टियों ने समर्थन दे दिया है। विपक्ष में होने के बाद भी बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर, अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया है। इन सभी के पास 6 लाख वैल्यू से ज्यादा के वोट हैं। ये आंकड़ा जीतने के लिए जरूरी संख्या से काफी ज्यादा है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए ज्यादातर बड़ी पार्टियों ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। लेकिन अभी भी कुछ दलों की स्थिति स्पष्ट नहीं है। पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। 10 राज्यसभा सांसद भी हैं। अभी तक आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ साफ नहीं किया है। इसके अलावा टीडीपी, झामुमो ने भी अब तक कुछ साफ नहीं किया है। शिवसेना ने भी अब तक आंतरिक कलह के चलते किसी भी उम्मीदवार के समर्थन का एलान नहीं किया है। हालांकि, माना जा रहा है कि भाजपा के साथ सरकार बनाने वाले विधायक और ज्यादातर सांसद एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को ही सपोर्ट करेंगे।
राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के निर्वाचित सांसद, सभी राज्यों के विधायक वोट करते हैं। इनके वोट की कुल वैल्यू 10 लाख 86 हजार 431 होती है। इस तरह जीत के लिए आधे से एक वोट की ज्यादा जरूरत होती है। मतलब उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम पांच लाख 43 हजार 216 वोट चाहिए होंगे। अभी भाजपा के पास करीब छह लाख वैल्यू के वोट हैं। मतलब जीत के लिए निर्धारित वोट से कहीं ज्यादा, वहीं सिन्हा के पास करीब तीन लाख 89 हजार वैल्यू के वोट हैं। मतलब जीत के लिए निर्धारित वोट वैल्यू से करीब डेढ़ लाख कम। ऐसे में अब तक जो आंकड़े दिख रहे हैं, उससे साफ पता चलता है कि द्रौपदी मुर्मू ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सकती हैं।राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के निर्वाचित सांसद, सभी राज्यों के विधायक वोट करते हैं। इनके वोट की कुल वैल्यू 10 लाख 86 हजार 431 होती है। इस तरह जीत के लिए आधे से एक वोट की ज्यादा जरूरत होती है। मतलब उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम पांच लाख 43 हजार 216 वोट चाहिए होंगे।