क्या आपके बच्चों को निमोनिया हुआ है? तो करें यह उपाय!

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आपने अक्सर देखा होगा कि आपके बच्चों को सर्दियों के समय निमोनिया या पसली चलने की बीमारी हो जाती है! क्या आप जानते हैं जब बच्चों को निमोनिया होता है तो उनकी हालत बहुत गंभीर हो जाती है? क्या आप यह जानते हैं कि निमोनिया के कारण हर साल दुनिया भर में हजारों बच्चों की मृत्यु हो जाती है? क्या आपको यह पता है कि यह बीमारी बच्चों सहित वयस्क लोगों को भी हो सकती है? जी हां, यह सच है। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है। इस रोग में फेफड़ों में सूजन आ जाती है। फेफड़ों में पानी भर जाता है। सही समय पर लक्षणों की पहचान कर उपचार शुरू नहीं करने पर यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। क्या आप निमोनिया के लक्षणों के बारे में जानते हैं?निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह बैक्टीरिया, वायरस अथवा पेरासाइट्स के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा निमोनिया सूक्ष्म जीव, कुछ दवाओं, और अन्य रोगों के संक्रमण से भी हो सकता है।

निमोनिया होने पर फ्लू जैसे लक्षण महसूस होते हैं। ये लक्षण धीरे-धीरे या फिर तेजी से विकसित हो सकते हैं।

निमोनिया का मुख्य लक्षण खाँसी है।

रोगी कमजोर और थका हुआ महसूस करता है।

बलगम वाली खाँसी से ग्रस्त होना।

रोगी को बुखार के साथ पसीना और कंपकंपी भी हो सकती है।

रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है, या फिर वो तेजी से सांस लेने लगता है।

सीने में दर्द होना।

बेचैनी महसूस होना।

भूख कम लगना।

छोटे बच्चों को निमोनिया होने पर ये लक्षण सामने आते हैंः-

छोटे बच्चों को बुखार के साथ पसीना व कंपकंपी होने लगती है।

जब बच्चों को बहुत ज्यादा खाँसी हो रही हो।

वह अस्वस्थ दिख रहा हो।

उसे भूख ना लग रही हो।

यह विभिन्न बैक्टीरिया जैसे- स्ट्रेप्टीकोकस निमोने के कारण होता है। यह तब होता है, जब शरीर कमजोर हो जाता है। किसी तरह की बीमारी, पोषण की कमी, बुढ़ापा आदि में बैक्टीरिया से ग्रस्त होने पर निमोनिया हो सकता है। बैक्टीरियल निमोनिया सभी उम्र को प्रभावित कर सकता है।

इसके कुछ अलग लक्षण होते हैं। यह माइकोप्लासम निमोने नामक जीवाणु के कारण होता है।इस प्रकार का निमोनिया किसी भोजन, तरल पदार्थ या धूल से होता है। निमोनिया के इस प्रकार को कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है।वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या अन्य जीवों से निमोनिया हो सकता है।

कई प्रकार के जीवाणुओं से निमोनिया हो सकता है।

ज्यादातर मामलों में निमोनिया करने वाले जीव (बैक्टीरिया या वायरस) का पता परीक्षण से भी नहीं लग पाता।

एक कप दूध में चार कप पानी डालें। इसमें आधा चम्मच लहसुन डालकर उबाल लें। उबलने के बाद जब यह चौथाई (¼) रह जाए तो दिन में दो बार सेवन करें।भाप लेने से संक्रमण में कमी आती है। इससे रोगी की सांस लेने की क्षमता भी बेहतर होती है। भाप से खांसी कम होती है, और छाती की जकड़न भी दूर हो जाती है।

सरसों के गुनगुने तेल में हल्दी का पाउडर मिलाएं। इससे अपनी छाती पर मसाज करें। इससे निमोनिया से बचाव होता है। यह लाभ पहुंचाता है।हल्दी भी सांसों की तकलीफ को दूर करने में मददगार होती है। यह कफ को कम करती है। दिन में 2 बार गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर सेवन करें।

आधा चम्मच हल्दी और चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर को एक गिलास गुनगुने पानी में मिला लें। दिन में एक बार इसका सेवन करें।तुलसी के पत्तों के रस में ताजी पिसी काली मिर्च मिलाएं। हर छह घण्टे बाद इसका सेवन करें। यह आपको निमोनिया से राहत पहुंचाने में मदद करेगा।पुदीना जलन और बलगम को कम करता है। पुदीने की ताजा पत्तियां लेकर चाय बनाएं। यह निमोनिया की दवा के रूप में काम करता है।

गाजर के जूस में कुछ लाल मिर्च डालकर पी सकते हैं। यह दोनों ही निमोनिया के इलाज के लिए मददगार होते हैं। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।एक कप पानी में मेथी के दाने, एक चम्मच अदरक का पेस्ट, एक लहसुन की कली और थोड़ी-सी काली मिर्च डालें। इसे पांच मिनट तक उबाल लें। इसमें आधा चम्मच शहद भी मिला लें। दिन में 3 से 4 बार इसका सेवन करें।

निमोनिया के दौरान सब्जियों के जूस जैसे- गाजर का जूस, पालक का जूस, चुकंदर का जूस, खीरे का जूस और अन्य सब्जियों के जूस आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।

खांसी ठीक करने के लिए एक गिलास पानी में आधा चम्मच नमक डालकर गरारे करें। इसकी मदद से आपके गले में मौजूद बलगम और जलन कम होगी।

एक कप कॉफी लेने से सांसों की तकलीफ दूर हो जाती है।अपने सामान्य आहार को बनाए रखने की कोशिश करें, क्योंकि ठीक होने के लिए संतुलित भोजन करना जरूरी है।

रोज 6 से 8 गिलास पानी पीना चाहिए।

रोज हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का सेवन करना चाहिए।

दही, मिल्क शेक आदि डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें।

मीट, मछली या अण्डे के हल्के भोजन का सेवन करें।

अच्छे से पकाई हुई सब्जियों का सेवन करें।