सऊदी अरब को हमेशा से ही एक शक्तिशाली देश माना जाता रहा है! सऊदी अरब के शक्तिशाली प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इन दिनों खूब चर्चा में हैं। उनकी चर्चा इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति जो बाइडन को अपनी ताकत के आगे झुकने को मजबूर कर दिया है। यही कारण है कि प्रिंस सलमान के चाल-चलन से नाखुश होने के बावजूद भी जो बाइडेन को मजबूरी में सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा करनी पड़ रही है। सऊदी अरब के शक्तिशाली क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान चार साल पहले पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर अंतरराष्ट्रीय आक्रोश से बेपरवाह होकर उभरे हैं। जो पश्चिमी नेता उस समय मोहम्मद बिन सलमान को अलग-थलग करना चाहते थे, वे आज उनका समर्थन पाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रिंस सलमान से नाराज थे बाइडेन!
जो बाइडेन ने भी सऊदी अरब के शक्तिशाली क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पर खशोगी की हत्या का आदेश देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बॉयकाट किया जाना चाहिए। लेकिन, वही जो बाइडेन आज सऊदी अरब का दौरा कर रहे हैं। उन्हें आशा है कि उनके इस दौरे से सऊदी अरब कच्चे तेल की कीमतों में कटौती करने को राजी हो जाएगा। कई यूरोपीय नेताओं ने भी बाइडेन के नक्शेकदम पर चलते हुए 2018 में इस्तांबुल में सऊदी दूतावास में खशोगी की हत्या को लेकर सऊदी की निंदा की थी, लेकिन वो भी मानते हैं कि इस वैश्वित ऊर्जा दिग्गज को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
मोहम्मद बिन सलमान मात्र केवल 36 वर्ष के हैं। उनके बुजुर्ग पिता किंग सलमान जल्द ही सऊदी अरब की सत्ता उन्हें सौंप सकते हैं। प्रिंस रहने के बाद भी सलमान ने अपनी छाप न केवल देश बल्कि विदेशों में भी छोड़ी है। किंग सलमान का स्वास्थ्य ज्यादा ठीक नहीं रहता है, ऐसे में देश की कमान अघोषित रूप से प्रिंस सलमान के हाथों में ही रहती है। उन्होंने न सिर्फ अपने देश, बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ी है। उन्होंने एक सशक्त विदेश नीति को अपनाया, जिसने सऊदी के वर्चस्व को कई गुना बढ़ा दिया। हालांकि ऐसा करने के चक्कर में उन्होंने अपने कई विरोधियों के जबरन मुंह भी बंद करवाए।
उन्होंने ऐसे कई कदम उठाए, जिससे उनके प्रशंसक काफी खुश हुए। हालांकि, उन्होंने अपने इन कदमों से पारंपरिक सहयोगियों को काफी परेशान भी किया। उनके कार्यकाल में सऊदी में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं में भी काफी इजाफा हुआ। सऊदी के प्रशंसक से आलोचक बने जमाल खशोगी की हत्या ने प्रिंस सलमान की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया। हालांकि, उन्होंने ऐसे किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने से इनकार किया। इसके बावजूद एक नेता के रूप में उन्होंने इस घटना की जिम्मेदारी को स्वीकार किया है।
इस हत्या ने कई निवेशकों को डरा दिया था। इससे पहले माना जाता था कि प्रिंस सलमान सऊदी अरब को रूढ़िवादी विचारधारा से बाहर निकाल रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सऊदी को एक उदार देश के तौर पर स्थापित करने की बहुत कोशिश भी की। लेकिन खशोगी की हत्या ने उनकी छवि पर गहरा दाग लगा दिया। अमेरिका समेत कई यूरोपीय देश खुलकर प्रिंस सलमान की आलोचना करने लगे थे, लेकिन इस मुखर नेता ने वास्तविकता का सामना करते हुए मध्यपूर्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश की सत्ता को संभाले रखा। यही कारण है कि उनके कई आलोचक इस समय पीछे हट चुके हैं।
परिवार की बगावत को बखूबी दबाया
2015 में मोहम्मद बिन सलमान के सऊदी अरब का क्राउन प्रिंस बनते ही शाही परिवार में बगावत शुरू हो गई थी। लेकिन प्रिंस सलमान ने इस बगावत को सफलता पूर्वक दबाया और इसकी शुरुआत करने वाले अपने प्रतिद्वंदियों को हाशिए पर डाल दिया। उन्होंने 2017 में तख्तापलट की कोशिश करने वाले अपने एक चचेरे भाई को भी सबक सिखाया। उन्होंने चंद दिनों में सऊदी सेना और खुफिया एजेंसियों पर भी अपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद उन्होंने कई शाही और अन्य प्रमुख सउदी लोगों को गिरफ्तार किया। उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में रियाद के रिट्ज-कार्लटन होटल में महीनों तक कैद रखा गया।
इतना ही नहीं, प्रिंस सलमान ने ने सउदी के लिए रोजगार पैदा करने और वित्तीय सुधारों को शुरू करने के लिए नए उद्योगों को विकसित करने के उद्देश्य से व्यापक बदलावों की घोषणा की। उनके हाई प्रोफाइल सामाजिक सुधारों में सिनेमा और सार्वजनिक मनोरंजन की अनुमति देना शामिल है। उन्होंने सऊदी अरब में महिलाओं के ड्राइविंग पर लगे प्रतिबंध को भी समाप्त कर दिया। प्रिंस सलमान सऊदी अरब के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय भी हैं। इसके बावजूद शाही परिवार के कुछ सदस्यों ने सत्ता पर मोहम्मद बिन सलमान की पकड़ से नाराजगी जताई और 2019 में सऊदी तेल संयंत्रों पर अभूतपूर्व हमलों के बाद उनके नेतृत्व पर सवाल उठाया।