Friday, September 20, 2024
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देश की बढ़ती जनसंख्या पर संघ के मन में क्या है?

देश की आबादी दिनों दिन बढ़ती जा रही है, आंकड़ों के मुताबिक अगर इसी प्रकार चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब चीन भी हमसे पीछे हो जाएगा! दुनिया का एक छोटा सा देश है इजरायल। 20 हजार वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैले इस देश की आबादी मात्र 95 लाख है। जबकि अपने देश में अकेले दिल्ली में 2 करोड़ लोग रहते हैं। चारों तरफ इस मिडिल ईस्ट देश के दुश्मन हैं लेकिन यहूदी बहुल इजरायल की तरफ कोई बुरी नजर डालने की हिम्मत नहीं कर सकता। जो हिमाकत करता भी है उसे अत्याधुनिक हथियारों से ढेर कर दिया जाता है। ऐसे समय में जब अपने देश में जनसंख्या पर बहस छिड़ी हुई है, इजरायल का उदाहरण हर देशवासी की सोच को बदल सकता है। पूरी दुनिया उसकी पावर को मानती है, वह चाहे खेती के क्षेत्र में हो या टेक्नोलॉजी में। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी खुलकर इजरायल का उदाहरण देता है और जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत पर जोर देता है। जब पिछले दिनों जनसंख्या नियंत्रण की चर्चा पर आलोचना शुरू हो गई संघ प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कह दिया कि केवल खाना-पीना और आबादी बढ़ाना तो पशु भी करते हैं। जो ताकतवर है वही सर्वाइव करता है। दरअसल RSS का संदेश साफ है देश को इजरायल की तरह अपना प्रभाव और ताकत बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए। अगर रास्ते में आबादी रुकावट बनती है तो उस पर सख्त फैसले लेने से नहीं हिचकना चाहिए।भागवत पहले ही इजरायल का उदाहरण दे चुके हैं। तब उन्होंने कहा था, ’70 साल में हमने कितनी तरक्की की है यह हमें इजरायल जैसे छोटे देश से सीखने की जरूरत है।’ ऐसे समय में जब बातें होने लगी हैं कि क्या जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून की जरूरत है। तर्क पर तर्क दिए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही। संघ का रुख जानना महत्वपूर्ण हो जाता है। दरअसल, विश्व जनसंख्या दिवस पर सामने आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अगले साल दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन सकता है, अभी चीन पहले पायदान पर है। 2022 में भारत की आबादी 1.412 अरब है, जबकि चीन की आबादी 1.426 अरब है। इससे देश में संसाधनों को लेकर चिंता बढ़ने लगी है।

इजरायल से सीखने की जरूरत

कुछ समय पहले RSS चीफ भागवत ने कहा था कि आज दुनिया में इजरायल की धाक है। उसको हाथ लगाया तो अंजाम भुगतना होगा। हमारा देश करोड़ों की जनसंख्या वाला देश बन गया है। वह यह भी कह चुके हैं कि भारत को इजरायल जैसा बनना होगा। वह पूरी दुनिया में अन्न और फल की आपूर्ति कर रहा है। हमारा देश भी इजरायल से तकनीक सीख रहा है। दरअसल, इजरायल एक तरफ बॉर्डर पार से हमलों का सामना कर रहा है तो दूसरी तरफ उसने तकनीक, खेती, टैलेंट पूल में अलग मुकाम हासिल किया है। 70 साल में वह कृषि से लेकर उच्च तकनीकी अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है। दुनिया का सुपरपावर बनने वाला अमेरिका भी इजरायल के साथ खड़ा दिखता है। यह देश उद्योगों की वजह से आत्मनिर्भर बन चुका है। यहां की खुफिया एजेंसी मोसाद को दुनिया में सबसे खतरनाक माना जाता है। भागवत का साफ कहना है कि आबादी पर अंकुश लगाने के साथ ही भारत को ताकतवर बनने की जरूरत है। अगर सारे संसाधन विशाल आबादी का पेट भरने में ही खत्म हो जाएंगे तो देश की तरक्की रुक जाएगी।

आंकड़े क्या बोले?

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि चीन के अलावा दुनिया के 22 देशों (अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, स्पेन, क्यूबा, ग्रीस आदि) के बराबर जनसंख्या भारत की है। अगर क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो इन 22 देशों का कुल क्षेत्रफल हमसे 20 गुना ज्यादा है। रूस का क्षेत्रफल हमसे पांच गुना ज्यादा है और उसकी आबादी 15 करोड़ है। चीन का क्षेत्रफल हमसे तीन गुना ज्यादा है, उसकी आबादी 143 करोड़ है। अमेरिका का क्षेत्रफल हमसे तीन गुना ज्यादा है उसकी आबादी 33 करोड़ है।दरअसल, इस समय भारत में जनसंख्या हॉट टॉपिक बन चुका है। नेताओं के बयान आ रहे हैं। सीमित संसाधनों से विशाल जनसंख्या का पेट कैसे भरा जाएगा? यह सवाल हर बुद्धिजीवी के जेहन में है। हालिया चर्चाओं से संदेश ऐसे गया है जैसे जल्द ही सरकार कानून लाने की तैयारी कर रही है। ऐसे में कुछ लोगों में बेचैनी भी देखी जा रही है। दरअसल, भाजपा शुरू से ही जनसंख्या नियंत्रण की पहल पर जोर देती रही है, पर कुछ मुस्लिम नेता आबादी पर अलग तर्क देते हैं।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हमारे पास सीमित संसाधन हैं। हमारी आबादी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रही है। 10-10 बच्चे पैदा करने वाली विकृत मानसिकता पर भी अंकुश लगाने की जरूरत है। देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य के मुखिया, सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसा न हो कि किसी वर्ग की आबादी बढ़ने की स्पीड, उनका प्रतिशत ज्यादा हो और जो मूल निवासी हों उन लोगों की आबादी के स्थिरीकरण में हम लोग जागरूकता या इन्फोर्समेंट के माध्यम से उसे नियंत्रित कर जनसंख्या संतुलन की स्थिति पैदा करें। दरअसल, एक धर्म विशेष को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं इसलिए योगी के बयान की आलोचना होने लगी।

संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने बच्चे पैदा करने का ताल्लुक अल्लाह से बता दिया। योगी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का एकमात्र उद्देश्य 2024 में होने वाले चुनावों में वोट हासिल करना है, जिसके लिए वह किसी भी कीमत पर लोगों का नजरिया बदलना चाहती है। बर्क ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए सरकार कानून लाने के बजाय तालीम पर जोर दे। उधर, सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सबसे ज्यादा गर्भनिरोधक मुसलमान इस्तेमाल करते हैं… भारत में जबरन कानून की जरूरत नहीं है। मायावती ने भाजपा पर जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर लोगों को भ्रमित करने और वास्तविक प्राथमिकता से भटकाने का आरोप लगाया। मायावती का इशारा योगी के उस बयान पर था जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में जनसंख्या असंतुलन अराजकता का कारण बन सकती है।जनसंख्या पर चली चर्चा के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस पर अपना रुख स्पष्ट किया। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मनुष्य के पास अगर बुद्धि नहीं होती तो इंसान धरती पर सबसे कमजोर होता। लेकिन केवल खाना-पीना और आबादी बढ़ाना ये तो पशु भी करते हैं। जो ताकतवर है जी लेगा, जंगल का यही नियम है।

ताजा नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे बताता है कि देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार घटी है। देश में बच्चे पैदा करने की रफ्तार 2.2% से घटकर 2% रह गई है। संघ कहता रहा है कि 50 साल आगे के बारे में सोचकर नीति बनानी चाहिए और उसे सभी पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। कुछ महीने पहले ही भागवत ने कहा था कि अभी भारत युवाओं का देश है। अभी 56-57 प्रतिशत युवा हैं। 30 साल बाद ये सभी बूढ़े बनेंगे।

भागवत कहते रहे हैं कि संघ हमेशा से दो बच्चों के समर्थन में रहा है। हालांकि अंतिम फैसला केंद्र सरकार को करना है। संघ चाहता है कि जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता पर सरकार व्यापक सहमति बनाए। इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों पर कानूनी फैसला करने से पहले व्यापक चर्चा हो और समाज के हर वर्ग को विश्वास में लिया जाए।

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