भारत हमेशा विदेशियों का आंखों का काट रहा है! अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने पिछले हफ्ते भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना के उस संशोधन बिल को पूर्ण बहुमत से पास कर दिया, जिसमें काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट यानि CAATSA के तहत भारत को प्रतिबंधों से विशेष छूट देने का आह्वान किया गया था। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने 330-99 के बहमत के साथ इस संशोधन प्रस्ताव को पास कर दिया। CAATSA उन देशों पर प्रतिबंध लगाता है, जो उन देशों से व्यापार करते हैं, जिनपर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। इन देशों में ईरान, उत्तर कोरिया और रूस जैसे देशों का नाम है और चूंकी भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्मट खरीदा था, लिहाजा भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध की तलवार लटक रही थी, लेकिन संशोधन बिल पास होने के बाद अब भारत पर प्रतिबंध लगने की संभावना करीब करीब खत्म हो चुकी है, लेकिन वोटिंग के दौरान सबसे चौंकाने वाली बात ये रही, कि बाइडेन की पार्टी के पांच सांसदों ने भारत के खिलाफ वोट दिया, जो उन 6 लोगों की लिस्ट के हैं, जो भारत से बेइंतहां नफरत करते हैं।हालांकि, वाशिंगटन ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह 2018 में रूस से एस-400 मिसाइलों की नई दिल्ली की खरीद पर भारत पर प्रतिबंध लागू करेगा या माफ करेगा। लेकिन, माना यही जा रहा है, कि अमेरिका भारत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि एशिया में चीन को काउंटर करने के लिए अमेरिका के पास सिर्फ भारत ही एकमात्र विकल्प है। यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव से ‘एनडीएए’ कानून में संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद सांसद रो खन्ना ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, ‘यह स्मारकीय संशोधन अमेरिका और भारत के परमाणु समझौते के बाद से कांग्रेस से बाहर अमेरिका और भारत के संबंधों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कानून है। रो खन्ना ने कहा कि, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका को चीन से बढ़ती आक्रामकता का सामना करने के लिए भारत के साथ खड़ा होना चाहिए।
भारत के खिलाफ हुआ वोट
‘एन ब्लॉक’ संशोधन के खिलाफ मतदान करने वाले 99 सांसदों में से पांच डेमोक्रेट थे। और इनके नाम हैं, न्यूयॉर्क की रहने वाली अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज, मिनेसोटा की सांसद इल्हान उमर, मिशिगन की सांसद रशीदा तलीब, न्यूयॉर्क के सांसद जमाल बोमन और मिसौरी के कोरी बुश। ये सभी डेमोक्रेटिक पार्टी के छह सदस्य वामपंथी गैंग के हैं, जिन्हें ‘द स्क्वाड’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि, इस ग्रुप के छठे सदस्य अयाना प्रेसली, जो मैसाचुसेट्स के सांसद हैं, उन्होंने भारत के समर्थन में अपना वोट डाला था, जिसने सभी को हैरान कर दिया, क्योंकि ये सभी सांसद भारत से अपनी नफरत के लिए जाने जाते हैं। ‘द स्क्वाड’ ने अभी तक ये नहीं बताया है, कि आखिर उन्होंने संशोधन के खिलाफ वोट क्यों डाला। हालांकि, ये संशोधन अभी तक कानून नहीं बना है और इसे अभी सदन और सीनेट, दोनों जगहों पर भेजा जाएगा और पास होने के बाद राष्ट्रपति बाइडेन के हस्ताक्षर के बाद ही ये बिल कानून बनेगा।द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इन सभी सांसदों ने मिलकर ‘द स्क्वॉड’ का गठन किया है और ये सभी मिलकर हालिया सालों में लगातार मोदी सरकार के खिलाफ जहरीली बयानबाजी कर रहे हैं। इनमें से एक इल्हान उमर तो पिछले दिनों पाकिस्तान भी जा चुकी है, जहां वो पीओके पहुंच गई थी, वहीं पिछले महीने इल्हान उमर ने भारत के खिलाफ अमेरिकी संसद में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर कार्रवाई करने का प्रस्ताव पेश किया था।
क्या है ‘The Squad’?
‘द स्क्वाड’ अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में छह वामपंथी डेमोक्रेट के एक समूह का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक बोलचाल शब्द है। यह शुरू में चार अल्पसंख्यक सांसदों ओकासियो-कोर्टेज़, उमर, प्रेसली और तलीब से बना था। ये सभी सांसद 50 साल से कम उम्र के हैं और पहली बार अमेरिका में सांसद चुने गये हैं। यह शब्द पहली बार नवंबर 2018 में आया था, जब Ocasio-Cortez ने चार महिलाओं की एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट की थी और कैप्शन में ‘स्क्वाड’ लिखा था। एक साल के भीतर यह उपनाम मीडिया और राजनीतिक हलकों में चर्चा में आ गया था। ये ग्रुप अकसर भारत और मोदी सरकार के खिलाफ जहरीली बयानबाजी करता रहता है।शुरूआत में स्क्वाड विशेष रूप से ट्रम्प प्रशासन की नीतियों का विरोध करता था और इसके एक सदस्य तलीन ने साल 2019 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। चूंकी ये सभी सांसद किसी और देश से आए हुए हैं, लिहाजा अकसर अमेरिका में इनको लेकर कहा जाता है, कि ये किसी और देश से आकर अब अमेरिका को ज्ञान दे रही हैं। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने उस वक्त जवाब देते हुए कहा था, कि ‘आप वापस अपने देश क्यों नहीं जाते हैं और वहां जो कमियां हैं, उन्हें ठीक कर क्यों नहीं दिखाते हैं।’ वहीं, साल 2021 में सांसद बोमन भी इस स्क्वाड का हिस्सा बन गये।
भारत के खिलाफ क्या – क्या बोले?
स्क्वाड के कुछ सदस्य विशेष रूप से मोदी सरकार के अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार की आलोचना करते रहे हैं। 22 जून को, इल्हान उमर ने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भारत को ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में नामित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। यह भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यक, खासकर मुसलमानों को लेकर था और आरोप लगाया गया था, कि भारत में मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार किया जाता है, लिहाजा भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएं। उमर ने इससे पहले अप्रैल में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के दौरा किया था, जिसको लेकर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। वहीं, Ocasio-Cortez ने मोदी सरकार पर ‘देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को जातीय रूप से खत्म करने’ का आरोप लगाया था। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के दौरान उन्होंने ये टिप्पणी की थी।
वहीं, इस ग्रुप के एक और सदस्य तालीब ने भारत में सीएए को लेकर चल रगे प्रदर्शन के दौरान और कृषि कानून को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौकान मोदी सरकार की आलोचना की थी। सितंबर 2019 में, उन्होंने जम्मू-कश्मीर में विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत सरकार के फैसले की भी कड़ी निंदा की थी, साथ ही साथ ‘इंटरनेट बैन’ को लेकर भी मोदी सरकार की आलोचना की थी और आरोप लगाया था, कि मोदी सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हनन कर रही है। उन्होंने कहा था कि, ‘मैं भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की जिम्मेदारी स्वीकार करने और जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराने का आग्रह करती हूं।’