बढ़ती उम्र के साथ शरीर कमजोर होना शुरू हो जाता है! उम्र बढ़ने के साथ ही हमारा शरीर कमजोर होने लगता है। शरीर का लचीलापन खत्म होने के साथ ही निष्क्रिय होने लगता है। ऐसे में खुद को स्वस्थ और फ्लैक्सीबल रखने के लिए नियमित तौर पर एक्सरसाइज, अच्छी और हेल्दी डाइट समेत कई उपाय हैं, लेकिन सबसे कारगर है योग। नियमित योगासन से 50 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों का शरीर एक्टिव हो जाएगा। उनके शरीर का खोया हुआ लचीलापन वापस आ जाएगा। ऐसे में रोजाना योगासन जरुरी है। योग हर बीमारी की दवा है। शरीर को फ्लेक्सिबल बनाने के लिए चार ऐसे योगासन हैं, जिन्हें रोजाना करना चाहिए। 50 साल से अधिक उम्र के लोगों व बुजुर्गों के लिए योगासन लाभप्रद हैं। ये शरीर में होने वाली समस्याओं को दूर करने के साथ बुजुर्गों को एक्टिव और हेल्दी रखने में मदद करता है!
कौन कौन से है आसन?
पर्श्वोत्तनासन – यह आसन कमर, हथेली और शरीर के निचले हिस्से को मजबूत बनाने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होकर सांस खींचते हुए हल्का सा कूदें। इस दौरान एक पैर को तीन से चार फीट की दूरी पर रखें। दोनों हाथों को हिप्स रखते हुए दाएं पैर को आगे बढ़ाएं। फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस खींचते हुए जमीन पर हाथों को रखें। अपना माथा दाएं पैर के घुटने से टच कराएं। इस स्थिति में कुछ समय रहने के बाद पुन: सीधे खड़े होकर दूसरे पैर से ये आसन करें।
अधोमुखश्वानासन – इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले हथेलियों को घुटनों से शुरू करते हुए कंधों के नीचे तक ले जाएं और घुटनों को हिप्स के नीचे करें। इसके बाद अपने हिप्स को ऊपर उठाकर अपने घुटनों को सीधा करें। अब आपको उल्टा वी आकार बनाना है, इसके लिए आपको अपने पैरों को संयोजित करना है। फिर एड़ी को फर्श से छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड रहने के बाद इसे फिर से दोहराएं।
मालासन – इस आसन को करने के लिए सबसे पहले मलत्याग करने की अवस्था में बैठ जाएं। अब नमस्कार की मुद्रा बनातें हुए दोनों हाथों की कोहनियों को घुटनों से लगा दें। इसी मुद्रा में रहते हुए धीरे-धीरे सांस अंदर खींचें और बाहर छोड़ें। कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद आराम से खड़े हो जाएं। इस आसन को प्रतिदिन सुबह उठकर कम से कम दस मिनट करना चाहिए।
उत्तानासन – इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों को लंबी सांस लेते हुए ऊपर की ओर ले जाएं और फिर सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे जमीन की ओर ले जाएं। ऐसा करते समय अपने पैरों के अंगूठे को छूने की कोशिश करें। फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं।
योग आसन यौगिक व्यायाम या आसन हैं। ऋषि पतंजलि ने अपने योग सूत्र को ‘स्थिरम सुखम आसनम’ के रूप में परिभाषित किया है, जिसका अर्थ है, आसन एक योगासन है जो शरीर को एक स्थिर और आरामदायक स्थिति में रखता है।योग का एक ऐसा ही आसन पर्वतासन भी है। इस आसन के अभ्यास से योगी पर्वत के समान गंभीर होना सीख सकता है। ये आसन दिखने में साधारण होने के बाद भी बहुत फायदेमंद है।
भारत के महान योग गुरुओं के बनाए शास्त्रीय या अष्टांग योग को परमात्मा को पाने का सहज मार्ग बताया गया है। इन योग में आसन तीसरे चरण पर माना जाता है। योग आसन या आसन में सांस्कृतिक आसन और ध्यान मुद्राएं होती हैं।
योग आसन का उद्देश्य शारीरिक शक्ति, चपलता, संतुलन और स्थिरता प्राप्त करना है। योग आसन शरीर और मन को फिट और बीमारियों से मुक्त रखते हैं। योग आसन भौतिक शरीर को अग्रिम योग अभ्यासों के लिए उपयुक्त बनाते हैं और उच्च चेतना के साथ आध्यात्मिक मिलन के सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करते हैं।
पर्वतासन को मुख्य रूप से अष्टांग योग का आसन माना जाता है। ये आसन बेसिक या प्राइमरी लेवल के योगियों के करने के लिए बनाया गया है। इस आसन को सुखासन का ही वेरिएशन माना जाता है।पर्वतासन संस्कृत भाषा का शब्द है। ये शब्द मुख्य रूप से 2 शब्दों को मिलाकर बनाया गया है। पहले शब्द पर्वत का अर्थ पहाड़ होता है। जबकि दूसरे शब्द आसन का अर्थ, किसी विशेष परिस्थिति में बैठने, लेटने या खड़े होने की मुद्रा, स्थिति या पोश्चर से है।पर्वतासन को अंग्रेजी भाषा में Mountain Pose भी कहा जाता है। पर्वतासन का अभ्यास 1 मिनट से 5 मिनट तक करने की सलाह दी जाती है। इसके अभ्यास में कोई दोहराव नहीं करना पड़ता है।
पर्वतासन को दो तरीकों से किया जाता है। पहली मुद्रा में बैठकर जबकि दूसरी मुद्रा अधोमुख श्वानासन जैसी दिखती है। ये शरीर को उल्टा करने जैसा है। इससे पूरे शरीर में रक्त प्रवाह तेज हो जाता है।
पर्वतासन उन कामकाजी लोगों के लिए सबसे अच्छा है जिन्हें सख्त टाइम लिमिट में काम पूरा करना होता है। ये थोड़े समय में ही शरीर को आराम और स्ट्रेच दोनों देता है। पर्वतासन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी प्राकृतिक ‘एस’ आकार में आ जाती है।
पर्वतासन मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने में भी मदद करता है। इससे पूरे दिन काम करने के बाद भी स्पाइन में थकान जैसी चीजें नहीं होती हैं। इसीलिए पर्वतासन करने वाले लोगों को परफेक्ट बॉडी पोश्चर साथ में ही मिल जाता है।