भारत में बहुत पहले से ही धर्म विरोधी नारे लगते आ रहे हैं! एक से अधिक शादी या एक से अधिक पत्नी रखने की बात होती है तो हमारे दिमाग में सबसे पहली तस्वीर मुसलमानों की उभरती है। इसके पीछे वजह भी है। देश में एक से अधिक शादी या एक से अधिक बीवी रखना मुसलमानों में कानून सम्मत है। हालांकि, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) रिपोर्ट के आंकड़े एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं। NFHS की रिपोर्ट के अनुसार एक से अधिक शादी या पत्नी रखने का प्रचलन देश के अन्य समुदायों में भी है। हालांकि, सभी में एक से अधिक शादी या एक से अधिक बीवी रखने के मामलों में कमी आई है।
2019 के NFHS डेटा -20 से पता चलता है कि बहुविवाह का प्रचलन मुसलमानों में 1.9%, हिंदुओं में 1.3% और अन्य धार्मिक समूहों में 1.6% था। मुंबई के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन स्टडीज के फैकल्टी की तरफ से किए गए 2005-06, 2015-16 और 2019-20 के तीन NFHS सर्वे के आंकड़ों के विश्लेषण में यह बात सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार कुल मिलाकर, गरीब, अशिक्षित, ग्रामीण और अधिक उम्र वालों में बहुपत्नी विवाह अधिक पाया गया। हाल ही में प्रकाशित शोध संक्षिप्त के लेखकों ने कहा कि इस रिपोर्ट से यह संकेत भी मिलता है कि क्षेत्र और धर्म के अलावा विवाह के इस रूप में सामाजिक-आर्थिक कारकों ने भी एक भूमिका निभाई है। इसमें यह भी बताया गया है कि भारत में बहुविवाह का प्रचलन बहुत कम था और यब लुप्त हो रहा है।
मेघालय में एक से अधिक शादी सबसे अधिक
देश में बहुविवाह का प्रचलन 15-49 आयु वर्ग में विवाहित महिलाओं में अधिक है। यह संकेत देते हैं कि उनके साथी की एक से अधिक पत्नियां हैं। भारत में बहुपत्नी विवाह 2005-06 में 1.9% से घटकर 2019-20 में 1.4% हो गया है। अधिक जनजातीय आबादी वाले पूर्वोत्तर राज्यों में बहुविवाह करने वाली महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक है। यह मेघालय में 6.1% से लेकर त्रिपुरा में 2% तक है। दक्षिणी राज्यों और पूर्व में जैसे बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में उत्तर भारत की तुलना में बहुविवाह का प्रचलन अधिक है।
जाति समूहों की बात करें तो अनुसूचित जनजातियों में सबसे अधिक बहुविवाह प्रचलित है। इन जातियों में बहुविवाह का प्रतिशत कम होकर 2.4% रह गया है। साल 2005-06 में यह 3.1% था। इसके बाद अनुसूचित जाति में बहुविवाह 2005-06 में 2.2% के मुकाबले (2019-20 में 1.5%) कम है। इस प्रकार, आदिवासी आबादी के अधिक अनुपात वाले राज्यों में बहुविवाह का प्रचलन सबसे अधिक है। हालांकि, व्यापक पैटर्न में अपवाद हैं। उदाहरण के लिए, जहां अधिकांश राज्यों में हिंदुओं की तुलना में मुसलमानों में बहुविवाह का प्रचलन अधिक है, वहीं छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सच्चाई इसके उलट है।
टीओआई की स्टडी चिह्नित किए गए 40 जिलों को बहुविवाह सबसे अधिक देखा गया। महिला साक्षरता पर जनगणना के आंकड़ों के साथ-साथ कुल आबादी में धार्मिक समूहों और आदिवासियों की हिस्सेदारी के साथ इस सूची का विश्लेषण करने से पता चलता है कि बहुविवाह के अधिक प्रसार के कारण के रूप में किसी एक पृष्ठभूमि की विशेषता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। हालांकि मुख्य रूप से आदिवासी जिलों में ऐसा प्रतीत होता है। मेघालय में पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में बहुविवाह 20% के उच्च प्रसार से लेकर मध्य प्रदेश के अनूपपुर तक 3.9% के साथ 40वें स्थान पर है।
बहुविवाह के संबंध में धार्मिक समूहों की बात करें तो ‘अन्य’ समूह (2.5%) में सबसे कॉमन था। इसके बाद ईसाई (2.1%), मुस्लिम (1.9%) और हिंदू (1.3%) आते हैं। ईसाइयों के बीच एक से अधिक विवाह का उच्च प्रसार पूर्वोत्तर राज्यों के कारण हो सकता है। इन राज्यों में यह प्रथा अधिक आम है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि उच्च शैक्षणिक योग्यता रखने वालों की तुलना में बहुपत्नी विवाह सबसे गरीब महिलाओं और बिना औपचारिक शिक्षा वाली महिलाओं में अधिक प्रचलित थे। हालांकि, बहुत अधिक साक्षरता दर वाले तमिलनाडु और पूर्वोत्तर के जिलों में बहुविवाह का उच्च प्रसार दर्शाता है कि यह केवल साक्षरता के बारे में नहीं है। एनएफएचएस के सभी सर्वे में, 35 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में बहुविवाह की संख्या अधिक थी।बहुविवाह के संबंध में धार्मिक समूहों की बात करें तो ‘अन्य’ समूह (2.5%) में सबसे कॉमन था। इसके बाद ईसाई (2.1%), मुस्लिम (1.9%) और हिंदू (1.3%) आते हैं। ईसाइयों के बीच एक से अधिक विवाह का उच्च प्रसार पूर्वोत्तर राज्यों के कारण हो सकता है। इन राज्यों में यह प्रथा अधिक आम है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि उच्च शैक्षणिक योग्यता रखने वालों की तुलना में बहुपत्नी विवाह सबसे गरीब महिलाओं और बिना औपचारिक शिक्षा वाली महिलाओं में अधिक प्रचलित थे। हालांकि, बहुत अधिक साक्षरता दर वाले तमिलनाडु और पूर्वोत्तर के जिलों में बहुविवाह का उच्च प्रसार दर्शाता है कि यह केवल साक्षरता के बारे में नहीं है। एनएफएचएस के सभी सर्वे में, 35 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में बहुविवाह की संख्या अधिक थी।