पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को अपनी पार्टी से बर्खास्त कर दिया है, लेकिन शक की सुई अभी उनके ऊपर लटकी हुई है! पार्थ चटर्जी की बर्खास्तगी की मांग पार्टी फोरम से उठने के बाद उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया है। ममता बनर्जी कैबिनेट की दोपहर में बैठक हुई और इस मीटिंग के बाद पार्थ चटर्जी को सभी विभागों से हटा दिया गया है। इस मामले में पार्थ पर कार्रवाई में देरी होने पर सवाल भी उठ रहे हैं। एस सवाल यह भी है कि क्या सिर्फ सादगी वाली इमेज ममता की सरकार को कठघरे में खड़ा होने से रोक देगी।’2004 में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री का पद नहीं लिया और मनमोहन सिंह को कुर्सी पर बैठाया। उसको माना गया कि एक बहुत बड़ा बलिदान है। 2009 के चुनाव में इसका असर पड़ा। ममता का तनख्वाह ना लेना एक तरह से शुचिता की मिसाल है। देश की जनता बतौर इंडिविजुअल (व्यक्तिगत) लीडर देखती है। जैसे पीएम नरेंद्र मोदी में देश की जनता देखती है। इसलिए कोई बहुत असर नहीं पड़ना चाहिए लेकिन ममता को ये देखना होगा कि गवर्नेंस की क्वॉलिटी को लेकर जनता की धारणा खराब ना हो। जैसे अखिलेश यादव भ्रष्ट नहीं थे लेकिन उनके इर्द-गिर्द करप्ट लोग थे। मुलायम सिंह ने इन सबका बचाव किया। इससे अखिलेश यादव की इमेज खराब हुई। जहां तक ममता की बात है तो बंगाल के हाल के एसएससी घोटाले के बाद अगर शासन की क्वॉलिटी पर जनता सोचती है तो कहीं न कहीं ममता पर कुछ असर पड़ सकता है। ऐसे में ममता को इस पर तत्काल रोक लगाते हुए कोई बड़ा ऐक्शन लेना ही था।’
लोगों पर नहीं कर पा रहीं कंट्रोल?
ये बात सही है कि ममता अपनी शुचिता को लेकर सतर्क हैं लेकिन आसपास लोग क्या कर रहे हैं इस पर वो कंट्रोल नहीं कर पा रही हैं। ये एक खतरनाक स्थिति हो गई है। ममता का एसएससी घोटाले के मामले में अपने मंत्री पर ऐक्शन लेना जरूरी हो गया था। ममता बनर्जी के लिए मैसेज देना जरूरी हो गया था कि हम भ्रष्टाचार को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। लिहाजा उन्होंने अपने मंत्री पार्थ चटर्जी को बर्खास्त करते हुए सभी विभाग छीन लिए।’पार्थ चटर्जी ममता सरकार में उद्योग मंत्री थे। पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती को लेकर उन पर घोटाले का आरोप है। 2014 से 2021 के दौरान पार्थ के पास शिक्षा मंत्री का पद भी था। एसएससी घोटाले की जांच कर रही ईडी ने 23 जुलाई को पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था। वह तीन अगस्त तक ईडी की हिरासत में हैं। इसके अलावा उनकी करीबी और बंगाली एक्ट्रेस अर्पिता मुखर्जी को भी ईडी ने गिरफ्तार किया है। अर्पिता के दो फ्लैट्स से 49 करोड़ 80 लाख रुपये ईडी ने बरामद किए हैं। पार्थ चटर्जी का दक्षिण कोलकाता के नाकतला इलाके की डायमंड सिटी में एक आलीशान फ्लैट है, जो कथित तौर पर उनके पालतू कुत्तों को रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने पिछले मई महीने में कहा था कि ‘पार्थ के पास अपने पालतू कुत्तों के लिए एक फ्लैट है। वह इतनी संपत्ति के मालिक कैसे बन गए? इसका विवरण अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।’ पार्थ ने अपनी दिवंगत पत्नी की याद में पश्चिम मिदनापुर के पिंगला में बबली चटर्जी मेमोरियल इंटरनैशनल स्कूल खोला है। स्कूल के लिए 85 करोड़ रुपये में 27 बीघा जमीन खरीदी गई। इसे बनाने में कितनी लागत आई होगी, यह अलग सवाल है।ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैंने पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हटा दिया है। मेरी पार्टी सख्त कार्रवाई करती है। इसके पीछे कई कारण हैं लेकिन मैं विवरण में नहीं जाना चाहती।’ पार्थ चटर्जी फिलहाल उद्योग मंत्री थे। जब वह शिक्षा मंत्री थे उस दौरान यह घोटाला हुआ था जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया।
बंगाल के चीफ सेक्रेटरी की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, पार्थ चटर्जी को उद्योग मंत्री के पद से हटाए जाने के साथ-साथ बाकी पदों से भी हटाया गया। इसमें सूचना एवं प्रसारण विभाग, संसदीय मामलों से जुड़े विभाग भी शामिल हैं।
पार्थ चटर्जी को ईडी ने शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया है। पार्थ की गिरफ्तारी अर्पिता मुखर्जी के पकड़े जाने के बाद हुई थी। अर्पिता के घर पर मारे गए छापे में 20 करोड़ के करीब रुपये कैश मिला था। इसके बाद बुधवार को अर्पिता के दूसरे फ्लैट में छापेमारी की गई थी।
यहां भी 20 करोड़ रुपये कैश बरामद हुए। साथ ही कई किलो सोना भी वहां से बरामद हुआ था। ईडी का मानना है कि यह वही पैसा है जो कि शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले में घूस के तौर पर लिया गया था।