Friday, March 14, 2025
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राष्ट्रपति को क्यों कहा जाता है राष्ट्रपति? जानिए इतिहास!

क्या आपको पता है कि राष्ट्रपति को राष्ट्रपति ही क्यों बोलते हैं? राष्ट्रपति को लेकर अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणी पर विवाद जारी है। टिप्पणी के बाद से संसद से लेकर सड़क तक भाजपा नेताओं ने प्रदर्शन किया। अधीर ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर लिखित माफी भी मांगी, लेकिन अब तक ये विवाद शांत नहीं हुआ है। भाजपा सोनिया गांधी से माफी मांगने की अपनी मांग पर अड़ी हुई है। सारा विवाद राष्ट्रपति शब्द को लेकर हो रहा है। ऐसे में सवाल राष्ट्रपति शब्द की उत्पत्ति और उसके प्रयोग पर भी उठने लगा है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर देश के राष्ट्राध्यक्ष को राष्ट्रपति ही क्यों कहा जाता है? तब भी जब इस पद पर कोई महिला आसीन हो? इसकी शुरुआत कहां से हुई और इसका इतिहास क्या है?

राष्ट्रपति शब्द का इतिहास

राष्ट्रपति को अंग्रेजी में प्रेसीडेंट कहा जाता है। इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार किसी लोकतांत्रिक देश के शासक के लिए अमेरिका में शुरू हुआ था। जार्ज वाशिंगटन को पहली बार प्रेसीडेंट कहा गया। ये शब्द फ्रेंच और लेटिन शब्दों के मिलेजुले प्रभाव से बना है।इसके दो अर्थ हैं – अध्यक्षता करने वाला यानि किसी सभा या इस तरह के प्रोग्राम को चलाने वाला सर्वोच्च शख्स या फिर कमांड करने वाला। ‘कोलिंस’ डिक्शनरी के अनुसार प्रेसीडेंट शब्द का इस्तेमाल किसी देश के संदर्भ में सर्वोच्च सियासी स्थिति के लिए होता है।  अमेरिका की तरह दुनिया में जहां लोकतंत्र शुरू हुआ, वहां देश में शीर्ष पद पर आसीन शख्स को प्रेसीडेंट कहा जाने लगा। ब्रिटेन में लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाए जाने के बाद भी राजा और रानी को ही प्रतीकात्मक तौर पर शीर्ष स्थिति पर माना गया तो वहां लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए इफेक्टिव राष्ट्राध्यक्ष को प्राइम मिनिस्टर कहा गया।

आमतौर पर कभी ब्रिटिश राज के तहत रहे देशों में यही सिस्टम चलता है। लिहाजा कामनवेल्थ संगठन के वो देश जो क्वीन को अपना संवैधानिक प्रमुख नहीं मानते, वहां शीर्ष पद पर प्रेसीडेंट होता है। प्राइम मिनिस्टर मंत्रिमंडल का प्रमुख होता है और देश का राजकाज चलाता है। भारत में भी राष्ट्राध्यक्ष प्रेसीडेंट होता है, जबकि मंत्रिमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।

आजादी से पहले संविधान सभा में ‘राष्ट्रपति’ शब्द को लेकर चर्चा हुई थी। तब भी कहा गया कि अंग्रेजी में प्रेसीडेंट तो ठीक है, लेकिन हिंदी में राष्ट्रपति शब्द सही नहीं होगा। यह चिंता भी जाहिर की गई थी कि अगर कोई महिला इस पद पर आसीन होंगी तब उन्हें क्या कहा जाएगा? 

जुलाई 1947 में राष्ट्रपति शब्द की जगह ‘राष्ट्रनेता’ या ‘राष्ट्रकर्णधार’ जैसे शब्दों का सुझाव प्रेसीडेंट के हिंदी रुपांतरण के तौर पर दिया गया था। हालांकि, इस पर सहमति नहीं बन पाई। ये मामला एक कमेटी को सौंप दिया गया। बाद में तय हुआ कि प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया के लिए हिंदी में राष्ट्रपति शब्द का ही इस्तेमाल किया जाएगा।

दिसंबर 1948 में फिर इस पर बहस शुरू हुई। तब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इसके लिए कई भाषाओं के शब्दों को साथ करके ‘हिंद का एक प्रेसीडेंट’ को संविधान मसौदा में रखने का सुझाव दिया। अंग्रेजी के ड्राफ्ट में इसे प्रेसीडेंट ही रखा गया और हिंदी के मसौदे में ‘हिंद का एक प्रेसीडेंट’ के तौर पर निरुपित किया गया। जहां हिंद का इस्तेमाल देश और प्रेसीडेंट का प्रयोग देश के शीर्ष पद के लिए किया गया। हालांकि इस पर भी सहमति जब नहीं बनी तो हिंदी के मसौदे में इसे ‘प्रधान’ लिखा गया और उर्दू के ड्राफ्ट में ‘सरदार’।

संविधान सभा के सदस्य केटी शाह ने भी इस मसले को उठाया। उन्होंने प्रेसीडेंट के लिए ‘द चीफ एग्जीक्यूटिव’ और ‘राष्ट्र का प्रधान’ शब्दों के प्रयोग का सुझाव दिया। इस पर सहमति नहीं बन पाई। अंत में पं. जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजी में प्रेसीडेंट और हिंदी में ‘राष्ट्रपति’ शब्द पर मुहर लगा दी।

प्रतिभा पाटिल के रूप में जब देश को पहली महिला राष्ट्रपति मिलीं तब भी इसको लेकर विवाद हुआ था। कई लोगों ने राष्ट्रपति शब्द को लेकर सवाल खड़े किए थे। तब प्रतिभा पाटिल ने बहस को ज्यादा भाव नहीं दिया। उन्होंने यह कहकर विवाद शांत करा दिया कि वह राष्ट्रपति ही कहलाना पसंद करेंगी। तब ये बहस वहीं थम गई थी।

पति शब्द का मतलब क्या है?

राष्ट्र तक तो सब ठीक है। विवाद पति शब्द को लेकर ही है। भाषा वैज्ञानिक रमाशंकर श्रीवास्तव कहते हैं, ‘पति शब्द का अर्थ स्वामी या मालिक होता है। कई पौराणिक किताबों में प्रजा पति, वाचस पति, भूपति, जैसे शब्द मिलते हैं। अगर पति शब्द का इस्तेमाल उन जगहों पर होता है, जहां मालिक के तौर पर किसी शख्स को दिखाना है। करोड़पति और लखपति जैसे शब्द भी इसी तरह हैं। करोड़ों के मालिक या मालकिन को करोड़पति ही कहा जाता है।’

कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस के नेता संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान एक चैनल के पत्रकार ने उनका बयान लिया। अधीर से मीडिया ने पूछा था कि आप राष्ट्रपति भवन जा रहे थे, पर जाने नहीं दिया गया। तब उन्होंने कहा था कि आज भी जाने की कोशिश करेंगे। इसी दौरान अधीर रंजन ने राष्ट्रपति को लेकर अमर्यादित टिप्पणी भी की। 

विवाद बढ़ा तो उन्होंने कहा, ‘हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है। मेरी जुबान फिसल गई थी, मुझे फांसी पर चढ़ा दीजिए। सत्ताधारी दल तिल का ताड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। उनसे ही माफी मांगूंगा, पाखंडियों से नहीं।’

संसद में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ तीखे बोल बोले। अधीर रंजन और सोनिया गांधी को राष्ट्रपति और देश से मांगी मांगने को कहा। स्मृति ने कहा कि आदिवासी महिला के राष्ट्रपति बनने को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है।

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