हमारे वैदिक विज्ञान में कई प्रकार की औषधियों का वर्णन किया गया है! क्या आप जानते हैं कि वच क्या है या वच का उपयोग किस काम में किया जाता है? आयुर्वेद के अनुसार वच के बहुत ही उत्तम गुणवत्ता वाली औषधि है और पेशाब साफ करने, पेचिश की रोकथाम में वचा के प्रयोग से फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं गैस की समस्या, मिर्गी, कफ, पेट के रोगों और गठिया आदि में भी वच से लाभ लिया जा सकता है।आप वच के फायदे बुखार को कम करने, दिल और सांस संबंधी दिक्कतों को दूर करने सहित आवाज को बेहतर बनाने में भी ले सकते हैं।आइए जानते हैं आप वच का उपयोग करने से और क्या-क्या लाभ मिलता है।
वच क्या है?
वच की गंध तेज होती है। यह स्वाद में कड़वा होता है। वच का पौधा मूल रूप से यूरोपीय वनस्पति है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। औषधि के रूप में इसकी जड़ से बने चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है। सैकड़ों साल पहले इसका प्रयोग मिस्र और ग्रीस में होता था। लंबे समय से भारत में भी इसका इस्तेमाल दवाओं के लिए किया जा रहा है।
वच की कई प्रजातियां औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं। वच का सुखाए गए जड़ वाला हिस्सा बाजारों में घोड़ा वच के नाम से बिकता है। इसकी इसमें बाल वच या पारसीक वच प्रमुख है। दवाओं के लिए वच की छह प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। जो ये हैंः-
वच
बाल वच
कापत्रिका वचा
लघुपत्र वचा
हेमवती वच तथा
श्वेत वच
लघुपत्र वच-इसके प्रंकद का प्रयोग पेट की बीमारियों और पथरी का इलाज किया जाता है। इसकी जड़ का गुण ताकत बढ़ाने, रोगाणु को पनपने से रोकने के लिए किया जाता है। मांसपेंशियों के खिंचाव की समस्या में वचा की जड़ लाभ पहुंचाती है। खोई हुई याददाश्त वापस लाने में भी वचा सहायता पहुंचाती है। इसके प्रंकद का काढ़ा बनाकर पीने से पेट संबंधी गड़बड़ियां ठीक हो जाती हैं।
कापत्रिका वच -इसकी पपड़ी का प्रयोग खून साफ करने में किया जाता है। इस पपड़ी का काढ़ा बनाकर योनि को धोने से योनि संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। इस काढ़ा का सेवन करने से लिवर और त्वचा के रोग भी दूर होते हैं।
यहां वच से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है ताकि आप वच से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
वच के फायदे
सिर में खासकर, अगले हिस्से में दर्द होने पर वच के पत्तों के प्रयोग से आराम मिलता है। वच के पत्ते को पीसकर मस्तक और दर्द वाली जगह पर लेप करें। इससे तेज सिर दर्द में शीघ्र लाभ होता है।माइग्रेन की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए वच बेहद लाभकारी औषधि है। वच और पिप्पली के चूर्ण को मिलाकर सूंघें। इसे नाक में भी दे सकते हैं। इससे माइग्रेन या अधकपारी के दर्द से राहत मिलती है।
वच मनुष्य की स्मरण शक्ति बढ़ाने में बेहद मददगार है। वच के तने के 200 मिलीग्राम चूर्ण को घी, दूध या पानी के साथ सेवन करें। इससे स्मरणशक्ति में सुधार होता है। इस योग का दिन में दो बार करने से फायदा मिलता है। बेहतर परिणाम के लिए एक साल तक या कम से कम एक महीना तक इसका सेवन करना चाहिए।वच के 10 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम बूरे के साथ गर्म कर लें। इसे रोज शाम को 10 ग्राम की मात्रा में खाएं। इससे भी स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है।
25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो इसका तीन भाग बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक दें। इससे गैस की परेशानी से आराम मिलता है।कफ की समस्या के कारण यदि गले में दर्द हो रहा हो तो वच के 500 मिलीग्राम चूर्ण को हल्के गर्म दूध में डालकर पिलाएं। इसका सेवन करने से अन्दर जमा हुआ कफ ढीला पड़कर बाहर निकल जाता है। इससे गले का दर्द जल्द ही दूर हो जाता है।
मां के दूध के साथ वच को घिसकर पिलाने से बच्चों की खांसी दूर होती है।
125 मिलीग्राम वच को पानी में घिसकर दिन में तीन बार पिलाने से भी बच्चों की खांसी में लाभ होता है।
25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी चौथाई रह जाए तो इसका तीन भाग बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।
दमा के रोगी को 2 ग्राम की मात्रा में पहले वच की खुराक देनी चाहिए। इसके बाद हर तीन घंटे बाद 625 मिलीग्राम की मात्रा का सेवन करना चाहिए। इससे दमा में लाभ होता है।क्षय रोग (टीबी) के रोगियों के लिए भी वच लाभदायक है। रोगी वच, अश्वगंधा, तिल, अपामार्ग के बीज और सरसों के बीज का चूर्ण बना लें। इसे 1 से 2 ग्राम चूर्ण मात्रा को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
बवासीर से राहत पाने के लिए वच, भांग और अजवायन को बराबर–बराबर मात्रा में लेकर जलाएं। इन्हें जलाने से उठने वाली धूनी से बवासीर के घाव को सेकें। इससे बवासीर के दर्द से राहत मिलती है। पेचिश और खून की उल्टी से परेशान रोगियों को वच, धनिया और जीरा का काढ़ा पिलाने से लाभ होता है। इसके लिए तीनों पदार्थों को समान मात्रा में (10-10 ग्राम) लेकर 100 मिलीलीटर जल में उबालें। जल 20 मिलीलीटर रहने पर छानकर सुबह-शाम पिएं।
वच की जड़ को कूटकर काढ़ा बना लें। इसे 25 या 35 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से पेचिश में लाभ होता है।
पेट में दर्द की स्थिति में वच को पानी में घिसकर पेट पर लेप करें। इससे गैस की समस्या या पेट की सूजन आदि में लाभ होता है।बच्चों को दर्द के साथ पेचिश हो तो वच को जला लें। इसके कोयले को अरंडी के तेल या नारियल के तेल में पीस लें। इससे बच्चे के पेट पर लेप करें। इससे राहत मिलती है।
वच की 125 मिग्रा राख (भस्म) को पानी में घोलकर पिलाने से भी बच्चों को पेचिश में लाभ होता है।25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो इसका तीन भाग बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से पेचिश में आराम मिलता है।