हमारे वैदिक विज्ञान में कई प्रकार की औषधियों का वर्णन हमारे स्वास्थ्य एवं मानसिक रोगों को दूर करने के लिए किया गया है! करंज के पौधे को आपने ज्यादातर नदियों या नालों के पास देखा होगा। यह देखने में बहुत साधारण पेड़ लगता है, लेकिन सच यह है कि करंज के अनेक फायदे हैं। आपको पता नहीं है तो यह जान लीजिए कि करंज के पौधे को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गंजेपन की समस्या, आंखों, दांतों के रोग में करंज से लाभ मिलता है।आयुर्वेद के अनुसार, घाव, कुष्ठ रोग, पेट की बीमारी और बवासीर जैसे रोग में करंज के फायदे मिलते हैं।
करंज क्या है?
करंज की कई प्रजातियां पाई जाती हैं; लेकिन मुख्य तौर पर चिकित्सा के लिए तीन प्रजातियों का प्रयोग किया जाता है, जो ये हैंः-
वृक्ष करंज
पूतिकरंज
लता करंज।
इसके बीजों से प्राप्त तेल का प्रयोग चर्म रोगों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यहां करंज से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है ताकि आप करंज से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
करंज के फायदे
करंजादि तेल से सिर की मालिश करें। इससे इन्द्रलुप्त (गंजेपन की समस्या) में लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से प्रयोग करें।करंज बीज के पेस्ट को दूध में पकाकर ठंडा कर लें। इसे छानकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
करंज बीज के चूर्ण में पलाश के फूल की रस की अनेक भावना देकर बत्ती बना लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के पुराने रोग (नेत्रशुक्र) में तुरंत लाभ होता है।करंज पंचांग को जलाकर भस्म बना लें। इसमें नमक मिलाकर दांतों पर मलने से दंतशूल (दांतों का दर्द) ठीक होता है।
करंज के पत्ते से काढ़ा बना लें। इससे बने यवागू को पीने से उल्टी पर रोक लगती है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
करंज का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इसके साथ ही करंज की लकड़ी से दंतधावन (दातुन) करने से भूख बढ़ती है। इससे भोजन के प्रति अरुचि खत्म होती है।20-30 मिली अम्लकाञ्जी में 65 मिग्रा करंज क्षार, विड नमक तथा 500 मिग्रा पिप्पली का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से प्लीहोदर (तिल्ली के बढ़ने की समस्या) में लाभ होता है।
करंज फलमज्जा (1-2 ग्राम) को भून लें। इसमें सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से पेट के दर्द से आराम मिलता है।
करंज के बीजों का छिलका उतार कर साफ कर लें। इसे थूहर के पत्तों के रस की भावना दें। इसके बाद इसे धूप में सुखाकर तेल निकाल लें। इसका प्रयोग करने से पेट के फोड़े ठीक होते हैं।
करंज बीज, सोंठ तथा वचा को करंज के काढ़ा में पीसकर लगाने से पेट के फोड़े ठीक होते हैं।
करंज के छिलका रहित बीज चूर्ण को सेहुण्ड के रस के साथ पीस लें। इसे लगाने से पेट के अंदर के फोड़े ठीक होते हैं।5 मिली करंज के पत्ते के रस में 2 मिली चित्रक के पत्ते का रस मिला लें। इसमें 500 मिग्रा मरिच चूर्ण, तथा नमक मिलाकर सेवन करें। इससे जठराग्नि दीप्त होती है। इससे दस्त पर रोक लगती है।
करंज की जड़ को पीस लें। इसका रस निकालकर भगन्दर पर लगाने से लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।करंज के फूलों का काढ़ा बना लें। इसे 10-15 मिली की मात्रा में पीने से बार-बार पेशाब करने की समस्या (मूत्रातिसार) में लाभ होता है।
करंज के पौधे की छाल को पीसकर हल्का गर्म कर लें। इसका लेप करने से ग्रन्थि विसर्प (एक प्रकार का चर्म रोग) में लाभ होता है।1-3 ग्राम करंज बीज के चूर्ण में मधु तथा घी मिला लें। इसका सेवन करने से नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या में लाभ होता है।
सेंधा नमकयुक्त करंज बीज के चूर्ण (1-3 ग्राम) में दही का पानी मिला लें। इसे गुनगुना कर तीन दिन तक पीने से नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या में लाभ होता है।
1-3 ग्राम करंज बीज चूर्ण को मिश्री तथा मधु के साथ मिला लें। इसका सेवन करने से रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या) ठीक होता है।करंज, अर्जुन, श्लेष्मान्तक, कटभी, कुटज तथा शिरीष के फूलों को दही के पानी में पीस लें। इसे बिच्छू के काटे जाने वाले स्थान पर लगाने से दर्द, जलन और सूजन आदि समस्या ठीक होती है।करंज का पेड़ समस्त भारत में 1200 मीटर तक की ऊँचाई पर मिलता है। यह नदियों एवं सड़कों के किनारे तथा वनों में होता है।