Saturday, March 15, 2025
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क्या है वह मामला जो जुड़ा है OBC आरक्षण से, जानिए!

राजस्थान में ओबीसी आरक्षण के बारे में तो आप जानते ही होंगे! ओबीसी आरक्षण विसंगतियों के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने इन दिनों अपनी ही सरकार को घेर रखा है। आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने के लिए हरीश चौधरी सहित प्रदेश के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने तो आन्दोलन की चेतावनी भी दे दी। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में भूर्तपूर्व सैनिकों के आरक्षण से जुड़ा नियम अब गहलोत सरकार की गले की फांस बनता जा रहा है।दरअसल कार्मिक विभाग की ओर से 17 अप्रेल 2018 में बनाए गए इस नियम के बाद ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के सामने नौकरी का भंयकर संकट खड़ा हो गया। इस नियम के बनने के बाद सरकारी नौकरियों के लिए जारी नई विज्ञप्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के पदों की संख्या घटने के साथ शून्य तक पहुंचने लगी। राजस्थान में भले ही ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद भी कई भर्तियों में ओबीसी वर्ग पदों की संख्या शून्य रह जाती है।

भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण से जुड़ा था यह नियम

भूतपूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी में वर्ष 1988 से आरक्षण प्राप्त है। उन्हें होरिजेंटल आरक्षण के तहत राज्य सेवा में 5 प्रतिशत, अधीनस्थ सेवाओं में 12.5 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी की सेवाओं में 15 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे के कार्यकाल में 17 अप्रेल 2018 को कार्मिक विभाग ने भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण नियमों में बदलाव किया। इस बदलाव के तहत होरिजेटल आरक्षण नियम में आरक्षित वर्गों के पदों की तय संख्या की सीमा को खत्म कर दिया।

चूंकि प्रदेश में 90 प्रतिशत भूतपूर्व सैनिक ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसलिए आरक्षित वर्ग के पदों की तय संख्या सीमा को खत्म करने से ओबीसी के भूतपूर्व सैनिक 12.5 प्रतिशत पदों के साथ ओबीसी वर्ग के अन्य पदों पर भी चयनित होने लगे। जिससे ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों का अपने वर्ग के पदों पर चयन होना मुश्किल हो गया। राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में हुई भर्तियों में ओबीसी वर्ग के सभी पदों पर भूतपूर्व सैनिकों का चयन हुआ।

वर्टिकल आरक्षण का तात्पर्य जन्मजात दिए जाने वाले आरक्षण से है। यानी कोई व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, उसे राज्य सरकार की ओर से दिए गए जातिगत आरक्षण में उस जाति को दिए गए आरक्षण के तहत ही आरक्षण का लाभ मिलता है। जैसे कोई व्यक्ति जाट, सैनी, यादव, कुमावत, विश्नोई आदि जाति में जन्म लेता है तो उन्हें आरक्षण व्यवस्था के तहत ओबीसी वर्ग का लाभ मिलेगा।

होरिजेंटल आरक्षण का तात्पर्य आरक्षण में दिए गए आरक्षण से है। यानी आरक्षण में आरक्षण। सरकारी नौकरियों में भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांग, विधवा, परित्यक्ता और उत्कष्ट खिलाड़ियों को होरिजेंटल आरक्षण प्राप्त है। इन्हें होरिजेंटल आरक्षण के तहत आरक्षण का दोहरा फायदा मिलता है। अर्थात पहले भूतपूर्व सैनिक या उत्कष्ट खिलाड़ी होने का लाभ मिलेगा। साथ ही उन्हें अपनी जाति के आरक्षण का भी लाभ मिलेगा।

17 अप्रेल 2018 को तत्कालीन भाजपा सरकार ने भूतपूर्व सैनिकों के होरिजेंटल आरक्षण नियमों में बदलाव किया था। इस बदलाव से ओबीसी वर्ग के भूतपूर्व सैनिकों का चयन 12.5 प्रतिशत के स्थान पर ओबीसी वर्ग के सामान्य पदों पर भी चयन होने लगा। उदाहरण के तौर पर राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2019 में कुल पदों की संख्या 5500 थी। इनमें से जिला पुलिस के ओबीसी पुरुषों के पदों की संख्या 247 थी। इन सभी 247 पदों पर भूतपूर्व सैनिकों का चयन हुआ। ओबीसी सामान्य वर्ग के एक भी अभ्यर्थी का पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2019 में चयन नहीं हो पाया।

भूतपूर्व सैनिकों को 12.5 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। इस लिहाज से उन्हें ओबीसी वर्ग के 247 पदों के 12.5 प्रतिशत के हिसाब से 30 पद ही मिलने चाहिए थे, जबकि उनका सभी 247 सीटों पर चयन कर लिया गया। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बदले गए नियमों के कारण वर्ष 2018 के बाद हुई सभी सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।17 अप्रेल 2018 को तत्कालीन भाजपा सरकार ने भूतपूर्व सैनिकों के होरिजेंटल आरक्षण नियमों में बदलाव किया था। इस बदलाव से ओबीसी वर्ग के भूतपूर्व सैनिकों का चयन 12.5 प्रतिशत के स्थान पर ओबीसी वर्ग के सामान्य पदों पर भी चयन होने लगा। उदाहरण के तौर पर राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2019 में कुल पदों की संख्या 5500 थी। इनमें से जिला पुलिस के ओबीसी पुरुषों के पदों की संख्या 247 थी। इन सभी 247 पदों पर भूतपूर्व सैनिकों का चयन हुआ। ओबीसी सामान्य वर्ग के एक भी अभ्यर्थी का पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2019 में चयन नहीं हो पाया।

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