Saturday, March 15, 2025
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राजस्थान चुनाव से पहले क्यों घड़ी अशोक गहलोत की मुसीबत?

राजस्थान में अगले साल चुनाव होने वाले हैं!राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के लिए यह कार्यकाल बेहद चुनौतियों से भरा रहा है। प्रदेश के सियासी संकट के उभरने के बाद एक के बाद एक मुद्दे के चलते राजस्थान सुर्खियों में है। ताजा मामला बाबा विजयदास आत्मदाह का है, जिस पर विपक्ष सरकार को घेरने में लग गया है। अगले साल विधानसभा चुनाव है, जिसने भी सीएम गहलोत की टेंशन बढ़ा रखी है । ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी ने राजस्थान को जीतने के लिए अपना सारा फोकस यही लगा दिया है। बीते कुछ महीनों से बीजेपी की रणनीति भी यही बता रही है कि राजस्थान उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है।

राजस्थान में बीजेपी की जीत के लिए बनाई जा रही रणनीति को इस तरह भी समझा जा सकता है कि जे पी नड्डा लगातार राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। बीते तीन महीनों में जे पी नड्डा ने लगातार राजस्थान में बैठक की है। राजधानी जयपुर के अलावा श्रीगंगानगर , हनुमानगढ़, माउंट आबू और उदयपुर जाकर उन्होंने पार्टी नेताओं को जीत का मंत्र देने की कोशिश की है। मई में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक भी बीजेपी ने राजस्थान में रखी, जिसमें जे पी नड्डा ने बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं से आगामी चुनाव में जीत की रणनीति तय की।

उल्लेखनीय है कि जहां लगातार बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा राजस्थान के शहरों में अपना दौरा कर रहे हैं। वहीं लगातार राजस्थान के मुद्दों पर बेबाकी से अपना पक्ष रख रहे हैं। प्रदेश सरकार को घेरने का कोई मौका जे पी नड्डा की ओर से छोड़ा नहीं जा रहा है। उदयपुर कन्हैयालाल हत्याकांड हो या बाबा विजय दास की आत्मदाह। बीजेपी संगठन का फोकस राजस्थान पर बना हुआ है। अवैध खनन के मुद्दे पर आत्मदाह करने वाले बाबा विजयदास की मौत के बाद बीजेपी संगठन ने इसकी जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है, जो अपनी रिपोर्ट नड्डा को देगी।

रोड शो कर दिखाई ताकत

राजस्थान बीजेपी के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसे मई में हुए नड्डा के दौरे से भी समझा जा सकता है। यहां जे पी नड्डा ने बीजेपी की ताकत दिखाने के लिए ना सिर्फ बैठक की। बल्कि रोड शो भी कर डाला। जे पी नड्डा के रोड शो में इस दौरान हजारों की संख्या में कार्यकर्ता – नेता शामिल हुए। वहीं जनता से जुड़ाव दिखाने की कोशिश हुई।

राजस्थान में जनता को साधने के लिए बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के वर्तमान राज्यपाल और दिग्गज जाट नेता माने जाने वाले जगदीप धनखड़ को एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि धनखड़ को उम्मीदवार बनाने के लिए बीजेपी की रणनीति यही है कि देश और प्रदेश की जाट राजनीति को एक बड़ा संदेश दिया जाए। झुंझुनूं जिले के रहने वाले धनखड़ एक जाट किसान परिवार से आते हैं।

आरक्षित वर्गों के बेरोजगार अभ्यर्थी अपनी पीड़ा लेकर जनप्रतिनिधियों के पास जा रहे हैं। 27 मार्च 2022 को निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने राजस्थान विधानसभा में आरक्षित वर्ग के बेरोजगारों की इस पीड़ा को प्रमुखता से सरकार के सामने रखा। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने 20 जून को बाड़मेर में और 27 जून 2022 को जोधपुर की जनसभा में इस प्रकरण पर सरकार को घेरा।18 जुलाई 2022 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने भी इसी मुद्दे पर जयपुर स्थित अपने सरकारी आवास पर प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए। इससे पूर्व हरीश चौधरी इसी प्रकरण को लेकर दो बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर चुके। अब हरीश चौधरी ने चेतावनी दी कि अगर ओबीसी आरक्षण से संबंधित विसंगतियों को जल्द दूर नहीं किया तो उन्हें ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ आन्दोलन पर उतरना पड़ेगा। अभ्यर्थियों की मांग पर कई जनप्रतिनिधि मु्ख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं।राजस्थान में बीजेपी की जीत के लिए बनाई जा रही रणनीति को इस तरह भी समझा जा सकता है कि जे पी नड्डा लगातार राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। बीते तीन महीनों में जे पी नड्डा ने लगातार राजस्थान में बैठक की है। राजधानी जयपुर के अलावा श्रीगंगानगर , हनुमानगढ़, माउंट आबू और उदयपुर जाकर उन्होंने पार्टी नेताओं को जीत का मंत्र देने की कोशिश की है। मई में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक भी बीजेपी ने राजस्थान में रखी, जिसमें जे पी नड्डा ने बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं से आगामी चुनाव में जीत की रणनीति तय की।

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