लालू प्रसाद यादव की जगह यदि तेजस्वी यादव पार्टी के अध्यक्ष बनते हैं तो आपने सोचा है कि क्या होगा? बिहार के सबसे ताकतवर सियासी परिवारों में शुमार लालू फैमिली में ‘पावरगेम’ देखने को मिलते रहता है। सबकुछ संभाल लेने में माहिर लालू यादव क्लाइमेस तक ‘सीन’ नहीं पहुंचने देते। आखिर में हैप्पी एंडिंग करा देते हैं। मगर अब लालू यादव पहले की तरह फिट-एंड-फाइन नहीं है। उनकी तबीयत नासाज रहती है। पार्टी और परिवार की हलचल पर बहुत पैनी नजर नहीं रख पाते हों, ऐसा मुमकिन है। सार्वजनिक जीवन में बहुत कुछ छिपा पाना मुश्किल होता है। लोगों का इंट्रेस्ट रहता है तो मीडिया की सक्रियता भी बढ़ जाती है। लालू ने अपने वारिस का ऐलान बहुत पहले ही कर दिया है तो इसे लेकर कोई कन्फ्यूजन न तो पार्टी में है और ना ही उनके चाहनेवालों में। पार्टी से जुड़े सारे फैसले तेजस्वी यादव ही लेते हैं, हालांकि उस पर लालू यादव की सहमति जरूर होती है।
लालू या तेजस्वी?
1997 से (स्थापना वर्ष) अब तक 11 बार लालू यादव आरजेडी के बॉस हैं। 11 अक्टूबर 2022 को 12वीं बार लालू यादव क्या करते हैं, इस पर सबकी निगाहें है। वो खुद सुप्रीमो बनते हैं या फिर ये तमगा तेजस्वी यादव को सौंपकर निश्चिंत हो जाते हैं, इसके लिए इंतजार करना होगा। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को आरजेडी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का चर्चा तो है, मगर खुलकर कोई नेता नहीं बोल रहा है। उनको लालू परिवार के एक-एक मूव का इंतजार है। दिल्ली में होने वाली 11 अक्टूबर की बैठक पर निगाहें टिकी हुई है। उससे पहले प्रदेश पदाधिकारियों का चुनाव है। अगर तेजस्वी यादव आरजेडी चीफ बनते हैं तो क्या-क्या हो सकता है? खुद के पास ही लालू यादव पावर रखना चाहते हैं तो उस स्थिति में क्या हो सकता? पार्टी नेता फिलहाल कैलकुलेशन में जुटे हैं।
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राष्ट्रीय जनता दल के पार्टी पदाधिकारियों के चुनाव की तारीखें आ गई है। लालू यादव और जगदानंद सिंह की जगह पर पार्टी की कमान किसे दी जाए, इस पर फैसला लिया जाएगा। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 11 अक्टूबर को दिल्ली में किया जाएगा। सबसे पहले 16 अगस्त से पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी चुने जाएंगे। फिर देशभर में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव 21 सितंबर को होगा। बिहार यूनिट के अध्यक्ष जगदानंद की जगह पर कौन आएगा, इस पर नजर रहेगी। जगदानंद सिंह दोबारा अध्यक्ष बनते हैं या फिर बदले जाते हैं? खुद नौजवान दिखाने के लिए पार्टी किसी दूसरे चेहरे को लाती है? ये देखना काफी दिलचस्प होगा। जगदानंद के बने रहने या फिर हटने को लेकर लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव से जोड़कर देखा जाएगा। सार्वजनिक तौर पर कई बार जगदानंद सिंह को लेकर तेजप्रताप यादव अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। हालांकि आखिर में लालू यादव ने मैनेज करने की कोशिश भी की। फिर बाद में मामले को दोनों तरफ से इग्नोर कर दिया गया। खैर, स्टेट यूनिट के चुनाव के बाद आखिर में 11 अक्टूबर को दिल्ली में आरजेडी राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा।
आरजेडी के बिहार यूनिट के इंचार्ज और नेशनल प्रेसीडेंट को लेकर फिलहाल सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं। लालू यादव खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो अपने पुराने वफादार जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे रखी है। चूंकि आरजेडी परिवार की पार्टी है तो फैमिली का ख्याल रखना भी जरूरी है। जगदानंद को लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव पसंद नहीं करते हैं। ये बात किसी से छिपी नहीं है। तेजस्वी यादव से भी खटपट रहती है। तेजस्वी यादव के आसपास जो लोग रहते हैं, उन्हें तेजप्रताप पसंद नहीं करते हैं। सार्वजनिक तौर पर बुरा-भला कह चुके हैं। वहीं, तेजप्रताप के करीबियों को तेजस्वी भाव नहीं देते हैं। तेजप्रताप यादव को लगता है कि वो सिर्फ एक विधायक हैं, पार्टी में उनकी कोई सुननेवाला नहीं है। वो अपने लोगों को पार्टी में एडजस्ट नहीं करा पाते हैं। इसलिए उनकी नजर पार्टी पर है। इसके उदाहरण भरे पड़े हैं। अपने लोगों को मंच दिलाने के लिए तेजप्रताप ने नया संगठन भी बना रखा है। जब तक लालू यादव के पास पार्टी की कमान है, तब तक तेजप्रताप पिता के नाम पर चुप हो जाते हैं। मगर लाख टके का सवाल है कि अगर पार्टी का ‘पावर’ तेजस्वी यादव के पास जाता है को क्या वो (तेजप्रताप) पहले की तरह सबकुछ बर्दाश्त कर लेंगे? इतिहास को देखने से तो नहीं लगता है।
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लालू परिवार से फिलहाल चार लोग सक्रिय राजनीति में हैं। इसमें बिहार विधानपरिषद में विपक्ष के नेता लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी हैं। लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं। उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव विधायक हैं। छोटे बेटे तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष हैं। लालू यादव के कुल नौ संतान हैं, जिसमें सात बेटियां और दो बेटे हैं। इनमें तीन सक्रिय राजनीति में हैं। बाकी बेटियों की राजनीतिक महत्वकांक्षा हो सकती है। राजनीतिक मसलों को लेकर उनकी दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य सोशल मीडिया के जरिए अपना कमेंट देती रहती हैं। उनके बयान पर बिहार की राजनीति में चर्चाएं भी होती है। कहा जाता है कि लालू यादव की बड़ी बेटी और सांसद मीसा भारती के संबंध सियासी तौर पर तेजस्वी से बहुत अच्छे नहीं हैं। इसकी बानगी दिख चुकी है, जब 17 मई 2022 को पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे। राज्यसभा उम्मीदवार चयन के लिए ये मीटिंग बुलाई गई थी और इसमें तेजप्रताप और मीसा भारती दोनों मौजूद थे। मगर शहर में होने के बावजूद तेजस्वी नहीं आए। मीसा की सबसे ज्यादा तेजप्रताप से बनती है। ऐसे में अगर लालू यादव के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव पार्टी सुप्रीमो बनते हैं तो फैमिली और पार्टी दोनों में नया गुणा-गणित दिख सकता है, ऐसा मुमकिन है।