आमिर खान की आगामी फिल्म लाल सिंह चड्ढा के बायकॉट के बारे में तो आप जानते ही होंगे! बॉलीवुड स्टार आमिर खान की आने वाली फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ अपने रिलीज से पहले ही विवादों में घिरी हुई है। सोशल मीडिया पर एक वर्ग आमिर खान की इस फिल्म के लिए #BoycottLaalSinghChaddha हैशटैग चला रहा है। उनका कहना है कि आमिर की इस फिल्म का बहिष्कार किया जाना चाहिए। भले ही फिल्म का विरोध किया जा रहा हो लेकिन ‘लाल सिंह चड्ढा’ की पहले 3 दिन के अडवांस बुकिंग के आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर विरोध के बाद फिल्म इंडस्ट्री के लोग और आमिर के फैन्स भी फिल्म का विरोध करने वालों के खिलाफ खड़े हो गए हैं। सोचने वाली बात यह है कि आखिर हर कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर फिल्मी सितारों और फिल्मों के खिलाफ ऐसे अभियान क्यों चलाए जाते हैं और ऐसे हैशटैग चलाने वालों को आखिर हासिल क्या हो जाता है?
क्या है मामला?
आमिर खान का विरोध करने वाले इस समय सोशल मीडिया पर आमिर खान के कुछ पुराने बयानों को वायरल कर रहे हैं। Aamir Khan ने एक बार बयान दिया था कि उनकी पत्नी को भारत में बढ़ती असहिष्णुता के चलते अपने ही देश में रहने से डर लगता है। इसी मुद्दे पर कुछ लोग आमिर खान को देशद्रोही कह रहे हैं और उनकी फिल्म का बहिष्कार करने की अपील कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ लोग आमिर खान पर यह आरोप भी लगा रहे हैं कि वह हिंदू विरोधी हैं। ये लोग आमिर खान की फिल्म ‘पीके’ के कुछ सीन के साथ ट्वीट कर रहे हैं और उन्हें हिंदू धर्म का अपमान करने वाला बता रहे हैं। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि ये लोग एक खास राजनीतिक विचारधार से संबंध रखते हैं।
सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाकर फिल्म का बहिष्कार करने की अपील करने वाले क्या फिल्म को फ्लॉप भी करा सकते हैं? इस हैशटैग आर्मी को तो कम से कम ऐसा ही लगता है लेकिन यह तथ्य अपने आप में गलत है। हमारे सहयोगी ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए इंटरव्यू में नेशनल फिल्म अवॉर्ड विजेता डायरेक्टर गौतम घोष का कहना है कि फिल्म Laal Singh Chaddha के बहिष्कार करने की मांग करने वाले ये लोग तो फिल्म देखने थिएटर तक में नहीं जाते हैं तो ऐसे में इनके इस विरोध का कोई फर्क नहीं पड़ता है। गौतम ने कहा, ‘लोगों को बिना किसी बात के टारगेट करना आजकल का चलन बन गया है। अगर आप बॉक्स ऑफिस की बात करें तो भारत की पूरी जनसंख्या के मुश्किल 1 या 2 पर्सेंट लोग ऐसे हैं जो फिल्म देखने थिएटर जाते हैं। ऐसे में जो ये ऑनलाइन निगेटिविटी फैला रहे हैं, ये लोग थिएटर नहीं जाते हैं और इनके इस हैशटैग फिल्म से कोई फर्क नहीं पड़ता है।’
भले ही पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर आमिर की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ का बॉयकॉट की मांग की जा रही हो लेकिन इसका लोगों पर तो कोई खास फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। फिल्म की अडवांस बुकिंग के आंकड़े तो यही बता रहे हैं कि लोग सोशल मीडिया ट्रेंड से प्रभावित नहीं हो रहे हैं। बॉक्सऑफिस इंडिया डॉट कॉम की रिपोर्ट की मानें तो आमिर खान की फिल्म की पहले ही रेकॉर्ड अडवांस बुकिंग हो चुकी है। फिल्म रिलीज से पहले ही 8 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर चुकी है। इसी तरह अक्षय कुमार की फिल्म ‘रक्षा बंधन’ का विरोध करने का भी कोई खास फर्क नहीं है क्योंकि इस फिल्म ने भी अडवांस बुकिंग से 3 करोड़ से ज्यादा की कमाई रिलीज से पहले ही कर ली है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हैशटैग से ट्रोल करने का फिल्म के बिजनस पर कम ही फर्क पड़ता है।
आजकल एक बात कही जाती है- ‘कॉन्टेंट इज किंग’ यानी अगर आपका कॉन्टेंट अच्छा है तो वह लोगों को पसंद भी आएगा। निगेटिव या पॉजिटिव पब्लिसिटी का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण अक्षय कुमार की पिछली रिलीज फिल्म ‘पृथ्वीराज’ है। एक खास विचारधारा और राजनीतिक दल के लोगों ने इस फिल्म के सपोर्ट में सोशल मीडिया पर खूब हैशटैग ट्रेंड करवाया था लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। इससे पहले कंगना रनौत की फिल्म ‘मणिकर्णिका’ के लिए भी उनके फैन्स और सपोर्टर्स ने जमकर हैशटैग ट्रेंड चलाकर सपोर्ट किया था लेकिन फिल्म लोगों को बिल्कुल भी पंसद नहीं आई। वैसे ऐसा केवल बॉलीवुड में ही नहीं है बल्कि साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में इस हैशटैग आर्मी का कोई प्रभाव नजर नहीं आता है। इसका उदाहरण तेलुगू सुपरस्टार प्रभास की फिल्म ‘राधे श्याम’ है जो उनके फैन्स को ही पसंद नहीं आई। प्रभास के सपोर्ट में फैन्स ने खूब सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाए लेकिन फिल्म सुपर फ्लॉप रही। ऐसा ही एक उदाहरण सुपरस्टार चिरंजीवी और राम चरण की फिल्म ‘आचार्य’ है जो साउथ में ही ऑडियंस के लिए तरसती रही थी।
किसी भी फिल्मी कलाकार या फिल्म का विरोध करने वाले तो बहुत होते हैं लेकिन इन विरोधियों के तर्कों में भी विरोधाभास होता है। ‘लाल सिंह चड्ढा’ का विरोध करने वाला एक बड़ा वर्ग इसलिए भी फिल्म का विरोध कर रहा है क्योंकि आमिर खान मुस्लिम हैं। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि पहले भी आमिर, सलमान, शाहरुख या ऐसे ही कलाकारों को धर्म के आधार पर टारगेट किया जाता रहा है। हालांकि यह विरोध करने वाले हाल में शिव भजन गाने वाली मुस्लिम सिंगर फरमानी नाज के सपोर्ट में सोशल मीडिया पर आ गए थे और कह रहे थे कि धर्म के आधार पर विरोध गलत है क्योंकि किसी कलाकार का कोई धर्म नहीं होता। इससे साबित होता है कि सोशल मीडिया पर हैशटैग चलाने वाली यह आर्मी न केवल भ्रमित है बल्कि बगैर सोचे-समझे किसी को टारगेट करती है।