आंखों के रोगों का कैसे करें उपचार? जानिए!

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हमारे वैदिक विज्ञान में कई प्रकार की औषधियों का वर्णन किया गया है! लोध्रा का नाम शायद आपने इससे पहले नहीं सुना होगा और इस कारण शायद लोध्रा के प्रयोग के बारे में भी नहीं जानते होंगे। दरअसल लोध्रा एक बहुत ही उत्तम गुणों वाली औषधि है।

लोध्रा क्या है?

लोध्रा के पेड़ मध्यम आकार के होते हैं। इसकी छाल पतली तथा छिलकेदार होती है। इसके फूल सफेद और हल्के पीले रंग के तथा सुगन्धित होते हैं। लोध्रा के द्वारा लाख (लाक्षा) को साफ किया जाता है, इसलिए इसे लाक्षाप्रसादन भी कहते हैं।इसकी दो प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिन्हें क्रमश: लोध्र व पठानीलोध्र कहते हैं। लोध्रा कषैला, कड़ुआ, पचने में हल्का, रूखा, कफ-पित्त का नाशक और आँखों के लिए लाभकारी होता है।

लोध्रा आँख, कान, मुंह और स्त्री रोगों आदि के लिए रामबाण का काम करती है। यह खून की गर्मी, मधुमेह, थैलीसिमिया आदि रक्त से जुड़े रोग, बुखार, पेचिश, सूजन, अरुचि, विष तथा जलन आदि का नाश करता है। इसके फूल तीखे, कड़ुए, ठंडी तासीर वाले होते हैं जो कफ व पित्त का नाश करने वाले होते हैं। इसके तने की छाल सूजन कम करने वाली, बुखार को ठीक करने वाली, खून का बहाव रोकने वाली, पाचन सुधारने वाली होती है।

लोध्रा के फायदे

लोध्रा का औषधीय गुण वजन कम करने में बहुत काम आता है।  15-20 मिली लोध्रासव का सेवन करने से मोटापा जल्दी कम होने में मदद मिलती है।आँख में शुक्र रोग होने पर हल्दी, मुलेठी, सारिवा तथा पठानी लोध्र के काढ़ा से सेंकना चाहिए। इसके अलावा लोध्र के सूक्ष्म चूर्ण को स्वच्छ कपड़े के टुकड़े में बांधकर पोटली बना लें। इसे गुनगुने जल में डुबाकर आंखों को सेंकना चाहिए।

सफेद लोध्र को घी में भूनकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गुनगुने जल में भिगोकर, खूब मल लें। इसे ठंडा करके कपड़े से छानकर आंखों को धोने से आँखों के दर्द से छुटकारा मिलता है।

लोध्र को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लेप करने से भी आंखों के रोगों का नाश होता है।

सेंधा नमक, त्रिफला, पीपल, लोध्र तथा काला सुरमा को बराबर मात्रा में लें। इसे नींबू के रस में घोंटकर आंख में काजल की तरह लगाएं। इससे भी आंखों के रोगों का नाश होता है।

हरड़ की गुठली की मींगी, हरड़ चूर्ण, हल्दी, नमक तथा लोध्र का बराबर मात्रा ले। इनके चूर्ण को हरड़ के पत्तों के रस में घोटकर आंख पर लगाने से भी आंखों से जुड़े विकारों का नाश होता है।

आँख आने पर पठानी लोध्र की छाल के चूर्ण को घी में भून लें। इसे आँख के बाहरी भाग में लेप लगाने से लाभ होता है। आप चिकित्सक से सलाह लेकर पतंजलि लोध्रा चूर्ण का प्रयोग भी कर सकते हैं।

पित्तरक्त के कारण आँख आने पर बराबर मात्रा में श्वेत लोध्र की छाल तथा मुलेठी का चूर्ण बना लें। इन्हें घी में भूनकर उसकी पोटली बनाकर दूध से भिगोएं। इसकी बूंदों को आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।

आँख फूलने पर सफेद लोध्र की छाल के चूर्ण को गाय के घी में भून लें। इसकी पोटली बनाकर गुनगुने जल में भिगोकर, मसलकर, ठंडा कर लें। इस जल से आंखों को धोने से लाभ होता है।

आँखों में जलन, खुजली तथा दर्द आदि की हालत में घी में भुने लोध्र एवं सेंधा नमक को कांजी से पीसकर पोटली बना लें। इसकी बूँदों को आंखों में गिरने से जलन, खुजली तथा दर्द का नाश होता है।

पित्त, रक्त एवं वात विकार के कारण आँख आने पर नींबू के पत्ते तथा लोध्र की छाल को पुटपाक विधि से पकाएं।। इसके चूर्ण अथवा काढ़े में दूध मिलाकर आंखों में 2-2 बूंद टपकाने से लाभ होता है।

लोध्र तथा मुलेठी को समान मात्रा में लें। इनके चूर्ण बनाकर घी में भूनकर, बकरी के दूध में मिला लें। इसे आँखों पर लगाने से भी आँख आने की समस्या में लाभ होता है।

खून की अशुद्धता से आंख आने पर त्रिफला, लोध्र, मुलेठी, शक्कर और नागरमोथा का उपयोग करें। इनको समान मात्रा में लेकर जल में पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आंखों के बाहर चारों तरफ लगाने से लाभ होता है।लाख, मुलेठी, मंजीठ, लोध्र, कृष्ण सारिवा तथा कमल को समान मात्रा में लेकर जल में पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आंखों के बाहर लगाने से भी आंखों की समस्या में लाभ होता है।

लोध्रा के 2-3 ग्राम पत्तों को पीस लें। इसे घी में भूनकर उसमें शक्कर मिला लें। इसका सेवन करने से उल्टी बंद होती है, अधिक प्यास लगने की समस्या ठीक होती है, खांसी ठीक होती है तथा आँव-पेचिश आदि में लाभ होता है।पेट में कीड़ा हुआ है और इस परेशानी के कारण रातों की नींद हराम है। इसके लिए  15-20 मिली लोध्रासव का सेवन करने से पेट के कीड़े या तो नष्ट हो जाते हैं या निकल जाते हैं।

आठवें माह में यदि गर्भपात की आशंका हो तो 1-2 ग्राम लोध्र चूर्ण, मधु और एक ग्राम पिप्पली चूर्ण को दूध में घोलकर गर्भवती को पिलाने से गर्भ स्थिर हो जाता है और गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है।

लोध्र की छाल को पीसकर पेट के निचले हिस्से में लगाएं। इससे मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है। लोध्र को पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन के दर्द ठीक होते हैं।

डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए 15-20 मिली लोध्रासव का सेवन करने से धीरे धीरे रक्त मे शर्करा की मात्रा को कम करने में मदद मिलती है।