आजकल लड़के और लड़कियों में असमानता का भाव खत्म हो गया है। क्योंकि आज समाज में लड़कियां लड़कों से कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं या यूं कहें कि लड़कियां लड़कों के मुकाबले आगे निकल रहे हैं। महिला सशक्तिकरण की नाजरानी सबसे उपयुक्त उदाहरण है। नाच रानी आज किसी की दूसरे पर निर्भर नहीं है वह आत्मनिर्भर बनकर अपना घर चला रहे हैं सोलर स्टडी लैंप के क्षेत्र में उन्होंने उत्तम कार्य किए हैं जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। अक्टूबर 2018 में उनके कामों को देख कर नाजरानी का गिनीज वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया गया था।
कौन है नाजरानी?
नाजरानी उत्तर प्रदेश के आखरी विधानसभा क्षेत्र दूध्धी के खजूरी गांव की रहने वाली हैं। नाच रानी का बचपन बहुत ही गरीबी से गुजरा उनके पापा मजदूरी किया करते थे और उनके आठ भाई बहन थे। उनकी गांव की एक स्कूल टीचर ने उनकी गरीबी को देखते हुए उनके सभी भाई बहनों का एडमिशन करा दिया था जैसे तैसे उनकी भाई-बहन के एडमिशन की फीस का इंतजाम हो पाता था उस समय स्कूल में चावल मिलता था उस टीचर ने सोजा स्कूल से कुछ अनाज मिलने से उनके परिवार को कुछ मदद दी जा सकेगी परंतु अब उनकी वह टीचर इस दुनिया में नहीं है लेकिन वो टीचर उनके परिवार के लिए किसी फरिश्ते से भी कम नहीं थे।
समस्याओं का पहाड़ चीरते हुए आगे बढ़ी नाजरानी?
नाजरानीके छोटे भाई के एक्सीडेंट में मौत होने के कारण उनके घर की हालात बिगड़ गए। परिवार गरीबी में धस्ता जा रहा था। जिसके बाद से सभी भाई बहनों की पढ़ाई छूट गई परंतु उनके दोनों भाइयों ने मनरेगा मजदूरी की और थोड़ा बहुत पैसा जुटाया जिससे भाइयों ने मिलकर उनके पापा का इलाज करवाया और उनके पापा की तबीयत में सुधार हुआ। भाइयों के काम से आए हुए पैसे से नाजरानी ने 12वीं की पढ़ाई की। सरकार द्वारा चलाई गई राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरुआत उस दौरान हुई जिसमें कुछ महिलाओं ने उनकी मां को उस समूह में जोड़ा जिसके चलते उन्हें कम ब्याज पर पैसे मिले उन पैसों से नाजरानी ने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद नाजरानी को राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 70 लाख स्टडी सौर ऊर्जा लैंप योजना में भागीदारी मिली। नाजरानी को ट्रेनिंग का मौका मिला उनके ट्रेनर आईआईटी मुंबई से आए थे। ट्रेनिंग के बाद सोलर स्टडी लैंप में डिस्ट्रीब्यूटर का पद उनको मिला स्कूल में जाकर टीचर से बात करते और बच्चों को सोलर लैंप की जानकारी के साथ-साथ लैंप भी बांटते थे। एक लैंप बांटने पर नाजरानी को ₹17 मिलते थे। जिससे वह 1 दिन में आसानी से 100-150 लेंप बांट लेती थी जिसका उन्होंने अपनी आर्थिक हालात को सुधारने मैं योगदान दिया। नाच रानी एक दिन में करीब 25 से 30 लैंप बनाती है स्कूलों में सप्लाई करती हैं एक लैंप बनाने के लिए उन्हें 12 रुपए और बांटने के लिए ₹17 मिलते हैं जिससे हर महीने में 10 से ₹12000 कमा लेती हैं। ग्रामीण आजीविका मिशन ने उन्हें इतना सक्षम बना दिया जिससे आज उनकी गरीबी की हालत सुधर गई।
कैसे हुआ गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज?
2018 अक्टूबर में सबसे ज्यादा सोलर लैंप बनाकर बांटने के अच्छे काम को देख कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाजरानी का नाम दर्ज हुआ। जिसके लिए उन्हें एक मेडल भी मिला वह अब तक करीब 5 से 10 सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुकी हैं। उनका आइडियल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन है यदि यह मिशन ना होता तो आज खुद और अपने मां-बाप दोनों को खो चुकी होती। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के चलते आज उनके हालात बद से बेहतर है जिसके साथ साथ उन्हें शोहरत, सम्मान, पैसा सब मिल रहा है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से सम्मानित-
नाजरानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला सोलर लाइट का काम अच्छा होने की वजह से उन्हें यह मौका मिला उन्हें विज्ञान भवन दिल्ली बुलाया गया। दिल्ली के एक स्कूल के बच्चों को सोलर लाइट बनाना उन्होंने सिखाया। सोलर स्टडी लैंप के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलने का मौका मिला उन्होंने भी नाज़रानी के काम की सरहाना की
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 21 अगस्त 2021 को लखनऊ में प्रशस्ति पत्र देकर नाजरानी को सम्मानित किया और उन्हें एक मोबाइल दिया।