एक समय ऐसा था जब भारत पाकिस्तान के लिए रुपए छापता था! देश की आजादी को 75 साल हो चुके हैं। यह आजादी काफी महंगी थी। इसके साथ बंटवारे का दर्द भी मिला। पाकिस्तान के तौर पर एक नया मुल्क अस्तित्व में आया। अपने जन्म से उसने भारत के साथ खुन्नस रखी। दगाबाजी और धोखेबाजी करता रहा। इसके उलट भारत ने उसके साथ बड़े भाई जैसी दरियादिली दिखाई। आजादी के करीब एक साल बाद तक पाकिस्तान में भारतीय नोट चलते थे। भारतीय रिजर्व बैंक इन्हें छापा करता था। उन दिनों पाकिस्तान का कोई सेंट्रल बैंक नहीं था। 1953 तक भारत ने पाकिस्तान को उसकी करेंसी छापकर भेजी। भारत चाहता था कि पाकिस्तान मजबूत बने। इसके लिए वह हर तरह से उसका सहयोग करने में जुटा था। लेकिन, पाकिस्तान तो ठहरा पाकिस्तान। जब उसकी अपने नोट छापने तक की औकात नहीं थी तब वह कश्मीर को लेकर हमसे युद्ध (India-Pakistan War 1947) कर रहा था। वो भी सामने से नहीं, पीछे से।15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली थी। इसके बाद सितंबर 1948 तक भारतीय नोट ही पाकिस्तान में चलते थे। पाकिस्तान तो बन गया, लेकिन तब उसका कोई सेंट्रल बैंक नहीं था। देश भी चलाना था। तुरंत इसकी शुरुआत होने की कोई सूरत भी नहीं थी। तब फैसला किया गया था कि रिजर्व बैंक ही पाकिस्तान और भारत के लिए केंद्रीय बैंक की भूमिका निभाएगा। विभाजन के समय पाकिस्तान ने अनुरोध किया था कि वह तुरंत सेंट्रल बैंक बनाने में असमर्थ है। ऐसे में आरबीआई ही उसके लिए करेंसी का प्रबंध कर दे। 30 सितंबर 1948 तक रिजर्व बैंक को भारत और पाकिस्तान के लिए कॉमन अथॉरिटी बनाया गया। पहली बार पाकिस्तान में अक्टूबर 1948 में नोटों की प्रिंटिंग शुरू हुई। हालांकि, 1953 तक भारत से ही नोट छपकर पाकिस्तान में जाते थे।
नोटों पर लगती थी मुहर
1948 से पाकिस्तान ने भारत में चल रहे सभी तरह के नोटों के सर्कुलेशन को बंद किया। इसके बजाय भारत सरकार और आरबीआई ने पाकिस्तान सरकार के लिए नोट छापना शुरू किया। इन नोटों का इस्तेमाल सिर्फ पाकिस्तान में होता था। पाकिस्तान के लिए खास तौर से तैयार होने वाले बैंकनोट नासिक के सिक्योरिटी प्रेस में छपते थे। इन बैंकनोटों पर आरबीआई के गवर्नर के हस्ताक्षर होते थे। नोटों पर अंग्रेजी और उर्दू में ‘गवर्नमेंट ऑफ पाकिस्तान’ और ‘हुकूमत-ए-पाकिस्तान’ की मुहर लगती थी।
उन दिनों आरबीआई 1, 5, 10 और 100 रुपये के पाकिस्तानी नोट छापा करता था। पाकिस्तान में 1953 तक भारत से ही नोट छपकर जाते थे। इसी साल स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने नोटों को जारी करने का अधिकार अपने पास लिया। पाकिस्तान सरकार 1953 से लेकर 1980 तक एक रुपये का नोट जारी करती थी। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सबसे पहले 2 रुपये के नोट छापे थे। पाकिस्तान सरकार ने इंटाग्लियो प्रोसेस के तहत 5 रुपये, 10 रुपये और 100 रुपये के नोटों को छापा। इसे लंदन की थॉमस डी ला रूई एंड कंपनी ने तैयार किया था।
जब भारत पाकिस्तान को खड़ा होने में मदद कर रहा था, वह धूर्तता पर उतारू था। 21 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी कबायलियों ने कश्मीर पर हमला किया था। इन हमलावर कबायलियों को किसी और का नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना का समर्थन हासिल था। पाकिस्तान के हमले के मद्देनजर कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह ने भारत की मदद मांगी थी। भारत ने मदद के लिए विलय की शर्त रख दी थी। राजा हरि सिंह तब कबायली हमले से कश्मीर को बचाने के लिए कश्मीर के भारत में विलय को तैयार हो गए थे। विलय के दस्तावेज पर समझौता होने के बाद भारत ने पाकिस्तानी कबायलियों को खदेड़ने के लिए कश्मीर में सेना भेजी थी। इस जंग में हमारे कई जवानों का लहू बहा था।
आज पाकिस्तान की आर्थिक हालत बिल्कुल पतली है। एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान का रुपया का 200 के स्तर को पार कर चुका है। भीषण महंगाई है। विदेशी मुद्रा भंडार में सूखा पड़ा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमत बढ़ने से आयात महंगा होता जा रहा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बड़ी गिरावट के साथ 7.83 अरब डॉलर पर आ गया है। इसके मुकाबले में भारत की बात करें तो उसका विदेशी मुद्रा भंडार 5 अगस्त तक 572.978 अरब डॉलर पर था। वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है।आज पाकिस्तान की आर्थिक हालत बिल्कुल पतली है। एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान का रुपया का 200 के स्तर को पार कर चुका है। भीषण महंगाई है। विदेशी मुद्रा भंडार में सूखा पड़ा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमत बढ़ने से आयात महंगा होता जा रहा है।