अमेरिका में हाल ही में सलमान रुश्दी के ऊपर हुए हमले को तो आपने देखा ही होगा!ईरान के परमाणु करार को बहाल करने के लेकर अमेरिका के सामने नई बाधाएं खड़ी हो गई है। पिछले सप्ताह लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले का आरोप ईरान पर लगने और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की हत्या की साजिश के मामले में ईरानी नागरिक के खिलाफ मुकदमा चलने से अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं।
यूरोपीय संघ ने करार के संबंध में ईरान के समक्ष एक प्रस्ताव रखा है, जिस पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ईरान के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। इस प्रस्ताव को पश्चिमी देशों की तरफ से ईरान के लिए अंतिम प्रस्ताव कहा जा रहा है।
हालांकि अमेरिकी प्रशासन को समझौते पर पहुंचने से पहले नयी घरेलू राजनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।उल्लेखनीय है कि ईरान और वैश्विक महाशक्तियों ने 2015 में परमाणु करार पर सहमति जताई थी। इसके तहत ईरान ने आर्थिक पाबंदियां हटाने की एवज में यूरेनियनम संवर्धन की सीमा कम करने का वादा किया था।हालांकि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में समझौते से अमेरिका को बाहर निकाल लिया था, जिसके बाद यह समझौता खटाई में पड़ गया था। जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद इस पर दोबारा वार्ता शुरू हुई थी।
समझौते के आलोचक लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक ऐसे देश के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए, जिसके नेताओं ने रुश्दी या बोल्टन को मिलीं जान से मारने की धमकियों की निंदा करने से इनकार कर दिया है।
‘कार्नेगी एनडोमेंट फोर इंटरनेशनल पीस’ में ईरान मामलों के जानकार करीम सज्जादपुर का मानना है, ”इस बार कोई समझौता होना 2015 की तुलना में काफी मुश्किल है। समझौता हो भी जाए तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ईरान के रवैये में कोई नरमी आएगी या अमेरिका-ईरान के बीच व्यापक सहयोग कायम हो पाएगा।”
ईरान ने 12 अगस्त को वेस्टर्न न्यूयॉर्क में आयोजित साहित्य कार्यक्रम में रुश्दी पर हमला करने वाले से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है।दूसरी ओर, बोल्टन की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोपी ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर का सदस्य है।
बोल्टन ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, ”मुझे नहीं लगता कि जिस देश के साथ आप एक महत्वपूर्ण हथियार समझौता करने वाले हैं, वह अपने दायित्वों का पालन करेगा या वार्ता को लेकर गंभीरता दिखाएगा। वह एक ऐसा देश है जो एक पूर्व उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारी और वर्तमान सरकारी अधिकारी की हत्या की साजिश रहा है।”इस बीच, ईरान ने मंगलवार को कहा कि उसने विश्व शक्तियों के साथ अपने परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए तैयार अंतिम मसौदे पर ‘‘लिखित प्रतिक्रिया’’ दी है।
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने इस प्रतिक्रिया के संबंध कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी, लेकिन संकेत दिया कि ईरान अब भी यूरोपीय संघ की मध्यस्थता के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा।‘आईआरएनए’ की खबर के अनुसार, ‘‘ तीन मुद्दों को लेकर विवाद है, अमेरिका ने इनमें से दो मामलों में लचीलापन दिखाने का मौखिक रूप से आश्वासन दिया है, लेकिन इसे लिखित रूप में भी दिया जाना चाहिए। तीसरा मुद्दा (समझौते की) निरंतरता की गारंटी से संबंधित है।’’बोल्टन ने बुधवार को पत्रकारों से कहा, ”मुझे नहीं लगता कि जिस देश के साथ आप एक महत्वपूर्ण हथियार समझौता करने वाले हैं, वह अपने दायित्वों का पालन करेगा या वार्ता को लेकर गंभीरता दिखाएगा। वह एक ऐसा देश है जो एक पूर्व उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारी और वर्तमान सरकारी अधिकारी की हत्या की साजिश रहा है।”इस बीच, ईरान ने मंगलवार को कहा कि उसने विश्व शक्तियों के साथ अपने परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए तैयार अंतिम मसौदे पर ‘‘लिखित प्रतिक्रिया’’ दी है।
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने इस प्रतिक्रिया के संबंध कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी, लेकिन संकेत दिया कि ईरान अब भी यूरोपीय संघ की मध्यस्थता के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा।‘आईआरएनए’ की खबर के अनुसार, ‘‘ तीन मुद्दों को लेकर विवाद है, अमेरिका ने इनमें से दो मामलों में लचीलापन दिखाने का मौखिक रूप से आश्वासन दिया है, लेकिन इसे लिखित रूप में भी दिया जाना चाहिए। तीसरा मुद्दा (समझौते की) निरंतरता की गारंटी से संबंधित है।’’ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ‘आईआरएनए’ ने इस प्रतिक्रिया के संबंध कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी, लेकिन संकेत दिया कि ईरान अब भी यूरोपीय संघ की मध्यस्थता के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा।‘आईआरएनए’ की खबर के अनुसार, ‘‘ तीन मुद्दों को लेकर विवाद है, अमेरिका ने इनमें से दो मामलों में लचीलापन दिखाने का मौखिक रूप से आश्वासन दिया है, लेकिन इसे लिखित रूप में भी दिया जाना चाहिए। तीसरा मुद्दा (समझौते की) निरंतरता की गारंटी से संबंधित है।’’