Friday, February 7, 2025
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दिग्विजय सिंह का ऐसा सवाल जिससे हो गई उनकी बीजेपी से जुदाई!

नितिन गडकरी से दिग्विजय सिंह ने एक ऐसा सवाल पूछा था जिसके बाद दिग्विजय सिंह की विदाई बीजेपी से हो गई थी! पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। बड़बोले और उग्र स्वभाव के लक्ष्मण सिंह कई बार दिग्विजय को भी मुश्किल में डाल चुके हैं। मुख्यमंत्री के रूप में दिग्विजय के पहले कार्यकाल में विधायक थे और फिर सांसद बन गए। 2004 में उनकी दिग्विजय से अनबन हुई तो वे उमा भारती के साथ बीजेपी में चले गए। लेकिन वहां भी उनका बड़बोलापन उन पर भारी पड़ गया। एक बार तो उन्होंने बीजेपी के उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी से ही सवाल कर दिया कि वे किसकी संतान हैं। इसके बाद ही पार्टी से उन्हें बाहर कर दिया गया और वे कांग्रेस में लौट आए।

प्रचार के लिए आए मोदी

2004 में जब लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस छोड़ी तो बीजेपी नेताओं को लगा कि उन्हें दिग्विजय सिंह के खिलाफ बड़ा हथियार मिल गया। बीजेपी ने उन्हें राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया तो उनके प्रचार के लिए नरेंद्र मोदी आए थे। दरअसल, लक्ष्मण सिंह के बीजेपी में आने से पहले अशोक त्रिपाठी वहां से टिकट के दावेदार थे। त्रिपाठी को आरएसएस का समर्थन था और वे लंबे समय से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। लक्ष्मण सिंह को बीजेपी ने टिकट दे दिया तो त्रिपाठी निर्दलीय खड़े हो गए। पार्टी को डर था कि संघ के स्वयंसेवक त्रिपाठी के पक्ष में लामबंद हो सकते हैं। इसीलिए लक्ष्मण सिंह के प्रचार के लिए मोदी को राजगढ़ जाना पड़ा। इसके बाद उमा भारती एक्टिव हुईं और त्रिपाठी ने नामांकन वापस ले लिया।

2004 में तो लक्ष्मण सिंह जीत गए, लेकिन 2009 में उनके खिलाफ कांग्रेस ने नारायण सिंह अमलावे को मैदान में उतार दिया। करीबी मुकाबले मे लक्ष्मण सिंह हार गए। इसके अगले साल नितिन गडकरी बीजेपी के अध्यक्ष बने। वे दिग्विजय के अल्पसंख्यक प्रेम के लिए अक्सर उन पर निशाना साधते। दिग्विजय के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गडकरी ने एक बार कह दिया कि आतंकवादियों की तरफदारी करने वाले औरंगजेब की संतान हैं। लक्ष्मण सिंह को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होंने गडकरी से सवाल कर दिया के वे बताएं कि किसकी संतान हैं। उनके इस बयान पर बीजेपी में हंगामा खड़ा हो गया। उन्हें पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और फिर पार्टी से निकाल दिया गया। लक्ष्मण सिंह फिर से कांग्रेस में लौट आए।

लक्ष्मण सिंह ने जब कांग्रेस छोड़ी थी, उस दौरान कांग्रेस नेताओं के बीजेपी में जाने की होड़ लगी थी। नजमा हेप्तुल्ला और एसएस अहलूवालिया जैसे बड़े नेताओं ने उसी समय पार्टी छोड़ी थी। जनवरी, 2004 के अंत में एक दिन अजय सिंह दिल्ली में वेंकैया नायडू से मिलने उनके घर पहुंचे तो उनके भी बीजेपी में जाने की अफवाह जोर पकड़ने लगी। इन खबरों के बारे में जब पत्रकारों ने दिग्विजय सिंह से पूछा तो उन्होंने बड़ा ही दिलचस्प जवाब दिया। दिग्विजय ने बताया कि उन्होंने ही अपने समर्थकों से कहा है कि अभी यहां कुछ नहीं है, जाओ कुछ दिन बीजेपी में चरकर लौट आना।

बहरहाल, यह तो पता नहीं कि लक्ष्मण सिंह भी दिग्विजय की अनुमति लेकर बीजेपी में गए थे या नहीं, लेकिन इससे पहले उन्होंने अपने बड़े भाई को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। दिग्विजय जब मुख्यमंत्री थे, तब अपने अधिकारियों को लक्ष्मण सिंह से सीधे बात करने के लिए स्पष्ट मनाही कर रखी थी। कहा जाता है कि एक अधिकारी विशेष रूप से लक्ष्मण सिंह के कामों के लिए नियुक्त किया गया था। केवल वह अधिकारी ही लक्ष्मण सिंह से सीधे बात करता था और उनके बताए काम कराने की जिम्मेदारी भी उसी की थी। इसके बावजूद लक्ष्मण सिंह कई बार उग्र हो जाते। दलित एजेंडा के समय दिग्विजय पर पहला राजनीतिक प्रहार लक्ष्मण सिंह ने ही किया था। उन्होंने भारत सरकार की नदी जोड़ो परियोजना के बहाने अपने बंगले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और कहा कि चरनोई की भूमि बांटना ठीक नहीं है। इतना ही नहीं, पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या वे मुख्यमंत्री की सहमति से ऐसा कह रहे हैं तो लक्ष्मण सिंह ने अपने पीछे खड़े दिग्विजय के प्रेस सचिव की ओर इशारा करते हुए हां कह दिया। दरअसल, लक्ष्मण सिंह के राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में चरनोई भूमि बांटने को लेकर सबसे ज्यादा विवाद हुए थे। सांसद के रूप में उन पर दबाव था कि सवर्ण मतदाताओं को संतुष्ट करने के लिए वे ऐसा करें।

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