हाल के दिनों में एक महिला कॉन्स्टेबल और तहसीलदार की प्रेम कहानी ने सभी को झकझोर कर रख दिया! यूपी में DIG पद पर तैनात रहे रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडेय इस कोल्ड ब्लडेड मर्डर की कहानी बेहद बारीकी से बताते हैं। अपने यूट्यूब चैनल में उन्होंने इस हत्याकांड को लेकर कई अंदरूनी जानकारियां दी हैं। खैर, अब आगे की कहानी पर आते हैं। सुबह आठ बजे फिर भाभी ने रुचि को फोन लगाया पर फोन तो बंद ही था। उसने सोचा आज संडे 13 फरवरी है। रुचि को ऑफिस जाना नहीं है। हो सकता है वह देर से सोकर उठे। भाभी को कुछ जरूरी बात करनी थी, इसलिए उसने सुबह साढ़े दस बजे के आसपास फिर रुचि को फोन लगा दिया। फोन फिर स्विच ऑफ निकला। अब भाभी के मन में तमाम बातें आने लगीं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि रुचि का फोन शाम से लेकर अगले दिन दोपहर तक स्विच ऑफ रहे।
मकान मालिक भी बेखबर
भाभी ने रुचि के साथ काम करने वाली एक महिला कॉन्स्टेबल को फोन लगाया। उसने बताया कि यूपी इलेक्शन की वजह से डीजीपी ऑफिस आज भी खुला हुआ है पर रुचि अब तक नहीं आई है। आप परेशान मत हो। हो सकता है कि नेटवर्क दिक्कत से फोन बंद हो उसका। मैं पता लगाकर आपको बताती हूं। इसके बाद रुचि की सहयोगी ने उसे दिन में करीब दो बार फोन लगाया पर फोन बंद ही था। अब साथी कॉन्स्टेबल का दिमाग भी ठनका। वह बहुत दिनों से रुचि के साथ काम कर रही थी और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। शाम को काम धाम खत्म कर वह अर्जुनगंज स्थित रुचि के कमरे पर पहुंची पर वहां देखा ताला लगा हुआ है। उसने मकान मालिक से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रुचि कल सुबह दफ्तर के लिए निकली थी, तब से वापस नहीं आई है। जब रुचि की दो दिनों की छुट्टी होती थी तो वह अक्सर अपने घर बिजनौर चली जाया करती थी। हम लोगों को लगा कि शायद इस बार जल्दबाजी में बगैर बताए वह बिजनौर चली गई है।
महिला कॉन्स्टेबल अब अपने रूम पर चली आई और रुचि की भाभी को फोन मिलाया। भाभी ने बताया कि रुचि बिजनौर नहीं आई है। रुचि जब भी लखनऊ से बिजनौर के लिए निकलती थी तो घरवालों को फोन कर बताती जरूर थी। साथी कॉन्स्टेबल ने रुचि की फोटो लेकर इसे विभिन्न वॉट्सएप ग्रुपों और सोशल मीडिया पर डाल दिया कि अगर किसी को उसके बारे में कुछ पता चले तो उसे बताए। राजधानी लखनऊ में पुलिस के सबसे बड़े ऑफिस में काम करने वाली एक जवान महिला कॉन्स्टेबल के यूं गायब हो जाने की खबर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इससे पुलिस के आला अफसर काफी नाराज हुए। उन्होंने रुचि की सहयोगी महिला कॉन्स्टेबल के इस काम को अनुशासनहीनता माना और उसे नोटिस भेजा। अफसरों का कहना था कि बगैर उच्च अधिकारियों को जानकारी दिए बगैर उसने रुचि के गायब होने की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल क्यों की।
इस बीच रुचि के घरवाले भी बिजनौर से लखनऊ आ गए और इधर-उधर भटकते रहे पर उनकी बेटी का कुछ पता नहीं चल रहा था। रुचि के लापता होने के पांच दिन बाद 17 फरवरी को डायल 112 पर एक फोन आता है। उधर मौजूद शख्स बताता है कि पीजीआई के सामने कल्ली माती मोहल्ले के नाले में एक नवयुवती की लाश पड़ी हुई है। पुलिस मौके पर पहुंचती है। लाश को नाले से निकलवाकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया जाता है। करीब दो दिनों तक उस शव की पहचान के लिए कोई नहीं पहुंचा। 19 फरवरी को थाने-थाने भटक रहे रुचि के घरवालों को उनके इलाके बिजनौर का रहने वाला एक पुलिसवाला मिलता है। बताया कि उसने दो दिन पहले वायरलेस पर सूचना सुनी थी कि पीजीआई के पास नाले में एक युवती की लाश मिली है। रुचि के परिजन पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे हैं। जैसे ही उन्होंने उस युवती का शव देखा, रोना-पीटना मच गया। यह उनकी बिटिया रुचि ही थी। यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। अब पुलिस एक्टिव हो गई। रुचि का मोबाइल फोन उसके शव के साथ ही मिला था। उसका कॉल रेकॉर्ड निकलवाया गया।
पता चला कि पिछले तीन महीने में रुचि की बात एक फोन नंबर पर सबसे ज्यादा हुई। यह फोन नंबर प्रतापगढ़ जिले के लालगंज तहसील में तैनात तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव का था। फोन स्विच ऑफ होने से पहले भी इसी नंबर पर रुचि की बात हुई थी। पुलिस को लगा हो न हो इस मर्डर से तहसीलदार साहब का कनेक्शन जरूर है। रुचि की लाश मिलने की जानकारी मिलने के बाद तहसीलदार कहीं फरार न हो जाए, इसलिए तत्काल एक पुलिस टीम प्रतापगढ़ के लिए रवाना हो गई। रात 12 बजे लखनऊ से चली टीम सुबह 4 बजे प्रतापगढ़ पहुंच गई। प्रतापगढ़ शहर के कंपनी बाग इलाके में ट्रांजिट हॉस्टल है। तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव यहीं रहते थे। सुबह पांच बजे पुलिस टीम ने उनका दरवाजा खटखटाया तो वह सो रहे थे। दरवाजा उन्हीं ने खोला और तुरंत पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर गाड़ी में बैठाया और सीधे लखनऊ ले आई। थाने में पूछताछ के दौरान तहसीलदार ने पहले तो बातों को घुमाना शुरू किया। फिर जब पुलिस ने अपना असली रंग दिखाया तो उन्होंने सारा सच उगल दिया।
रुचि के बेहोश होते ही नामवर सिंह ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाड़ी पीजीआई के सामने वाले मोहल्ले कल्ली माते की तरफ मोड़ दी। रास्ते में पद्मेश और नामवर ने गला घोंटकर रुचि की हत्या कर दी। फिर नाले में बॉडी फेंककर वापस प्रतापगढ़ रवाना हो गए। रात 2 बजे पद्मेश ट्रांजिट हॉस्टल पहुंचा और प्रगति से बताया कि उसने रुचि का काम तमाम कर दिया है। इसके बाद नामवर अपनी गाड़ी लेकर चला गया। इस तरह अवैध रिश्ते का खौफनाक अंत हो जाता है। पुलिस ने पद्मेश श्रीवास्तव, उसकी पत्नी प्रगति और दोस्त नामवर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। तीनों जेल की सलाखों के पीछे अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं।