Friday, December 27, 2024
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20 जनवरी की शाम Mahatma Gandhi का हत्यारा Godse नहीं बल्कि बड़गे होता

भारत समेत दुनिया के  कई देश अपने स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए शहीद दिवस मनाते हैं. भारत में शहीद दिवस हर साल 30 जनवरी और 23 मार्च को भारत की स्वतंत्रता, गौरव, कल्याण और प्रगति के लिए लड़ने वाले पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है. नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी,

इस 30 जनवरी को गाँधी की हत्या के 73 साल हो गए हैं देश को आजादी के साथ साथ देश में एक हत्या का इतिहास इसके समांतर है .एक ऐसा हत्या जिसे कोई  भारतीय कल्पना नहीं कर सकता है  ,लेकिन अफसोस एक भारतीय ने ही हत्या कर दिया .अक्सर स्कूली किताबें इन 73 सालों में वह भाषा नहीं खोज पाईं, जिसमें इस तारीख़ और इस हत्या पर चर्चा की जा सके. आख़िर ऐसा क्या हुआ था कि जिस व्यक्ति को राष्ट्रपिता तक कहा गया, उसे आज़ादी मिलने के पाँच महीने बाद ही मार डालना ज़रूरी समझा गया ताकि वह और देश का ‘नुक़सान’ न कर सके?

गाँधी का काम पूरा हो चुका था. अंग्रेज़ भारत छोड़कर जा चुके थे. उनके जाने के बाद एक संभावना पैदा हुई थी कि भारत को वैसे ही हिन्दू राष्ट्र बनाया जाए जैसे पाकिस्तान इस्लामी राष्ट्र बन चुका था. यह नामुमकिन न था |

13 जनवरी 1948 को दिन में करीब 12:00 बजे महात्मा गांधी दो मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर  बैठ गए .पहली मांग थी कि पाकिस्तान को भारत ₹55 करोड़ दिए जाएं और दिल्ली में मुसलमानों पर होने वाले हमले रुके .गांधी की भूख हड़ताल के तीसरे दिन यानी 15 जनवरी को भारत सरकार ने घोषणा की कि वह पाकिस्तान को तत्काल ₹55 करोड़  देगी. जाहिर है  बापू पाकिस्तान को ₹55 करोड़ देने की मांग भी कर रहे थे लेकिन उनका यह भी लक्ष्य था कि सांप्रदायिक सौहार्द कायम हो।

इस घोषणा के बाद गाँधी  के खिलाफ  उग्रपंथी  हिन्दू  बहुत नाराज हुए खासकर हिन्दु महासभा . कैबिनेट का फैसला था कि जब तक दोनों देशों के बीच विभाजन का मसला सुलझ नहीं जाता है तब तक भारत पाकिस्तान को ₹55 करोड़  नहीं देगा .हालांकि विभाजन के बाद दोनों देशों में संधि हुई थी कि भारत पाकिस्तान को बिना शर्त के ₹75 करोड़ देगा .इसमें से पाकिस्तान को ₹20 करोड़ मिल चुके थे .और ₹55 करोड़ बकाया था. पाकिस्तान ने पैसे मांगने शुरू कर दिया था और भारत वादाखिलाफी नहीं कर सकता था .सरकार ने गाँधी  की भुख हड़ताल   के बाद देने के लिये तैयारी हो गई  .इस फैसले के बाद गाँधी  उग्र  हिन्दुओं के नजर में सबसे बडा दोषी बन चुके थे.इस बीच सरदार पटेल भी गाधीँ  से सहमत नहीं थे कि पाकिस्तान को ₹55 करोड़  दिया जाए |

गाँधी  की हत्या के जाचँ के लिये बनी कमिटी कपूर कमीशन थी .इस कमीशन के  जाचँ  में सरदार पटेल की बेटी मणिबेन  पटेल गवाह नंबर 79की तौर पर पेश हुई थी आगे बताती है ” मणिबेन  ने कपुर  कमीशन से बताती है की ” मुझे याद है कि मेरे पिता पाकिस्तान को ₹55 करोड़ रुपए देने  को लेकर  महात्मा गांधी से सहमत नहीं थे. मेरे पिता का मानना था कि अगर पाकिस्तान को रकम दी जाती है तो लोग इससे नाराज़ होंगे और पाकिस्तान के साथ भी हमारी समस्या है कि सारे मुद्दों के समाधान के बाद ही रकम दी जाए.”

मणिबेन पटेल ने कहा है ,मेरे पिता का कहना था कि पाकिस्तान  को यह रक़म  मिलेगी तो भारत में लोग इसकी गलत  व्याख्या  करेगें  और पाकिस्तान  इस पैसे का इस्तेमाल हमारे खिलाफ़ कर सकता है . और इससे भारतीयों की भावना आहत हो सकती है ” .

महात्मा  गाँधी  जब भूख  हड़ताल  पर थे तब बिड़ला भवन में लोग उनके खिलाफ प्रदर्शन  कर रहे थे .लोग  सरकार के द्वारा रूपया देने से नराज़  थे .और सांप्रदायिक तनाव के कारण मुसलमान बेघर हो गये थे .

हिन्दू शरणार्थी  मुसलमानों के घर पर कब्जा करना चाहते थे .और गाधीँ इसके विरोध में थे .गाँधी  के इस भुख  हड़ताल पर हिन्दु  शरणार्थी  गुस्से में  नारा लगाते थे ,और कहते थे  -गाँधी  मरता है ,तो मरने दो ‘ .महात्मा  गाँधी के सचिव रहे प्यारेलाल ने अपने किताब ‘महात्मा गांधी  द लास्ट फेज में लिखते है कि इस भूख हड़ताल  से दिल्ली के संप्रदायिक  तनाव को काबु  पाने में काफी मदद मिली .और 18 जनवरी  1948 को शातिं  समिति गठित की गई  .इसके बाद गाँधी  जी ने  दोपहर 12.45बजे मौलाना आजाद के हाथ से संतरे का जूस  पीकर भुख हड़ताल  ख़त्म  की इसके बाद हिन्दु महासभा  ने एक बैठक बुलाई ,जिसमें गाँधी  के इस भुख हड़ताल  की कडी निंदा  की गई  साथ साथ  शातिं  समिति  का  विरोध किया गया .इस बैठक में गाँधी  के खिलाफ आपत्तिजनक  शब्द भी बोला गया उन्हे तानाशाह और उनकी तुलना हिटलर  से किया  गया . 19 जनवरी को हिंदू महासभा के सचिव आशुतोष लाहिड़ी ने हिंदू को संबोधित करते हुए पर्चा निकाला |

पुलिस की रिपोर्ट बताती है कि मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा को लेकर महात्मा गांधी की भूख हड़ताल से सिख भी नाराज थे .सिखों को भी लग रहा था कि गांधी ने हिंदू और सिखों के लिए कुछ नहीं किया. दूसरी ओर  मुसलमानों ने  19 और 23 जनवरी को  प्रस्ताव पास करके कहा कि गांधी ने उनकी निस्वार्थ सेवा की है .

यह गांधी  के हत्या की पृष्ठभूमि के तात्कालिक  कारण रही |

17से 19जनवरी के बीच गाँधी की हत्या की  साजिश रचने और हत्या करने वाले दिल्ली ट्रेन और फ्लाइट से आ चुके थे .यह दिल्ली के होटलों और हिंदू महासभा भवन में रह रहे  थे 18 जनवरी 1948 को कुछ षड्यंत्रकारी शाम में 5:00 बजे बिरला भवन में महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में शामिल हुए .यह भीड़ और जगह का मुआयना करने गए थे .19 जनवरी को हिंदू महासभा भवन में इनकी बैठक हुई और महात्मा गांधी की हत्या का पूरा खाका तैयार किया गया. 19 जनवरी को कुल 7 में से 3 षड़यंत्रकारी नाथूराम विनायक गोडसे ,विष्णु करकरे ,और नारायण आप्टे ,बिरला हाउस के  प्रार्थना सभा की जगह का मुआयना किया .उसी दिन शाम में 4:00 बजे फिर से प्रार्थना सभा के ग्राउंड पर गए और रात में 10:00 बजे पांचों हिंदू महासभा भवन में मिले 20 जनवरी को नाथूराम गोडसे की तबीयत खराब हो गई लेकिन चार लोग फिर से बिरला भवन  और वहां की गतिविधियों को समझा .बिरला भवन से चारों हिंदू महासभादिन में 10:30 लौटे .

इसके बाद हिंदू महासभा भवन के पीछे जंगल में इन्होंने अपने रिवाल्वर की जांच की रिवाल्वर की जांच के बाद फाइनल प्लान सेट करने के लिए दिल्ली के कनॉट प्लेस के मरीना होटल में मिले शाम में 4:45 बजे  पहुचें. भवन की दीवार के पीछे से मदनलाल पाहवा  प्रार्थना सभा में बम फेंका.तुषार गाधीँ अपने इंटरव्यू में  बताते है की बापू  को मारने की असली  साजिश  तारीख 20 जनवरी की ही थी .हत्याकांड  के गहरी पडताल में आगे बताते है कि इनकी योजना थी की धमाके धमाके के बाद भगदड़ हो जाएगी और दिगंबर बड़गे  गांधी जी को गोली मार देगा . लेकिन मदनलाल पाहवा ने धमाका किया तो बापू ने सबको समझा कर बैठा दिया. और भगदड़ नहीं होने  दी. ऐसे में दिगंबर बडगे  को गोली मारने का मौका नहीं मिला और वहां से भागना पड़ा .उस दिन गोली मारने की जिम्मेदारी बड़गे को मिली थी अगर 20 जनवरी को वे कामयाब  होते तो हत्यारा गोडसे नहीं बल्कि दिगंबर  बड़गे  होता |

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Ravindra Kirti Founder Mojo Patrakar
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Ravindra Kirti is a well-rounded Marketing professional with an impressive academic and professional portfolio. He is IIM Calcutta alumnus & holds a PhD in Commerce, having written an insightful thesis on consumer behavior and psychology, which informs his deep understanding of market dynamics and client engagement strategies. His academic journey includes an MBA in Marketing, where he specialized in strategic management, international marketing, and luxury retail management, equipping him with a global perspective and a strategic edge in high-end market segments.In addition to his business expertise, Ravindra is also academically trained in law, holding a Master’s in Law with specializations in law of patents, IT & IPR, police law and administration, white-collar crime, and corporate crime. This legal knowledge complements his role as the Chief at Jurislaw Partners, where he applies a blend of legal acumen and strategic marketing.With such a rich educational background, Ravindra excels across a range of fields, from legal marketing to luxury retail, and event design. His ability to interlace disciplines—commerce, marketing, and law—enables him to drive successful outcomes in every venture he undertakes, whether as Chief at Jurislaw Partners, Editor at Mojo Patrakar and Global Growth Forum, Founder of CircusINC, or Chief Designer at Byaah by CircusINC.On a personal note, Ravindra Kirti is not only a devoted pawrent to his pet, Kattappa, but also an enthusiast of Mixed Martial Arts (MMA) and holds a Taekwondo Dan 1. This active lifestyle complements his multifaceted career, reflecting his discipline, resilience, and commitment—qualities he brings into his professional relationships. His bond with Kattappa adds a warm, grounded side to his profile, showcasing his nurturing and compassionate nature, which shines through in his connections with clients and colleagues.Ravindra’s career exemplifies versatility, intellectual depth, and excellence. Whether through his contributions to media, law, events, or design, he remains a dynamic and influential presence, continually innovating and leaving a lasting impact across industries. His ability to balance these diverse roles is a testament to his strategic vision and dedication to making a difference in every field he enters.
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