नाटो के 2 सदस्य आपस में ही भिड़ चुके हैं! ग्रीस के तटरक्षक बलों ने रविवार को तुर्की के मालवाहक जहाज पर फायरिंग की है। ग्रीस का दावा है कि तुर्की का यह मालवाहज जहाज उसकी जलीय सीमा में अवैध रूप से घुसने की कोशिश कर रहा था। वहीं, तुर्की ने बयान दिया है कि फायरिंग के समय उसका मालवाहक जहाज एजियन सागर के अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में मौजूद था। इस ताजा घटनाक्रम के बाद दोनों देशों में तनाव चरम पर पहुंच गया है। कुछ दिनों पहले ही ग्रीस ने एयर डिफेंस मिसाइलों से तुर्की के लड़ाकू विमानों पर निशाना साधा था। इसके भी कुछ दिन पहले नाटो के मिशन में मौजूद ग्रीस के एक लड़ाकू विमान ने तुर्की के लड़ाकू विमानों को जबरन बाहर खदेड़ दिया था। हालांकि, इन दोनों घटनाक्रम को लेकर तुर्की और ग्रीस का अपना-अपना पक्ष है।
तुर्की के तटरक्षक बल ने एक बयान में कहा कि शनिवार को तुर्की के बोजकाडा द्वीप के दक्षिण-पश्चिम में 11 समुद्री मील (20 किमी) की दूरी पर हुई गोलीबारी में कोई हताहत नहीं हुआ। इसमें कहा गया है कि दो ग्रीक जहाजों से की गई फायरिंग के बाद तुर्की ने भी अपने गश्ती पोत भेजे। इसके बाद ग्रीस की नौकाएं अपने समुद्री क्षेत्र में वापस चली गईं। ग्रीक तटरक्षक बल ने बी पुष्टि की है कि उसने लेस्बोस द्वीप से ग्रीक क्षेत्रीय जल में संदिग्ध रूप से आगे बढ़ रहे जहाज पर चेतावनी शॉट्स दागे। ग्रीस ने कहा कि इस कार्गो जहाज के कप्तान ने एक निरीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद इस पोत को वापस तुर्की की जलीय सीमा में खदेड़ दिया गया। इस घटना के बारे में तुर्की के अधिकारियों को सूचना दी गई है।
यह इलाका प्रवासियों की तस्करी के लिए बदनाम है। इसी रास्ते से तुर्की से प्रवासियों को ग्रीस और इटली जैसे यूरोपीय संघ के देशों में घुसपैठ करवाने के लिए ले जाया जाता है। ऐसे में ग्रीक तटरक्षक बल नियमित रूप से संदिग्ध जहाजों की जांच करता रहता है। दोनों देश दशकों से समुद्री सीमा को लेकर विवादों में उलझे हुए हैं। पिछले दो साल में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनके कारण तुर्की और ग्रीस में तनाव चरम पर पहुंच चुका है। हालांकि, फ्रांस और दूसरे देशों के बीच बचाव के कारण बड़ी झड़प होते-होते बची है।
पूर्वी भूमध्य सागर में एजियन द्वीप समूह मौजूद है। तुर्की का दावा है कि इसके द्वीपों पर उसका अधिकार है, वहीं ग्रीस का दावा है कि वह इस इलाके का असली मालिक है। दोनों देश नाटो के सहयोगी हैं। इसके बावजूद इनमें आपस में ही युद्ध का खतरा बना हुआ है। तुर्की कहता है कि इन द्वीपों पर उसका दावा सर्वमान्य है। ग्रीस और ऑस्ट्रिया में तुर्की के पूर्व राजदूत हसन गोगस ने अल जजीरा को बताया कि एजियन सागर में ग्रीस के साथ हमारे कई विवाद हैं, जैसे क्षेत्रीय जल की चौड़ाई, द्वीपों का परिसीमन, द्वीपों का असैन्यीकरण या हवाई क्षेत्र की लंबाई। ये सभी मुद्दे परस्पर रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ग्रीस सिर्फ द्वीपों पर तुर्की के अधिकार को नकारता है।
गोगस का दावा है कि एजियन सागर में अधिकांश ग्रीक द्वीप तुर्की की मुख्य भूमि के करीब हैं, जैसे कि कास्टेलोरिजो या कोस। उन द्वीपों को असैन्यीकरण की शर्त पर 1947 पेरिस शांति संधि के तहत ग्रीस को दे दिया गया था। हालांकि, ग्रीस इस प्रावधान का उल्लंघन करता है। इस बीच, ग्रीक दृष्टिकोण से, तुर्की ऐसे दावे कर रहा है जो न तो यथास्थिति द्वारा समर्थित हैं और न ही अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा।
बर्मिंघम विश्वविद्यालय में कंपरेटिव यूरोपीय पॉलिटिक्स में एसोसिएट प्रोफेसर सोतिरियोस जर्टालौडिस ने अल जजीरा को बताया कि ग्रीस एजियन सागर को ग्रीक क्षेत्र का एक मूलभूत हिस्सा मानता है, क्योंकि इस इलाके के सैकड़ों द्वीपों पर बड़ी संख्या में यूनानी नागरिक रहते हैं। इसके अलावा एजियन सागर भू राजनीतिक और रणनीतिक रूप से भी ग्रीस के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस इलाके में यूरोप की दक्षिण-पूर्वी सीमा और काला सागर और मध्य पूर्व के इलाके आपस में मिलते हैं।
इन द्वीपों के बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच लॉज़ेन (1923), मॉन्ट्रो (1936) और पेरिस (1947) की संधियां हो चुकी हैं। इनमें लॉजेन और पेरिस में हस्ताक्षरित संधियाँ यह नियंत्रित करती हैं कि कौन सा द्वीप किस देश का है। हालांकि, मॉन्ट्रो की संधि का उद्देश्य लॉजेन की संधि को आंशिक रूप से बदलना था। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर दिमित्रिस पापादिमित्रियो ने बताया कि अंकारा की व्याख्या पूर्वी एजियन में संप्रभु अधिकारों से संबंधित एक जटिल स्थिति पैदा करती है।